सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा(उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गोयरा मुगली गांव की रहने वाली शहजादी को अबू धाबी में फांसी की सजा सुनाई गई। 15 फरवरी को दोपहर 2 बजे के लिए फांसी का समय तय किया गया था। सजा के कुछ ही समय पहले शहजादी ने अपने माता-पिता से आखिरी बार फोन पर बात की।
फोन कॉल के दौरान शहजादी ने कहा, “यह मेरी आखिरी कॉल है,” और इसके बाद फोन कट गया। तब से उनके परिवार को शहजादी के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। यह भी स्पष्ट नहीं हो सका है कि उन्हें फांसी दी गई या नहीं। उनकी इस अनिश्चित स्थिति ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। शहजादी के परिजनों ने सरकार से गुहार लगाई थी कि उनकी बेटी को बचाया जाए, लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है।
शहजादी को अबू धाबी में मौत की सजा क्यों सुनाई गई?
शहजादी बांदा के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बचपन में एक हादसे में उनका चेहरा बुरी तरह जल गया था, जिससे वह हमेशा मानसिक रूप से परेशान रहती थीं। इसी बीच, 2020 में उनकी पहचान सोशल मीडिया के जरिए उज्जैर नाम के युवक से हुई।
उज्जैर ने शहजादी से दोस्ती बढ़ाई और 2021 में इलाज के बहाने आगरा बुलाया। वहां पहुंचने पर उसने शहजादी को बेहतर जिंदगी का लालच दिया और उसे अबू धाबी भेजने की व्यवस्था की।
अबू धाबी पहुंचने के बाद शहजादी को एक दंपत्ति (फैज-नादिया) के घर काम पर रख दिया गया, जहां वह उनके 4 महीने के बच्चे की देखभाल करने लगी। लेकिन कुछ समय बाद अचानक बच्चे की मौत हो गई। चूंकि शहजादी ही बच्चे की देखभाल कर रही थी, इसलिए बच्चे की मौत का आरोप उन्हीं पर लगा दिया गया।
अबू धाबी की अदालत ने मामले की जांच के बाद शहजादी को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी।
परिवार का दर्द और न्याय की गुहार
शहजादी के माता-पिता अपनी बेटी की आखिरी कॉल के बाद से गहरे सदमे में हैं। उनकी मां का रो-रोकर बुरा हाल है, और पिता लगातार सरकार से बेटी को बचाने की गुहार लगा रहे हैं।
परिवार ने भारतीय प्रशासन, विदेश मंत्रालय और यहां तक कि राष्ट्रपति से भी शहजादी की सजा माफ करने की अपील की थी। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वे कानूनी लड़ाई को आगे नहीं बढ़ा सके।
शहजादी को वाकई फांसी दी गई या नहीं, इसको लेकर अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है। परिवार सरकार से अनुरोध कर रहा है कि कम से कम उन्हें इस बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाए।
यह घटना गरीब तबके से आने वाली लड़कियों की मजबूरी और विदेश में उनके शोषण की एक दुखद तस्वीर पेश करती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या सरकार इस मामले में कोई हस्तक्षेप करती है या नहीं।

Author: samachardarpan24
जिद है दुनिया जीतने की