अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अबू धाबी जेल में बंद उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की बेटी शहजादी को फांसी की सजा से बचाने के लिए अब शासन स्तर पर प्रयास शुरू हो चुके हैं।
राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और अधिवक्ताओं ने सड़क पर उतरकर आंदोलन किया है, और राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से अपील की है कि शहजादी की जान बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।
इन प्रदर्शनों की आवाज अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है, और मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए इसकी रिपोर्ट तलब की है।
शहजादी, जो बांदा जिले के गोयरा मुगली गांव की रहने वाली है, पर यूएई में एक बच्चे की हत्या का आरोप है, जिसके चलते उसे मौत की सजा सुनाई गई है। यह सजा 21 सितंबर को दी जानी है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए तमाम राजनीतिक दल और सामाजिक कार्यकर्ता शहजादी के समर्थन में खड़े हो गए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर मांग की है कि शहजादी की सजा को माफ करवाने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जाएं।
इस आंदोलन की गूंज अब दिल्ली तक पहुंच चुकी है। बुंदेलखंड इंसाफ सेना ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह यूएई सरकार से बात कर शहजादी की रिहाई सुनिश्चित करें।
इसी के साथ समाजवादी पार्टी ने भी बांदा में अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर कहा कि शहजादी को निर्दोष मानते हुए उसकी सजा को माफ किया जाना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी ने भी बांदा के जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। इसमें कहा गया कि शहजादी शारीरिक रूप से दिव्यांग है और दुबई में वह खुद बेसहारा थी। ऐसे में उसके द्वारा किसी की हत्या करने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि दुबई सरकार से वार्ता कर शहजादी की फांसी की सजा को माफ करवाने का प्रयास किया जाए।
भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य और जिला अध्यक्ष आरिफ खान ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल भेजकर इस मामले की जानकारी दी है। उन्होंने यूएई के शासकों से अपील की है कि शहजादी की सजा को माफ किया जाए और उसे भारत वापस लाया जाए।
इस मामले में जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अशोक दीक्षित का कहना है कि शहजादी को एक साजिश के तहत फंसाया गया है।
उन्होंने बताया कि आगरा का उजैर नामक व्यक्ति शहजादी को टूरिस्ट वीजा पर यूएई भेजा था। वहां उजैर की बुआ नाजिया और उनके पति, जो प्रशासनिक पद पर हैं, ने शहजादी को बंधक बनाकर नौकरानी की तरह रखा। उन्होंने शारीरिक शोषण के साथ यातनाएं दीं और बाद में उसे बच्चे की हत्या के झूठे आरोप में फंसा दिया।
अधिवक्ता अशोक दीक्षित ने यह भी कहा कि भारत का संविधान मौलिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है, और सरकार तथा अदालत को इस मामले में शहजादी के जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। यदि शहजादी को फांसी दी जाती है, तो यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
Author: samachar
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