फर्जी दस्तावेजों से लग्जरी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह के कारनामे सुन पुलिस भी चौंक गई

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अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

बलरामपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। लालिया थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो फर्जी दस्तावेजों की मदद से बैंकों से लग्जरी गाड़ियों का फाइनेंस कराकर उन्हें अवैध रूप से बेच देता था। इस गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके पास से तीन स्कॉर्पियो गाड़ियां बरामद हुई हैं।

गिरोह का काम करने का तरीका

एसपी विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपी हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करके आधार कार्ड, पैन कार्ड और निर्वाचन कार्ड में नाम-पते में हेरफेर कर बैंकों से लोन लेकर गाड़ियां खरीदते थे। इसके बाद इन गाड़ियों को बॉर्डर इलाकों में ले जाकर भोले-भाले ग्राहकों को बेच देते थे। फर्जी दस्तावेजों के कारण बैंक और फाइनेंस कंपनियां इनका असली ठिकाना नहीं ढूंढ पाती थीं, जिससे यह गिरोह सालों से यह धोखाधड़ी करता आ रहा था।

पुलिस को कैसे मिली सफलता?

थाना लालिया के प्रभारी निरीक्षक बृजानंद सिंह अपनी पुलिस टीम के साथ गश्त कर रहे थे, तभी उन्हें मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ जालसाज बलदेवनगर के रास्ते लग्जरी गाड़ियों को अवैध रूप से बेचने की फिराक में हैं। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने मुसहवा नाला, ग्राम मंगराकोहल के पास घेराबंदी कर दी और बलदेवनगर से आ रही तीन स्कॉर्पियो गाड़ियों को रोककर जांच की।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान

पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों ने अपनी पहचान इस प्रकार बताई:

1. चंदन जायसवाल – निवासी कानपुर नगर

2. लवजोत – निवासी कानपुर नगर

3. इरफान खान – निवासी बलरामपुर

जब इन गाड़ियों के दस्तावेजों की जांच की गई, तो सभी कागजात फर्जी पाए गए।

फर्जी तरीके से गाड़ियां फाइनेंस कराने का खुलासा

एसपी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी पहले आधार कार्ड, पैन कार्ड और निर्वाचन कार्ड को कंप्यूटर पर एडिट कर उसमें असली पते की जगह गलत पता डालते थे। इसके बाद वे बैंकों से गाड़ियां फाइनेंस कराकर उनका रजिस्ट्रेशन भी फर्जी पते पर ही कराते थे। इस तरीके से वे पकड़े जाने से बच जाते थे।

गिरोह के सदस्य इन गाड़ियों की कोई भी ईएमआई जमा नहीं करते थे और उन्हें कानपुर से दूर नेपाल बॉर्डर और आसपास के जिलों में बेच देते थे। जब खरीदार गाड़ी को अपने नाम ट्रांसफर कराने की मांग करता, तो ये जालसाज उसे डराकर गाड़ी वापस ले लेते और फिर किसी और को बेच देते। इस तरह, गलत पते और फर्जी नामों के चलते फाइनेंस कंपनियां भी इनका पता नहीं लगा पाती थीं।

बरामद वाहनों पर भारी कर्ज बकाया

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों द्वारा फाइनेंस कराई गई गाड़ियों पर लाखों रुपये का कर्ज बकाया है।

बैंक ऑफ बड़ौदा (मिठास, किदवई नगर, कानपुर नगर) से 18 लाख रुपये का लोन लेकर एक स्कॉर्पियो फाइनेंस कराई गई थी।

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (स्वरूप नगर, कानपुर नगर) से दो स्कॉर्पियो गाड़ियों को 12-12 लाख रुपये के लोन पर खरीदा गया था।

गाड़ियां बॉर्डर एरिया में बेचने की साजिश

गिरोह के सदस्य इन गाड़ियों को नेपाल और भारत के सीमावर्ती जिलों में बेचते थे। पुलिस जांच में पता चला कि एक काली स्कॉर्पियो गाड़ी बलरामपुर के शिवपुरा बाजार निवासी नंद कुमार को 4.90 लाख रुपये में बेची गई थी।

साल 2022 में इसी गिरोह ने महराजगंज तराई के रसीद खान और आलम को दो स्कॉर्पियो गाड़ियां बेची थीं। बाद में, आरोपियों ने इन खरीदारों को धमकाकर गाड़ियां वापस ले लीं और उन्हें नेपाल में बेचने की योजना बना रहे थे।

गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने क्या बरामद किया?

बलरामपुर पुलिस ने इस गिरोह से तीन स्कॉर्पियो गाड़ियां बरामद की हैं। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है और उनके अन्य साथियों की भी तलाश की जा रही है।

पुलिस टीम को 25 हजार रुपये का इनाम

पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने इस बड़े गिरोह को पकड़ने वाली पुलिस टीम की सराहना की और उन्हें 25,000 रुपये इनाम देने की घोषणा की।

फर्जी दस्तावेजों के सहारे गाड़ियों का फाइनेंस कराकर उन्हें बेचने वाले इस गिरोह की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता है। इस मामले से साफ हो गया कि टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग करके अपराधी किस तरह बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को चकमा दे रहे हैं। पुलिस अब इस गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश कर रही है ताकि इस तरह की धोखाधड़ी को पूरी तरह खत्म किया जा सके।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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