दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बलरामपुर जिले में प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत हुए एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस घोटाले ने जिले में हलचल मचा दी है। आरोप है कि योजना के तहत लाभार्थियों के मकानों के जियो टैग में धोखाधड़ी कर बड़े पैमाने पर सरकारी धन का गबन किया गया है। नई दिल्ली के कीर्ति नगर स्थित कंपनी ‘क्रियटिव कन्सोर्टियम’ को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत बलरामपुर जिले में मकानों का जियो टैग करने का ठेका दिया गया था। लेकिन, कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने लाभार्थियों से मिलीभगत कर फर्जी जियो टैग के जरिए योजना का दुरुपयोग किया और धन की हेराफेरी की।
बलरामपुर पुलिस के मुताबिक, इस मामले में अब तक 28 मामले सामने आए हैं और इनमें से 4 मामले दर्ज हो चुके हैं। इन मामलों में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें कंपनी के तीन इंजीनियर और चार लाभार्थी शामिल हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने जानकारी दी कि ‘क्रियटिव कन्सोर्टियम’ को बलरामपुर, उतरौला, पचपेड़वा और तुलसीपुर जैसे क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जियो टैग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। पुलिस द्वारा की गई जांच में पता चला कि इस संस्था के तीन इंजीनियरों ने लाभार्थियों के साथ मिलकर फर्जी जियो टैग तैयार किए, जिसमें पहले खाली स्थानों का जियो टैग किया गया, फिर अधूरे निर्माण वाले मकानों का और अंततः पूरे निर्माण वाले मकानों का जियो टैग कर भुगतान करा लिया गया। कुछ मामलों में तो मकान पहले से ही निर्मित थे, लेकिन फर्जी जियो टैग के जरिए उन्हें योजना का लाभ दिलवाया गया।
पुलिस ने बताया कि अब तक कुल सात अभियुक्तों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें गोरखपुर जिले के बड़गो थाना क्षेत्र के निवासी कार्तिक मोदनवाल, बलरामपुर जिले के गौरा चौराहा थाना के विजय कुमार यादव, बलरामपुर कोतवाली नगर के मोहम्मद वासिक और मोहम्मद समीर, लखनऊ के मानस नगर कानपुर रोड के अनिमेष तिवारी (जो वर्तमान में उतरौला में रहते थे), तथा उतरौला कोतवाली के आर्यनगर के राहुल और रोहित सिंह शामिल हैं।
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार का कहना है कि इस पूरे गिरोह का जल्द ही भंडाफोड़ किया जाएगा, और जो भी लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
Author: samachar
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