संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील मिश्रा की रिपोर्ट
अबू धाबी में भारत की शहजादी को मौत की सजा दे दी गई, लेकिन उसे दफनाने में 20 दिन का समय लग गया। दुखद बात यह रही कि उसके बुजुर्ग माता-पिता और भाई अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके। 5 मार्च को शहजादी को अबू धाबी के कब्रिस्तान में दफना दिया गया, जहां उसके साथ एक और भारतीय नागरिक, मोहम्मद रिनाश, को भी सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
तीन भारतीयों को दी गई फांसी
शहजादी की कब्र का नंबर A7S1 954 है, जबकि उसके ठीक बगल में दफनाए गए रिनाश की कब्र का नंबर A7S1 953 है। 15 फरवरी को शहजादी को फांसी दी गई थी, जबकि 28 फरवरी को दो और भारतीयों—मोहम्मद रिनाश और मुरलीधरन—को मौत की सजा दी गई। हालांकि, मुरलीधरन का अंतिम संस्कार अब तक नहीं हो सका है, क्योंकि उनका परिवार अबू धाबी नहीं पहुंच सका।
देर से मिली परिवार को जानकारी
शहजादी के माता-पिता, जो उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले हैं, इतने कम समय में अबू धाबी नहीं जा सके। 6 मार्च को उन्हें आधिकारिक तौर पर सूचना मिली कि उनकी बेटी को 5 मार्च को दफना दिया गया है।
रिनाश और मुरलीधरन को भी मिली मौत की सजा
शहजादी को मौत की सजा दिए जाने के 13 दिन बाद, 28 फरवरी को अल-आइन जेल में मोहम्मद रिनाश और मुरलीधरन को भी फायरिंग स्क्वायड द्वारा सजा-ए-मौत दी गई। रिनाश पर एक यूएई नागरिक की हत्या और मुरलीधरन पर एक भारतीय की हत्या का आरोप था।
मुरलीधरन का अंतिम संस्कार अब तक अधूरा
रिनाश का परिवार अबू धाबी पहुंच गया था, इसलिए 5 मार्च को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन मुरलीधरन के परिवार की अनुपस्थिति के कारण उसका अंतिम संस्कार अब तक नहीं हो सका है। संभावना है कि इस सप्ताह हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अबू धाबी में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।
अंतिम कॉल और परिवार की बेबसी
शहजादी, रिनाश और मुरलीधरन—तीनों ने 14 फरवरी को अपने-अपने परिवारों से आखिरी बार बात की थी। उसके बाद, 15 फरवरी को शहजादी को और 28 फरवरी को रिनाश व मुरलीधरन को मौत की सजा दे दी गई। परिवार वालों का आरोप है कि भारत सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की और उन्हें समय पर सटीक जानकारी भी नहीं दी गई।
फायरिंग स्क्वायड द्वारा दी गई मौत की सजा
शहजादी को अबू धाबी की अल-बाथवा जेल में 15 फरवरी की सुबह 5:30 बजे फायरिंग स्क्वायड ने गोली मारकर सजा-ए-मौत दी। पांच सदस्यों की टीम ने उसके दिल पर गोली मारी। ठीक इसी तरह 28 फरवरी को अल-आइन जेल में रिनाश और मुरलीधरन को भी गोली मारकर फांसी दी गई।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया और कानूनी प्रयास
शहजादी के पिता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जानकारी मांगी, जिसके बाद 3 मार्च को विदेश मंत्रालय ने बताया कि शहजादी को 15 फरवरी को फांसी दी जा चुकी है। हालांकि, सरकार का कहना था कि भारतीय दूतावास ने तीन बार शहजादी से मुलाकात की थी—29 अप्रैल 2024, 5 जून 2024 और 4 अक्टूबर 2024 को।
इसके अलावा, 2 सितंबर 2024 को भारतीय दूतावास ने यूएई के विदेश मंत्रालय से शहजादी के लिए मर्सी पिटीशन दायर की थी। यहां तक कि 6 नवंबर 2024 को यूएई के नेशनल डे पर संभावित माफी की लिस्ट में उसका नाम भी शामिल करने की अपील की गई थी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
परिवार अंतिम संस्कार में क्यों नहीं पहुंच सका?
भारत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि उन्हें 28 फरवरी को ही यूएई से जानकारी मिली थी कि शहजादी को 15 फरवरी को फांसी दी जा चुकी है। परिवार को बताया गया कि वे 5 मार्च तक अबू धाबी आकर अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इतने कम समय में वे वहां पहुंचने में असमर्थ रहे।
यह घटना न सिर्फ भारतीयों के लिए दुखद है बल्कि इस बात की ओर भी इशारा करती है कि विदेशों में सजा पाए नागरिकों के लिए समय पर कानूनी मदद उपलब्ध कराना कितना महत्वपूर्ण है। हालांकि भारत सरकार ने कानूनी प्रयास किए, लेकिन परिवारों का मानना है कि अगर समय रहते ठोस कदम उठाए जाते, तो शायद इनकी जान बचाई जा सकती थी।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की