संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया, देवरिया जिले की सदर तहसील के ग्राम रघवापुर में जिलाधिकारी श्रीमती दिव्या मित्तल की निगरानी में खरीफ फसल धान की उत्पादकता का सही आंकलन करने के लिए क्रॉप कटिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान जिले में धान की औसत पैदावार 48.266 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने किसानों से सीधे संवाद किया और उनकी समस्याओं एवं सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना। उन्होंने बताया कि जनपद में सरकारी क्रय केंद्रों पर धान की खरीदारी शुरू हो चुकी है, और किसानों को सलाह दी कि वे अपनी अतिरिक्त उपज को इन केंद्रों पर बेचें। इससे न केवल उन्हें उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।
क्रॉप कटिंग की प्रक्रिया
क्रॉप कटिंग कार्यक्रम के तहत, चयनित खेत में समबाहु त्रिभुज के प्रति 10 मीटर भुजा वाले क्षेत्र का चयन किया गया, जहां से धान की कटाई की गई। इस कटाई के जरिए फसल की औसत उत्पादकता का आंकलन किया गया, जो 48.266 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रही। यह आंकड़े शासन को भेजे जाते हैं, जिसका उपयोग फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा देने के लिए किया जाता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ
क्रॉप कटिंग के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों के नुकसान की भरपाई में किया जाता है। इसके अलावा, आपदा की स्थिति में मुआवजा देने के लिए भी इन आंकड़ों को महत्वपूर्ण माना जाता है। किसानों को इस योजना का अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए जिलाधिकारी ने उन्हें जागरूक करने का प्रयास किया।
कार्यक्रम में अधिकारियों की उपस्थिति
इस अवसर पर एसडीएम सदर विपिन द्विवेदी, मंडलीय सांख्यिकीय अधिकारी प्रकाश कुमार शुक्ला, प्रभारी अपर सांख्यिकीय अधिकारी संजीव सिंह, तहसीलदार केके मिश्रा समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने मिलकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया और किसानों को सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक किया।
जिलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि जनपद में किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाएगा, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और बेहतर कृषि उत्पादन कर सकें।
यह क्रॉप कटिंग कार्यक्रम न केवल जिले की कृषि उत्पादकता को मापने का एक प्रयास है, बल्कि किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ने का भी माध्यम है। इससे किसानों को उनके फसल नुकसान के लिए उचित मुआवजा मिल सकेगा और उनकी आय में वृद्धि होगी।
जिले में ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा, जिससे किसानों को फसल उत्पादन के प्रति प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें नई तकनीकों से अवगत कराया जा सके।