google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
खास खबर

लोकसभा चुनाव में इस बार चौथे चरण तक बहुत ही अलग बात सामने आ रही, जानने के लिए पढिए 👇

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
88 पाठकों ने अब तक पढा

आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

आम चुनाव अब अपने सेकंड हाफ में पहुंच गया है। ऐसे में अब सियासत बस चुनाव प्रचार तक सीमित नहीं रह गई है। तमाम राजनीतिक दल 4 जून की संभावित सियासी तस्वीर को समझने और decode करने में जुट गए हैं। हालांकि पक्ष-विपक्ष, दोनों पूरे आत्मविश्वास से यही बताने में लगे हैं कि अभी तक हुई वोटिंग उनके पक्ष में जाती दिख रही है। लेकिन सियासत में कई अनकहे सवालों के बीच ही आने वाले कल के भी संकेत छुपे होते हैं। 

चार चरणों के चुनाव के बाद जिस एक बात पर सभी सहमत हैं, वह है कि वोटिंग ने सभी का गणित बिगाड़ दिया है। इसके चलते इस बार चुनाव में बूथ मैनेजमेंट सबसे अहम फैक्टर हो गया है। 

बिना लहर वाले सामान्य चुनाव में वोटिंग ट्रेंड बहुत ही नियमित है। यह भी तय है कि इसमें 2019 के मुकाबले कुछ गिरावट तो होगी ही। चार राउंड के बाद दल यह तय कर रहे हैं कि किसका वोटर कम निकला है। सभी दलों में समीक्षा करने का भी दौर तेज है। हर उस जगह से फीडबैक लिए जा रहे हैं। कई सीटों पर अपेक्षाकृत कम वोट पड़े हैं तो कुछ जगहों पर उम्मीद से अधिक।

चुनाव क्षेत्र के अंदर के अलग-अलग ट्रेंड

पूरा सीन तो 4 जून को नतीजे के आने के बाद ही साफ होगा, लेकिन सभी इस बारे में अपने-अपने हिसाब से अर्थ तो निकाल ही रहे हैं। वोटिंग ट्रेंड का नजदीकी आकलन कर रहे समीक्षकों के अनुसार, इस बार बहुत ही अलग बात सामने आ रही है। 

एक ही संसदीय क्षेत्र में अलग-अलग विधानसभा से लेकर गांव-शहरी क्षेत्रों वाले इलाके में वोटिंग में बड़ा अंतर देखा जा रहा है। स्वाभाविक ही, इसका राजनीतिक संदेश बदल जा रहा है। कुछ इलाकों में BJP ने माना कि उसके मजबूत इलाकों में अधिक वोटिंग हुई, तो कहीं इसका उलटा होने का भी दावा किया गया है। ऐसे ही दावे विपक्षी दलों की ओर से किए जा रहे हैं। जाहिर है वोटिंग ट्रेंड ने आम चुनाव की जंग कांटे की बना दी है।

जानकारों के अनुसार, नजदीकी मुकाबले में जो राजनीतिक दल अपने-अपने वोटरों को बूथ तक भेजने में सफल होगा, वह अधिक लाभ में रहेगा। खासकर ऐसे मुकाबले में, जहां पिछले दो चुनावों से जीत-हार का अंतर मामूली रहा है। 

2019 के आम चुनाव में लगभग 75 ऐसी लोकसभा सीटें थीं, जहां टक्कर एकदम कांटे की थी। इन सीटों पर जीत-हार का अंतर 20 हजार से भी कम वोटों का था। कम वोटिंग होने से ऐसी सीटों पर बहुत असर पड़ेगा और परिणाम किसी भी तरफ झुक सकता है। 

आमतौर पर अधिक वोटिंग होने से ऐसा संदेश जाता है कि यह परिवर्तन के लिए उमड़ी भीड़ है जबकि वोटिंग में उदासीनता बताती है कि वोटरों में इसके प्रति उत्साह नहीं, जिसे सत्ता पक्ष अपने लिए उम्मीद के रूप में देखता है। 

हाल के दिनों में तमाम दूसरे चुनावों को देखें तो हर चुनाव में वोटिंग में औसतन सात से दस फीसदी की वृद्धि होती रही है। ऐसे में इन दोनों ट्रेंड के बीच भी कई बार उलटे परिणाम देखने को मिले। 

इस बार कई राज्यों में वोटिंग 2014 के मुकाबले या तो कम हुई या लगभग उसी अनुरूप हुई। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से सभी राजनीतिक दलों ने वोटिंग के बाद अपनी रणनीतिक मीटिंग की और ग्राउंड से फीडबैक लिया। अब वोटिंग मूल रूप से हिंदी भाषी क्षेत्रों और शहरी इलाकों में होगी। यहां पहले ही बाकी जगहों के मुकाबले कम वोट डालने का ट्रेंड रहा है। ऊपर से मौसम विभाग की भविष्यवाणी है कि अगले कुछ दिनों में गरमी बढ़ने वाली है।

उत्साहित हैं महिला वोटर

एक ओर कम वोटिंग पर लोग चिंता जाहिर कर रहे हैं, तो दूसरी ओर एक बार फिर से महिला वोटरों ने अपना दमखम दिखाया है। पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में तो पुरुष वोटरों के मुकाबले महिलाओं ने छह से सात फीसदी तक अधिक वोट डाला है। 

हाल के वर्षों में यह फैक्टर चुनाव परिणाम के लिए टर्निंग पॉइंट बन गया है। अधिकतर चुनावों में इसका लाभ BJP को मिला भी है। इसकी वजह पिछले कुछ सालों में BJP सरकार की ओर से शुरू की गई कई कल्याणकारी योजनाएं हैं। ऐसे में महिला वोटर बढ़ने से सत्तारूढ़ खेमे में उत्साह का माहौल है। लेकिन यहां भी विपक्ष इसे रिवर्स ट्रेंड मान रहा है। इनका दावा है कि पिछली गलतियों से सीख लेते हुए उनकी राज्य सरकारों ने भी महिलाओं को कई लाभ दिए और उनपर आधारित योजनाएं शुरू कीं। 

विपक्षी खेमा पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में इसका लाभ पाने का दावा कर रहा है। हालांकि बिहार और पश्चिम बंगाल में पुरुष वोटरों के मुकाबले महिलाओं की अधिक वोटिंग को कुछ जानकार पलायन से भी जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि चूंकि इन राज्यों में अधिकतर पुरुष दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए चले जाते हैं, यहां महिलाएं ही बचती हैं वोट डालने के लिए। 

बहरहाल, आम चुनाव में इस इंटरवल के बाद सियासी क्लाइमेक्स अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ेगा, और जनता के मन में छुपे रहस्य पर से परदा 4 जून को ही हटेगा।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close