कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
23 दिसंबर 2024 की सुबह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के बिजोपुरा इलाके में हड्डियों को कंपाने वाली ठंड थी। सुनसान नहर के किनारे की कच्ची पटरी पर एक जली हुई मारुति 800 कार और उसके अंदर ड्राइविंग सीट पर एक जली हुई लाश मिली। उस सन्नाटे को भंग करते हुए, कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही, सायरन बजाती पुलिस की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। घटना स्थल पर फोरेंसिक टीम को भी बुलाया गया।
लाश की पहचान और जांच की शुरुआत
जली हुई लाश पूरी तरह से राख हो चुकी थी, जिससे उसकी पहचान करना मुश्किल था। पुलिस ने सबसे पहले कार के रजिस्ट्रेशन नंबर की जांच की। पता चला कि यह कार कानपुर के किसी व्यक्ति के नाम पर थी, लेकिन इसे अब तक 8 बार बेचा जा चुका था। तफ्तीश में सामने आया कि हाल ही में यह कार बागपत के रहने वाले डॉक्टर मुबारक ने खरीदी थी।
इस बीच, 26 दिसंबर को यमुनानगर में रहने वाले गुलजार नामक व्यक्ति ने अपने भांजे सोनू की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। गुलजार ने पुलिस को बताया कि उनका भांजा सोनू 22 दिसंबर से लापता है। गुलजार को शक था कि जली हुई कार में मिली लाश सोनू की हो सकती है।
अब पुलिस के सामने दो संदिग्ध थे – डॉक्टर मुबारक और सोनू। मामले को सुलझाने के लिए पुलिस ने जली हुई कार मिलने वाली जगह पर मुखबिरों का जाल बिछाया।
डॉक्टर मुबारक की गिरफ्तारी और चौंकाने वाली सच्चाई
27 दिसंबर को पुलिस ने घटना स्थल के पास एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर मुबारक था। पूछताछ में मुबारक ने कबूल किया कि जली हुई मारुति 800 कार उसकी थी और उसने ही इसे जलाया था।
मुबारक की इस स्वीकारोक्ति ने पुलिस को कई सवालों के जवाब खोजने पर मजबूर कर दिया। क्यों उसने कार जलाई? कार में मिली लाश किसकी थी? और, वह दोबारा घटनास्थल पर क्यों गया था?
मुबारक की कहानी: एक खतरनाक साजिश का पर्दाफाश
डॉक्टर मुबारक बागपत के असारा गांव का रहने वाला था, लेकिन बीते 20 साल से वह सहारनपुर के हबीबगढ़ में रह रहा था। वह पेशे से यूनानी डॉक्टर था और वहीं अपनी क्लिनिक चलाता था। कुछ महीने पहले मुबारक ने बैंक से 10 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया। इसके अलावा, जान-पहचान के कई लोगों से भी उसने करीब 10 लाख रुपये उधार ले लिए।
इन पैसों से उसने दो नई कारें, दो बाइक फाइनेंस कराईं, 10 लाख की जीवन बीमा पॉलिसी और 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा लिया। साथ ही, उसने एक प्रॉपर्टी भी खरीद ली। लेकिन, उसकी आमदनी इतनी नहीं थी कि वह इन सभी खर्चों की किश्तें चुका सके।
क्राइम पेट्रोल से मिली प्रेरणा
एक दिन मुबारक ने टीवी पर क्राइम पेट्रोल का एक एपिसोड देखा। इस एपिसोड ने उसे एक खतरनाक योजना बनाने की प्रेरणा दी। उसने इस एपिसोड को 10 बार देखा और अपने प्लान को पुख्ता किया। उसकी योजना थी अपनी कद-काठी की किसी लाश को जलाकर खुद को मृत घोषित करना। इससे न केवल उसका कर्ज माफ हो जाता, बल्कि जीवन बीमा की रकम भी उसके परिवार को मिल जाती।
सोनू को बनाया शिकार
अपनी योजना को अंजाम देने के लिए मुबारक ने एक सस्ती सेकंड हैंड मारुति 800 कार खरीदी। इसके बाद उसने अपने जैसी कद-काठी की लाश की तलाश शुरू की। बहुत खोजने के बाद उसकी नजर अपने रिश्तेदार की फैक्ट्री में काम करने वाले 30-32 साल के सोनू पर पड़ी। सोनू अनाथ था और उसका सिर्फ एक मामा था।
मुबारक ने सोनू से दोस्ती की और उसके साथ शराब पीने लगा। धीरे-धीरे सोनू मुबारक पर भरोसा करने लगा।
22 दिसंबर की रात: साजिश को अंजाम दिया गया
22 दिसंबर की रात मुबारक ने सोनू को शराब पीने के बहाने अपनी कार में बिठाया। वह उसे बिजोपुरा नहर के किनारे ले गया। दोनों ने कार में बैठकर शराब पी। इसी दौरान मुबारक ने चुपके से सोनू के गिलास में नशे की गोलियां मिला दीं।
जब सोनू बेसुध हो गया, तो मुबारक ने उसे ड्राइविंग सीट पर बिठाया। उसने सोनू के गले से सोने की चेन निकाल ली और पहचान से जुड़े सभी सबूत मिटा दिए। इसके बाद उसने पेट्रोल उड़ेलकर गाड़ी में आग लगा दी और वहां से फरार हो गया।
पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
मुबारक की योजना थी कि जैसे ही उसकी “मौत” का प्रमाण पत्र जारी होगा, उसकी पत्नी बीमा की रकम हासिल कर लेगी। इसके बाद वह अपनी पहचान बदलकर कहीं और नई जिंदगी शुरू करने की सोच रहा था।
एक गलती से बर्बाद हुई योजना
सब कुछ मुबारक के प्लान के अनुसार चल रहा था, लेकिन उसने एक गलती कर दी। 27 दिसंबर को वह यह जांचने के लिए घटना स्थल पर गया कि गाड़ी ठीक से जली है या नहीं। वहां पहले से तैनात पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
पूछताछ में मुबारक ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पुलिस ने सोनू की सोने की चेन भी मुबारक के पास से बरामद कर ली।
न्याय की प्रक्रिया
मुबारक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। उसकी योजना ने न केवल उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, बल्कि सोनू जैसे निर्दोष व्यक्ति की जान भी ले ली।
यह घटना हमें सिखाती है कि लालच और धोखाधड़ी का रास्ता कभी भी सही नहीं हो सकता। मुबारक की योजना ने उसे कर्ज से मुक्त करने के बजाय उसे आजीवन अपराधबोध और कानूनी सजा की ओर धकेल दिया।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."