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देवरिया

अफसरी से दिया इस्तीफा और समाज सेवा के रास्ते पर चलने लगे, कौन थे जनसंघ के ‘पितामह’? 

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के सबसे पुराने सदस्य भुलई भाई दिवाली के दिन करीब 8:30 बजे रात को अंतिम सांस ली। भुलई भाई के निधन पर भारतीय जनता पार्टी के मंत्री सहित राज नेताओं ने दुख व्यक्त किया। भुलई भाई ने जनसंघ पार्टी से 1974 में नेबुआ नौरंगिया विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। भुलई भाई पंडित दीनदयाल जी के प्रेरणा से सरकारी नौकरी छोड़कर जनसंघ से जुड़े थे।

कौन थे भुलई भाई

श्री नारायण उर्फ भुलई भाई उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के कप्तानगंज तहसील के पगार छपरा गांव के रहने वाले वाले थे। वो जनसंघ के समय से ही भाजपा से जुड़े हुए हैं। भुलई भाई दो बार विधायक भी रह चुके हैं।दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित होकर श्री नारायण उर्फ भुलई भाई ने शिक्षाधिकारी का नौकरी छोड़कर हिंदुत्व का परचम लहराने के लिए 1967 जनसंघ से राजनीतिक शुरुआत की।

जनसंघ से बने विधायक

1974 में पहली बार नेबुआ नौरंगिया विधानसभा से दीपक चुनाव चिन्ह पर जनसंघ पार्टी का विधायक के रूप में परचम लहराया था। वहीं नारायण उर्फ भुलई भाई नेबुआ नौरंगिया से जनसंघ पार्टी से 1974 से 1977 और 1977 से 1980 तक लगातार दो बार विधायक के रूप में चुने गए थे। इसके अलावा इमरजेंसी के दौरान वो कई महीनों तक जेल में भी रहें।

साल 2022 में उत्तर प्रदेश में दोबारा योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में भुलई भाई खास मेहमान बन कर लखनऊ पहुंच थे. लखनऊ में कार्यकर्ता सम्मेलन में भुलई भाई को अमित शाह ने मंच से नीचे उतर कर सम्मानित किया था.

दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणा से जनसंघ से जुड़े भुलई भाई

भुलई भाई देवरिया में शिक्षाधिकारी के रूप में तैनात थे उसे दौरान उनका संघ की शाखाओं में भी आना जाना था। ऐसी ही एक शाखा के दौरान उनकी मुलाकात पंडित दीनदयाल उपाध्याय से हुई। पंडित दीनदयाल जी के राष्ट्रवादी विचारों ने भुलाई भाई को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर RSS और जनसंघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनने का फैसला किया।

जनसंघ से की राजनीति की शुरुआत

भारतीय जनता पार्टी के सबसे पुराने सदस्य भुलई भाई ने 111 वर्ष के होकर अंतिम सांस लिया। वही इनके मृत्यु पर अमित शाह सहित भारतीय जनता पार्टी के कई मंत्री और राज नेताओं ने दुख व्यक्त किया। कोरोना काल के समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भुलई भाई से दूरभाष के माध्यम से उनका हालचाल पूछा था।

ईमानदारी और सादगी के लिए मशहूर 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी बनाई गई तब भुलई भाई बीजेपी में आ गए थे। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भुलई भाई की सादगी और उनकी ईमादार छवि काफी चर्चित रही है। बाढ़ से घिरे गरीबों की स्थिति का भोजपुरी में वर्णन करने पर भी वो काफी प्रसिद्ध हुए। भुलई भाई सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुडे़ हुए थे। इस दौरान वह देवरिया जिले के प्रचारक भी रहे। आपातकाल के समय में वह कई महीनों तक जेल में भी रहे। उनकी छवि ईमानदार नेता के रूप में रही।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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