संपादकीय

औरंगजेब की विरासत और अबू आजमी का विवादित बयान

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अनिल अनूप

औरंगजेब भारतीय इतिहास के उन शासकों में से एक है, जिनका नाम अत्याचार, धार्मिक कट्टरता और सत्ता के लिए क्रूरता की हद तक जाने के लिए लिया जाता है। शिवाजी महाराज, गुरु तेग बहादुर और दारा शिकोह के प्रति उसके अमानवीय रवैये को इतिहास कभी भुला नहीं सकता। बावजूद इसके, आज भी कुछ राजनीतिक ताकतें उसे नायक के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही हैं। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी का बयान इस बहस को फिर से जीवित कर रहा है।

औरंगजेब: एक क्रूर शासक की विरासत

इतिहासकारों की मानें तो औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने भाइयों की हत्या कर दी, अपने पिता शाहजहां को बंदी बना दिया और धार्मिक असहिष्णुता की नीति अपनाई। उसने काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाया और गुरु तेग बहादुर की नृशंस हत्या करवाई।

लेकिन इसके बावजूद, कुछ राजनीतिक वर्ग और लेखकों ने औरंगजेब की छवि को सुधारने का प्रयास किया। कांग्रेस शासन के दौरान, इतिहास की किताबों में उसे एक धर्मपरायण शासक के रूप में दिखाने की कोशिश की गई।

राजनीतिकरण और इतिहास का पुनर्लेखन

अबू आजमी जैसे नेता आज भी उस दौर के क्रूर शासक की छवि को सुधारने में लगे हैं। उन्होंने दावा किया कि औरंगजेब जैसा न्यायप्रिय शासक भारत में नहीं हुआ। यह बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का अपमान है, बल्कि उन लाखों लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है, जिन्होंने औरंगजेब के अत्याचारों का सामना किया।

शिवाजी महाराज और हिंदवी साम्राज्य की स्थापना

औरंगजेब के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती छत्रपति शिवाजी महाराज ने खड़ी की। उन्होंने न केवल मुगल साम्राज्य की जड़ों को हिलाया, बल्कि स्वराज की अवधारणा को मजबूत किया। उनके पुत्र संभाजी महाराज को भी औरंगजेब ने क्रूरतापूर्वक मार डाला, लेकिन मराठा साम्राज्य ने मुगलों की पकड़ को धीरे-धीरे कमजोर कर दिया।

आधुनिक भारत और सांप्रदायिक सौहार्द

भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है, जहां इतिहास से सीख लेकर आगे बढ़ना चाहिए। ऐसे में कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा देना और भारत के नायकों की जगह क्रूर शासकों को महिमामंडित करना समाज में वैमनस्य पैदा कर सकता है।

औरंगजेब का इतिहास अत्याचारों से भरा हुआ है, और उसे नायक के रूप में प्रस्तुत करने की कोई भी कोशिश जनता द्वारा नकार दी जाएगी। भारत को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम वास्तविक नायकों—शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप और लचित बोरफुकन—की विरासत को अपनाएं, न कि उन शासकों की, जिन्होंने भारत को कमजोर करने का प्रयास किया।

ऐतिहासिक सच्चाई बनाम राजनीतिक एजेंडा

इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का संग्रह नहीं, बल्कि भविष्य के लिए सीखने का माध्यम भी है। भारत में मुगल शासक औरंगजेब को अत्याचार, धार्मिक कट्टरता और सत्ता के लिए निर्मम फैसलों के लिए जाना जाता है। ऐसे में महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबू आजमी द्वारा औरंगजेब की तारीफ करना स्वाभाविक रूप से विवाद का विषय बन गया है।

अबू आजमी का बयान और उसकी पड़ताल

महाराष्ट्र में अबू आजमी ने औरंगजेब को “महान शासक” बताया और दावा किया कि वह भारत के इतिहास में सबसे न्यायप्रिय बादशाहों में से एक था। यह बयान ऐतिहासिक तथ्यों से पूरी तरह विपरीत है।

क्या न्यायप्रिय शासक वह होता है जो अपने पिता को कैद करे और भाइयों की हत्या करवाए?

क्या न्यायप्रियता मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने में दिखती है?

क्या किसी महान शासक का यह कृत्य हो सकता है कि वह निर्दोष संतों और धार्मिक नेताओं को यातनाएं देकर मौत के घाट उतारे?

अबू आजमी का बयान केवल राजनीतिक लाभ और एक खास वर्ग को खुश करने का प्रयास है, जो इतिहास की सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश करता है।

अबू आजमी का एजेंडा क्या है?

1. ध्रुवीकरण की राजनीति

समाजवादी पार्टी वर्षों से तुष्टीकरण की राजनीति करती रही है।

अबू आजमी का यह बयान भी उसी रणनीति का हिस्सा लगता है।

2. इतिहास के साथ छेड़छाड़

औरंगजेब को ‘महान’ बताने वाले अबू आजमी को शायद यह याद नहीं कि महाराष्ट्र वही भूमि है जहां छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों की सत्ता को सीधी चुनौती दी थी।

संभाजी महाराज की निर्मम हत्या को महाराष्ट्र कभी नहीं भूला।

3. सियासी फायदा

अबू आजमी जानते हैं कि ऐसे बयानों से वह एक खास वर्ग के कट्टरपंथी सोच वाले लोगों का समर्थन हासिल कर सकते हैं।

हालांकि, यह बयान पूरे देश में भारी असंतोष और आक्रोश को जन्म देता है।

योगी आदित्यनाथ की प्रतिक्रिया और राजनीतिक माहौल

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि “ऐसे लोगों को यूपी भेजना चाहिए, हम उन्हें सीधा कर देंगे।”

यह साफ दर्शाता है कि कुछ नेता इतिहास से छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिसे लेकर जनता और सरकारें सतर्क हैं।

इतिहास से सीखने की जरूरत

अबू आजमी जैसे नेताओं को समझना होगा कि राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की प्रवृत्ति खतरनाक हो सकती है।

आज भारत को एकजुटता, विकास और सांप्रदायिक सौहार्द की जरूरत है, न कि ऐसे बयानों की जो समाज में फूट डालने का काम करें।

अबू आजमी का बयान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाने की कोशिश है, बल्कि यह शिवाजी महाराज, गुरु तेग बहादुर और लाखों भारतीयों के बलिदान का अपमान भी है। भारतीय समाज को ऐसे नेताओं के नापाक इरादों को पहचानना होगा और सच्चे नायकों की विरासत को आगे बढ़ाना होगा।

क्या आप मानते हैं कि इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ राजनीति के लिए की जा रही है? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं!”

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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