-अनिल अनूप
जम्मू-कश्मीर में 16 अगस्त की सुबह से असामान्य गतिविधियों की शुरुआत हुई, जिसने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी। उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन ने कई अहम आदेश जारी किए, जिनमें पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को भूमि हस्तांतरण का एक विवादास्पद निर्णय भी शामिल था। इसके साथ ही कई पुलिस अधिकारियों के तबादले हुए और पत्रकारों की सरकारी मान्यता बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की गई। उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी गई थी, जिसे अब पुनर्स्थापित किया जा रहा है।
सरकार ने घोषणा की कि 1947, 1965 और 1971 में विस्थापित हुए लोगों और पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को उनकी जमीनों पर मालिकाना हक दिया जाएगा। नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे चुनावी प्रक्रिया की अखंडता के खिलाफ बताया।
दोपहर में, चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव कराने की तारीखों की घोषणा की। चुनाव 18 सितंबर से शुरू होंगे और तीन चरणों में संपन्न होंगे। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार हो रहा है। परिसीमन के बाद जम्मू में 6 सीटें बढ़ाकर उसका प्रतिनिधित्व बढ़ाया गया है, जबकि कश्मीर की सीटें 47 रह गई हैं।
राजनीतिक दलों ने इस चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस की अगुवाई फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला करेंगे, जबकि पीडीपी का नेतृत्व महबूबा मुफ्ती करेंगी। कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी चुनाव प्रचार करेंगे। दूसरी ओर, भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेता चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे।
भाजपा के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती है, खासकर कश्मीर घाटी में जहां पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली है। अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को विभाजित करने के बाद भाजपा ने आतंकवाद के खात्मे, विकास और शांति का वादा किया था, लेकिन हाल के वर्षों में उग्रवाद में बढ़ोतरी देखने को मिली है।
विधानसभा की 90 सीटों पर चुनाव होने के साथ-साथ, उप-राज्यपाल को विधानसभा में 5 सदस्यों को नामांकित करने का अधिकार भी है, जिससे सदन की कुल सदस्य संख्या 95 हो जाएगी। इससे बहुमत के लिए 48 सीटों की जरूरत होगी। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा पहले से ही 5 नामांकित सीटों को अपने पक्ष में कर चुकी है, जिससे उसे शुरुआत में ही फायदा मिल जाएगा।
चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मुख्य चुनौती पेश कर रहे हैं, जबकि भाजपा गठबंधन की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."