ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
मथुरा। ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है और यहां इसका एक अलग ही महत्व है। जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आता है, वैसे-वैसे इसकी मस्ती लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगती है। खासकर रंग भरनी एकादशी के दिन, जब ब्रज के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है और भगवान के साथ रंगों की बरसात होती है।
बांके बिहारी मंदिर में टेसू के रंगों की होली
वृंदावन का विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर होली के रंगों से सराबोर हो चुका है। बसंत पंचमी के दिन से ही यहां होली का उत्सव शुरू हो जाता है, लेकिन रंग भरनी एकादशी आते-आते यह अपने चरम पर पहुंच जाता है। इस दिन टेसू के फूलों से बने प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाती है।
सबसे पहले मंदिर के सेवायत अधिकारी भगवान बांके बिहारी को टेसू का रंग लगाते हैं। इसके बाद पिचकारियों में भरकर यह रंग भक्तों पर बरसाया जाता है। भक्त भी इस अलौकिक अनुभव में खो जाते हैं और आनंदित होकर यही गाते हैं –
“आज बिरज में होरी रे रसिया…”
मथुरा और वृंदावन में होली का अनोखा उल्लास
ब्रज में होली की मस्ती सिर्फ वृंदावन तक ही सीमित नहीं है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारकाधीश मंदिर में भी भक्तों ने अबीर-गुलाल उड़ाकर और प्राकृतिक फूलों से बने रंगों से होली खेलकर भक्ति का रस लिया। यहां के पुजारियों ने श्रद्धालुओं पर प्रसाद रूप में गुलाल और रंग बरसाए, जिससे माहौल भक्तिमय हो गया।
विदेशी भी हुए ब्रज की होली में रंगीन
होली के इस महापर्व में न केवल ब्रजवासी बल्कि देश-विदेश से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए। ब्रज की गलियों, मंदिरों और बाजारों में रंगों की फुहारें देखने को मिलीं। हर जगह अबीर-गुलाल उड़ता दिखा और चारों ओर भक्तिभाव में डूबे श्रद्धालु झूमते नजर आए।
ब्रज की होली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है। रंग भरनी एकादशी के दिन जब भगवान के साथ भक्तों का रंगों से खेलना शुरू होता है, तब यह अनुभव और भी दिव्य हो जाता है। इस बार भी ब्रज की होली ने देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को अपनी भक्ति और रंगों से सराबोर कर दिया।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की