चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ करते हुए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की फर्जी मार्कशीट तथा प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि यह गिरोह पहले फर्जी शैक्षिक बोर्ड भी चलाता था। हालांकि, गिरोह का सरगना फिलहाल फरार है और उसकी तलाश की जा रही है।
गुप्त सूचना पर पुलिस की छापेमारी
महानगर पुलिस को सूचना मिली थी कि लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र बनाने का गोरखधंधा चल रहा है। इसके साथ ही, यहां फर्जी शैक्षिक बोर्ड भी संचालित किया जा रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी महानगर, नेहा त्रिपाठी ने जांच शुरू करवाई। गुरुवार को की गई छापेमारी में पुलिस ने इंदिरानगर स्थित आम्रपाली मार्केट से राम प्रकाश नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया। वहीं, इस गिरोह का सरगना मनीष उर्फ मांगे राम छापेमारी के दौरान वहां मौजूद नहीं था और वह फरार होने में सफल रहा।
विभिन्न राज्यों की फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र बरामद
छापेमारी के दौरान पुलिस को मौके से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली बोर्ड समेत कई अन्य राज्यों की हाईस्कूल, इंटर, स्नातक, आयुर्वेद संस्थान और राजकीय मुक्त विश्वविद्यालय के फर्जी प्रमाणपत्र और अंकपत्र मिले। इसके अलावा पुलिस ने एक लैपटॉप, पेपर कटिंग मशीन, दो मोबाइल फोन और कंप्यूटर से संबंधित अन्य सामग्री भी जब्त की है।
गिरोह का व्यापक नेटवर्क
पूछताछ में आरोपी राम प्रकाश ने पुलिस को बताया कि उनका गिरोह अब तक हजारों लोगों को फर्जी मार्कशीट और प्रमाणपत्र बेच चुका है। गिरोह का नेटवर्क न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार, मध्यप्रदेश और दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों में फैला हुआ है।
सीधे संपर्क नहीं करता था गिरोह का सरगना
महानगर पुलिस इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्र के अनुसार, गिरोह का सरगना मनीष उर्फ मांगे राम 25,000 से 50,000 रुपये में फर्जी मार्कशीट और अंकपत्र बनाता था। वह खुद किसी से सीधे संपर्क नहीं करता था, बल्कि उसके गुर्गे ही ग्राहकों से डीलिंग करते थे और पैसे का लेन-देन भी उन्हीं के माध्यम से होता था। पुलिस के मुताबिक, जो मार्कशीट और प्रमाणपत्र बरामद हुए हैं, वे इतनी कुशलता से बनाए गए हैं कि बारीकी से जांच न करने पर असली और नकली का फर्क करना मुश्किल हो जाता है।
पहले भी गिरफ्तार हो चुका है सरगना
पुलिस के मुताबिक, मनीष उर्फ मांगे राम, जो कि मथुरा का निवासी है, पहले भी दो बार फर्जी मार्कशीट के मामलों में गिरफ्तार हो चुका है। सितंबर 2021 में चिनहट पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, जबकि 11 फरवरी 2022 को अमीनाबाद पुलिस ने उसे फिर से जेल भेजा था। वह हुसैनगंज और हीवेट रोड पर स्थित मकानों में रहता था।
सेक्स रैकेट में भी शामिल था गिरोह
जांच के दौरान पुलिस को यह भी पता चला कि मनीष के गिरोह में एक युवती भी शामिल थी, जिसके माध्यम से वह सेक्स रैकेट भी चलाता था। अमीनाबाद पुलिस ने पूर्व में हीवेट रोड स्थित उसकी कई करोड़ों की संपत्तियां भी कुर्क की थीं।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
फिलहाल, पुलिस गिरोह के सरगना मनीष उर्फ मांगे राम की तलाश कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। इसके साथ ही, बरामद की गई मार्कशीट और प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है ताकि फर्जीवाड़े के और मामले सामने आ सकें।
इस घटना ने एक बार फिर से शिक्षा क्षेत्र में फर्जीवाड़े के मामलों को उजागर कर दिया है, जिससे छात्रों और अभिभावकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। पुलिस की कार्रवाई से इस गिरोह के अन्य सदस्यों के पकड़े जाने की उम्मीद है।