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लखनऊ

“मत” और “धर्म” के बीच “अंतर” करने के इनके खेल थे गजब निराले….इन धर्म के ठेकेदारों को न ग्लानि हुई, न हया आई… . 

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ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ।  कैसरबाग स्थित कोर्ट परिसर में बुधवार दोपहर 12:15 बजे के आसपास कोर्ट बस से अदालत में पेश होने के लिए सभी 16 दोषियों को लाया गया था।

पहले गिनती हुई और फिर एक-एक को कोर्ट बस से उतारा गया। 

यहां पहले से खड़ी महिला रिश्तेदार व पुरुषों ने हालचाल लेना शुरू कर दिया। कोई कंधे पर हाथ रखकर शाबाशी दे रहा था तो कोई गले लगाकर सांत्वना। इस दौरान दोषी राहुल भोला से मिलने के लिए एक लड़की व महिला भी आई हुई थी, यह सुबह से इंतजार कर रही थी। दोनों से यह सांकेतिक भाषा में बात करता रहा। 

इसके अलावा, आधा दर्जन लोग पुलिस वालों के सामने इससे मिले और वह हंस-हंसकर सांकेतिक भाषा में बात करता रहा। उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी। यही हाल मो. सलीम का था।

एक कोर्ट रूम जाने से पहले इसने अपने रिश्तेदार से जेल में टी शर्ट, पायजामा व अन्य सामान मंगवाए। रिश्तेदार ने भी पूरे विश्वास से कहा कि सब पहुंच जाएगा जल्द ही। 

एटीएस एनआईए कोर्ट में जाने से पहले कौसर आलम, डॉ. फराज बाबुल्लाह शाह, प्रसाद रामेश्वर उर्फ आदम, उमर, भूप्रिय बन्दो उर्फ अरसलान मुस्तफा ने भी पहले से कोर्ट के बाहर खड़े लोगों से बतियाते रहे। इनमें दोषियों के चेहरे पर सुकून था, लेकिन इनके घर वाले व रिश्तेदार परेशान थे। 

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सांत्वना दे रहे थे- सजा ज्यादा नहीं होगी 

वहीं, मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी, इरफान शेख उर्फ इरफान खान ने कोर्ट के बाहर खड़े दो लोगों से बात की, इसके बाद कोर्ट रूम में चले गए।

सलाउद्दीन जैनुद्दी शेख, मुन्ना यादव उर्फ अब्दुल मनान, मो. सलीम, कुणाल अशोक चौधरी उर्फ आतिफ ने अपने वकीलों से कहा कि प्रयास करिएगा कि सजा न हो, वकील भी कंधे पर हाथ रखकर कोर्ट रूम में चले गए।

दोषियों में मो. इदरीश कुरैशी, धीरज गोविंद राव जगताप, सरफराज अली जाफरी और अब्दुल्ला उमर शांत रहे।

सांकेतिक भाषा से दिव्यांगों में बनाता था पैठ

राहुल भोला सांकेतिक भाषा में दिव्यांग जन से मित्रता करता था। फिर उनका विश्वास हासिल करके उनका ब्रेन वॉश करने का काम करता था। भोला का प्रयास होता था कि मतांतरण के बाद लोग अपने मूल धर्म में वापस न जाए। इसके लिए वह संबंधित व्यक्ति के दिलो दिमाग में जहर भरने का काम करता था। 

इसके अलावा, यह सभी दोषी गरीबों को विशेष रूप से मतांतरण करवाते थे। पैसों की जरूरत जिन्हें होती थी, उनमें अपनत्व की भावना पैदा करते थे और फिर जरूरत के हिसाब से उसको धन भी उपलब्ध कराते थे। धीमे-धीमे जरूरतमंद को दिमागी तौर पर तैयार कर लेते थे कि उसे मतांतरण करना है।

धर्मांतरण मामले में स्पेशल एनआईए-एटीएस कोर्ट ने मौलाना उमर गौतम व मौलाना कलीम सिद्दीकी सहित अन्य 12 आरोपियों को दोषी पाए जाने पर उम्र कैद की सजा सुनाई है।

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कोर्ट ने अन्य 4 आरोपियों राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी और सलीम को 10 साल की सजा के साथ उन पर लगी धाराओं के मुताबिक जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने इन सभी को कल दोषी करार दिया था और सजा का ऐलान आज किया। 

एनआईए एटीएस कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने इन सभी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 417, 120b, 153a, 153b, 295a, 121a, 123 और अवैध धर्मांतरण कानून की धारा 3, 4, और 5 के तहत दोषी करार दिया।

इन धाराओं के तहत आरोपियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। अवैध धर्मांतरण के इस मामले में कुल 17 आरोपी थे, जिनमें से 16 दोषी करार दिए गए हैं। 17वें आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से स्टे मिल गया है। 

मौलाना कलीम को ATS ने  2021 में किया था गिरफ्तार

मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र स्थित गांव फुलत निवासी मौलाना कलीम सिद्दीकी ने पिकेट इंटर कॉलेज से 12वीं करने के बाद मेरठ कॉलेज से बीएससी की शिक्षा ली। इसके बाद दिल्ली के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने लगा। एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर इस्लामिक स्कॉलर बना।

दिल्ली के शाहीन बाग में मौलाना ने 18 साल से अपना ठिकाना बना रखा था। मौलाना कलीम सिद्दीकी को 22 सितंबर, 2021 की रात उत्तर प्रदेश एटीएस ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर दौराला-मटौर के बीच गिरफ्तार किया था। 

कलीम को 562 दिनों तक जेल में रहने के बाद मिली बेल

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उसे और उसके सा​थियों को बड़े पैमाने पर अवैध धर्मांतरण सिंडीकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। कलीम को 562 दिनों तक जेल में रहने के बाद, अप्रैल 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष अदालत में आगे की सुनवाई शुरू हुई, जिसमें कलीम सिद्दीकी जमानत पर शर्तें लगाई गईं।

सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया। उसके एनसीआर से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई और जांच अधिकारी ट्रैक कर सकें इसके लिए अदालत ने उसे अपने फोन का लोकेशन हमेशा ऑन रखने का भी निर्देश दिया। 

फॉरेन फंडिंग की मदद से चलाते थे धर्मांतरण सिंडिकेट

मौलाना कलीम सिद्दीकी ने वर्ष 1991 में अपना जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसा बनाया। गांव में कोर्स संचालित करने के लिए स्कूल की स्थापना की, लेकिन बाद में इसे केरल की एक संस्था के हवाले कर दिया। वह ग्लोबल पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहा था। इस मामले में मौलाना उमर गौतम और मुफ्ती काजी समेत कलीम सिद्दीकी के अन्य सहयोगियों की गिरफ्तारियां भी हुईं।

उत्तर प्रदेश एटीएस ने आरोप लगाया था कि ये सभी धर्मांतरण की साजिश रचने में शामिल थे और फॉरेन फंडिंग की मदद से अपनी गतिविधियों को अंजाम देते थे। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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