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22 February 2025 3:07 pm

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…तो यूपी की शहजादी को अबू धाबी में दे दी जाएगी फांसी? जेल से फोन पर परिवार के साथ हुई अंतिम बातचीत

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संतोष कुमार सोनी और सुशील मिश्रा की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की निवासी शहजादी वर्तमान में अबू धाबी की अलबदावा जेल में बंद हैं, जहां उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। उनकी सजा का समय निर्धारित हो चुका है, और अगले 24 घंटों में उन्हें फांसी दी जा सकती है। इससे पहले, जेल प्रशासन ने उन्हें अपने परिवार से अंतिम बार फोन पर बात करने का अवसर प्रदान किया।

घटना का विवरण

शहजादी, बांदा जिले के मटौंध थाना क्षेत्र के गोयरा मुगली गांव की निवासी हैं। 2021 में, आगरा के उजैर नामक व्यक्ति ने उन्हें बेहतर जीवन और चेहरे के इलाज का लालच देकर अबू धाबी भेजा। वहां, उन्हें आगरा के एक दंपति के पास काम पर रखा गया, जहां उन्हें उनके चार महीने के बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई। दुर्भाग्यवश, बच्चे की मृत्यु हो गई, और शहजादी पर उसकी हत्या का आरोप लगाया गया। अबू धाबी की अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई।

परिवार की प्रतिक्रिया

शहजादी के पिता, शब्बीर खान, ने बताया कि उनकी बेटी निर्दोष है और बच्चे की मृत्यु गलत चिकित्सा उपचार के कारण हुई थी। उन्होंने सरकार और प्रशासन से अपनी बेटी की सजा रोकने की अपील की है। परिवार का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक सभी से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिला है। शब्बीर खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि उनकी बेटी की जान बचाई जा सके।

समाजसेवी संगठनों की पहल

इस मामले में कई समाजसेवी संगठनों ने भी हस्तक्षेप किया है। रोटी बैंक के जिला अध्यक्ष, रिजवान अली, ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजकर शहजादी की रिहाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि शहजादी एक समाजसेवी कार्यकर्ता हैं, और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है। इसी तरह, जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश महिला नेत्री, शालिनी पटेल, ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

न्यायिक प्रक्रिया और चुनौतियाँ

शहजादी के चचेरे भाई, तलहा अहमद, ने बताया कि फांसी की सजा की जानकारी परिवार को दो महीने बाद मिली। उन्होंने अबू धाबी जाकर वकील करने की कोशिश की, लेकिन समय पर वकील नहीं मिल सका। तलहा का कहना है कि बच्चे की मृत्यु गलत इंजेक्शन के कारण हुई थी, लेकिन दंपति ने शहजादी पर हत्या का आरोप लगाया। बच्चे का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया, जो न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके बावजूद, अदालत ने गवाहों की झूठी गवाही के आधार पर शहजादी को दोषी ठहराया।

वर्तमान स्थिति

शहजादी ने जेल से अपने पिता से बात करते हुए बताया कि उन्हें एक अलग कमरे में रखा गया है, और जेल के कैप्टन ने उन्हें अगले 24 घंटों में फांसी दिए जाने की सूचना दी है। इस खबर से परिवार और गांव में शोक की लहर है। परिवार ने अंतिम प्रयास के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि शहजादी की जान बचाई जा सके।

यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संगठनों और भारतीय सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति प्रस्तुत करता है, जहां एक भारतीय नागरिक की जान बचाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

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