अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ का भव्य आयोजन चल रहा है, जहां आस्था का विशाल सागर उमड़ पड़ा है। अब तक 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर चुके हैं। यह दृश्य देखकर हर कोई चकित है कि हिंदुओं का इतना बड़ा सैलाब एकत्रित हो सकता है। इसी बीच कुंभ में पहुंचे राजा भैया ने कुछ ऐसी बातें कही हैं, जो न केवल विचार करने योग्य हैं बल्कि सनातन धर्म की सुरक्षा और भविष्य को लेकर चिंतन की आवश्यकता को भी दर्शाती हैं।
“अगर पुलिस हटा दी जाए, तो क्या होगा?”
राजा भैया ने अपने संबोधन में हैदराबाद के एक नेता के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि “यदि पुलिस को हटा दिया जाए, तो 15 मिनट में ताकत का अंदाजा हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि यह कथन काफी हद तक सही भी है। उन्होंने हिंदुओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर सुरक्षा बल हटा दिए जाएं, तो आधे हिंदू एक झटके में समाप्त हो जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हिंदुओं के पास अब बचा ही क्या है? न वे अपनी जनसंख्या बढ़ा रहे हैं, न ही शस्त्रों का संचय कर रहे हैं। जबकि इतिहास हमें सिखाता है कि संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र आवश्यक हैं। भगवान राम जब वनवास गए थे, तो उन्होंने राजमहल छोड़ दिया, लेकिन अपने अस्त्र-शस्त्र साथ ले गए। शिवजी के हाथ में सदैव त्रिशूल रहता है, और जिस मां की हम उपासना करते हैं, वे भी सशस्त्र होती हैं। ऐसे में हिंदुओं को यह सोचने की जरूरत है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?
“इतिहास गवाह है कि सनातनियों को सबसे अधिक प्रताड़ित किया गया”
राजा भैया ने कहा कि हिंदुओं ने सदैव दूसरों को शरण दी, लेकिन बदले में उन्हें अत्याचार और अन्याय झेलना पड़ा। भारत में जो भी शरण मांगकर आया, उसे यहां स्थान मिला। हमने कभी किसी पर धर्म परिवर्तन का दबाव नहीं डाला। मुसलमान, यहूदी और तिब्बती यहां शांति से रह सके। मगर इसके विपरीत, हिंदुओं को उनके ही देश में धर्म के नाम पर सबसे अधिक लूटा गया, उन पर हमले किए गए, महिलाओं का शोषण हुआ और नरसंहार हुए।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं ने शस्त्र त्याग दिए, इसीलिए उन्हें जातियों के नाम पर बांट दिया गया। जबकि सनातन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है, जिसमें देवताओं ने स्वयं अवतार लिया।
“हिंदवी स्वराज्य से सीखने की जरूरत”
महाकुंभ में राजा भैया ने कहा कि प्राचीन काल में कुंभ केवल स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भर नहीं था, बल्कि यह ज्ञान और सामरिक नीति-निर्धारण का केंद्र भी हुआ करता था। पहले जब राजतंत्र था, तो देशभर के राजा इस कुंभ में आते थे। वे संतों और महात्माओं से मार्गदर्शन प्राप्त करते और अपने राज्यों में कल्याणकारी योजनाएं लागू करते। यही कुंभ का असली अमृत था।
उन्होंने महाराज शिवाजी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के इतिहास में कई योद्धा अपने साम्राज्य की रक्षा के लिए लड़े, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ही वह महापुरुष थे, जिन्होंने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की। आज हमें उनसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, ताकि सनातन धर्म को सुरक्षित रखा जा सके।
“इस्लाम से एक सीख लेने की जरूरत”
राजा भैया ने कहा कि भले ही सनातन धर्म महान है, लेकिन हमें इस्लाम से भी कुछ सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुसलमान अपनी मस्जिदों में जाते हैं, तो उनकी इबादत में यह भी शामिल होता है कि इस्लाम कैसे आगे बढ़े। इसके विपरीत, हिंदुओं में यह भावना नहीं पाई जाती कि उनका धर्म कैसे सुरक्षित रखा जाए।
उन्होंने कहा कि शस्त्र धारण करना अनिवार्य है। अगर आज भारत सुरक्षित है, तो वह भारतीय सेना के शस्त्रबल के कारण है, न कि केवल हमारी ज्ञान परंपरा के कारण। उन्होंने इज़राइल का उदाहरण देते हुए कहा कि आज इज़राइल अस्तित्व में है, तो वह केवल अपने सैन्य शक्ति और सुरक्षा रणनीतियों के कारण है।
राजा भैया ने बताया कि नागा साधुओं की परंपरा भी शस्त्रों से जुड़ी हुई है। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण किया, तो नागा साधुओं ने उसे खदेड़ दिया। हालांकि, बाद में वह अपनी पूरी ताकत के साथ लौटा और मंदिर ध्वस्त कर दिया। यह हमें सिखाता है कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए केवल भक्ति पर्याप्त नहीं, बल्कि शक्ति भी आवश्यक है।
“हिंदुओं को आत्ममंथन करने की जरूरत”
राजा भैया ने हिंदुओं से एकजुट होने और अपनी रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि हमें अपने गौरवशाली इतिहास से सीखने की जरूरत है और अपने धर्म की सुरक्षा के लिए संगठित होना होगा। उन्होंने कहा कि आज भी अगर हिंदू अपने अस्तित्व को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी जनसंख्या, संस्कृति और शस्त्रबल पर ध्यान देना होगा।
राजा भैया के इस संबोधन ने सनातन धर्म और उसकी सुरक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। महाकुंभ में उमड़ी आस्था की भीड़ यह दर्शाती है कि हिंदू आज भी अपने धर्म के प्रति समर्पित हैं, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? सिर्फ भक्ति से धर्म सुरक्षित नहीं रह सकता, इसके लिए शक्ति और संगठन भी जरूरी है। राजा भैया के विचारों ने हिंदू समाज को अपनी स्थिति पर मंथन करने का अवसर दिया है और भविष्य के लिए एक नई दिशा प्रदान की है।