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बिलासपुर

टीकाकरण त्रासदी : ग्रामीण बोले ‘अब जांच का क्या फायदा?’ बच्चों की मौत से गुस्साए ग्रामीणों ने कहा- ‘हमें हमारे हाल पर छोड़ दो’

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सुमित गुप्ता की रिपोर्ट

बिलासपुर के कोटा क्षेत्र के ग्राम पटैता के कोरीपारा में हाल ही में हुई दुखद घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार द्वारा भेजी गई जांच टीम के प्रति गहरा असंतोष व्यक्त किया। 

पिछले 29 अगस्त को टीकाकरण के बाद दो बच्चों की मौत हो जाने की घटना पर शासन ने गंभीरता दिखाई और एक पांच सदस्यीय जांच टीम गठित की, जिसमें स्वास्थ्य विभाग और डब्ल्यूएचओ के अधिकारी शामिल थे। 

सोमवार की दोपहर यह टीम मामले की जांच के लिए गांव पहुंची, लेकिन ग्रामीणों ने टीम का कड़ा विरोध किया और उन्हें जांच के लिए अनावश्यक बताया।

ग्रामीणों का कहना था कि बच्चों की मौत के बाद अब जांच का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि जो होना था वो हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण ही यह त्रासदी हुई। 

मृत बच्चों के पिता ने भी अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाई और उनसे वहां से चले जाने की मांग की। 

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जांच टीम ने मृत बच्चों के घर जाकर पूछताछ करने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण टीम को ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई। इसके बाद टीम ने आंगनबाड़ी केंद्र और अन्य संबंधित जगहों पर जाकर कुछ औपचारिक पूछताछ की और आवश्यक दस्तावेजों को इकट्ठा किया। लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि यह सब सिर्फ खानापूर्ति है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।

इस घटना के बाद कांग्रेस की एक पांच सदस्यीय टीम भी जांच के लिए गांव पहुंची और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। कांग्रेस के नेताओं ने टीकाकरण में इस्तेमाल की गई दवा की गुणवत्ता और पोस्टमार्टम न कराने को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और लापरवाही बरत रही है। 

कांग्रेस नेताओं ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की और कहा कि इस मामले में न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।

इस बीच, अन्य बच्चों की स्थिति में सुधार हो रहा है जिन्हें टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 

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वहीं, घटना के बाद मंगलवार को होने वाला नियमित टीकाकरण कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। अधिकारियों की एक बैठक देर रात तक चली, जिसमें मामले की आगे की कार्रवाई पर चर्चा की गई, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका। 

ग्रामीणों का मानना है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस घटना को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और मामला धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा। उनके अनुसार, इस घटना के लिए स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही मुख्य रूप से जिम्मेदार है।

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