अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
कुशीनगर,पडरौना। डॉक्टर को समाज में भगवान का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उनकी सेवा, समर्पण और संवेदनशीलता से मरीजों को नया जीवन मिलता है। लेकिन जब यही पेशा भ्रष्टाचार और लालच का शिकार हो जाए, तो यह समाज और मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन जाता है। ऐसा ही मामला पड़रौना के चर्चित नव जीवन ज्योति अस्पताल का है, जहां डॉक्टर पुष्कर यादव ने सेवा के मूल उद्देश्य को पीछे छोड़कर मोटी कमाई और फर्जीवाड़े का रास्ता अपना लिया।
क्लीनिक से अस्पताल तक का सफर: फर्जीवाड़े का सहारा
करीब एक दशक पहले एक किराए के मकान में छोटी सी क्लीनिक से शुरू हुआ यह अस्पताल आज शहर के सबसे बड़े निजी अस्पतालों में गिना जाता है। अस्पताल के मालिक डॉक्टर पुष्कर यादव ने मरीजों की सेवा के नाम पर अपनी पहचान बनाई, लेकिन कुछ ही वर्षों में आयुष्मान योजना और फर्जी ऑपरेशनों के जरिए करोड़ों की कमाई कर डाली। उनकी संपत्ति में यह अचानक वृद्धि सभी के लिए हैरान करने वाली थी।
सूत्रों के अनुसार, डॉक्टर पुष्कर यादव बिहार के सीमावर्ती जिलों बगहा, बेतिया, लौ, मधुबनी और चनपटिया के अस्पताल संचालकों और अल्ट्रासाउंड केंद्रों से मिलकर मरीजों को लाने की व्यवस्था करते थे। इन मरीजों के लिए फर्जी जांच रिपोर्ट और ऑपरेशनों का खेल रचा जाता था। आयुष्मान भारत योजना के तहत फर्जी ऑपरेशनों के जरिए सरकारी पैसों की हेराफेरी होती थी।
फर्जी रिपोर्ट और कमीशन का खेल
डॉक्टर पुष्कर यादव के नेटवर्क में फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वाले, अल्ट्रासाउंड केंद्र, और फर्जी रिपोर्ट तैयार करने वाले लोग शामिल हैं। इस नेटवर्क के जरिए ऑपरेशन के नाम पर पैसा कमाया जाता और फिर उसे कमीशन के तौर पर बांट दिया जाता। हाल ही में वायरल हुए एक ऑडियो-वीडियो ने डॉक्टर पुष्कर यादव की पोल खोल दी। इस वीडियो में डॉक्टर खुद फर्जी रिपोर्ट के आधार पर ऑपरेशन की बात करते नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक संरक्षण का खेल
डॉक्टर पुष्कर यादव की राजनीति में गहरी पकड़ मानी जाती है। सूत्रों का कहना है कि जिले के कई बड़े राजनेता उनके समर्थन में हैं। यही वजह है कि उनकी गतिविधियों पर आसानी से कार्रवाई नहीं हो पाती। वीडियो वायरल होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कार्रवाई में देरी हुई।
स्वास्थ्य विभाग और सीएमओ पर उठे सवाल
जिले के स्वास्थ्य विभाग और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) पर भी इस मामले को दबाने के आरोप लगे हैं। तीन वर्षों से सीएमओ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते रहे हैं, लेकिन उनके रसूख के चलते उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। मामला तब गंभीर हुआ जब जिले के प्रभारी मंत्री ने हस्तक्षेप कर त्वरित जांच का निर्देश दिया।
जांच की मांग और प्रशासन की सुस्ती
वायरल वीडियो और फर्जीवाड़े के इस खेल ने जिले में हड़कंप मचा दिया है। जनता और कुछ संगठनों ने डॉक्टर पुष्कर यादव और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी जांच की मांग की है। वहीं, प्रशासन इस मामले को लेकर सुस्त नजर आ रहा है।
समाज पर असर और सवाल
इस घटना ने समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या मरीजों की सेवा का पेशा सिर्फ पैसे कमाने का जरिया बन गया है? ऐसे मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे?
डॉक्टर पुष्कर यादव का यह मामला न सिर्फ चिकित्सा जगत पर, बल्कि समाज और प्रशासन की जवाबदेही पर भी गहरी चोट करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और दोषियों को सजा मिलती है या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।