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17 January 2025 3:30 pm

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गौशाला में अनियमितताओं पर गौरक्षा समिति ने उठाई आवाज, मुख्यमंत्री के नाम उपजिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

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धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट

नरैनी(बांदा): जिले के नरैनी ब्लॉक के ग्राम पंचायत पुकारी में संचालित गौशाला में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। गौशाला में संरक्षित गौवंश की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है, जबकि प्रशासन को अधिक संख्या दिखाकर गलत डिमांड भेजी जा रही है। इस गड़बड़ी को लेकर गौरक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया ने आज दिनांक 16 जनवरी 2025 को अपने सहयोगियों के साथ नरैनी के उपजिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम ज्ञापन सौंपा।

गौशाला में अनियमितताओं का मामला गंभीर

गौरक्षा समिति का आरोप है कि पुकारी गौशाला में गौवंशों की वास्तविक संख्या और प्रशासन को प्रस्तुत आंकड़ों में भारी अंतर है। गौशाला में गौवंशों की देखरेख में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे उनकी संख्या लगातार घट रही है। इसके बावजूद, प्रशासन को गुमराह करने के लिए फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं और गलत डिमांड भेजी जा रही है।

इस मामले को लेकर गौरक्षा समिति ने शासन-प्रशासन से कई बार जांच की मांग की, लेकिन संबंधित अधिकारियों द्वारा इसे नजरअंदाज किया गया। प्रशासन की इस उदासीनता और लापरवाही से आहत होकर समिति के पदाधिकारियों ने आज मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपते हुए इस गंभीर भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की।

गौशाला संचालकों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

ज्ञापन में मांग की गई है कि गौशाला के संचालन में संलिप्त भ्रष्ट व्यक्तियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं की पुनरावृत्ति न हो। गौरक्षा समिति ने प्रशासन से यह भी अनुरोध किया कि गौशाला में संरक्षित गौवंशों की वास्तविक स्थिति का आकलन कर सही आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं।

गौरक्षा समिति के पदाधिकारी हुए शामिल

इस ज्ञापन को सौंपने के दौरान गौरक्षा समिति के कई प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें उमेश तिवारी, अमन करवरिया, कमल किशोर, आदित्य सिंह, रवींद्र द्विवेदी, प्रदीप शर्मा और अनिल कुमार प्रमुख रूप से शामिल थे।

गौरक्षा समिति का कहना है कि यदि इस मामले में जल्द से जल्द उचित कार्रवाई नहीं की गई तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

इस पूरे मामले में प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जब गौशाला में गौवंशों की संख्या कम हो रही है और फर्जी आंकड़े भेजे जा रहे हैं, तो प्रशासन ने अब तक इस पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की?

गौरक्षा समिति ने स्पष्ट किया है कि यदि इस मामले में जल्द जांच नहीं हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे प्रदेश स्तर पर आंदोलन करेंगे और इस भ्रष्टाचार को बेनकाब करने के लिए मजबूर होंगे।

समाज के लिए एक बड़ा सवाल

गौशालाओं का मुख्य उद्देश्य गौवंशों की सुरक्षा और देखभाल करना है, लेकिन जब वही स्थान भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाए, तो यह समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। पुकारी गौशाला का मामला यह दर्शाता है कि गौसेवा के नाम पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है, जिससे निरीह गौवंशों की जान जोखिम में पड़ रही है।

अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस ज्ञापन पर क्या कार्रवाई करता है और दोषियों को कब तक सजा मिलती है।

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