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शोक समाचारस्मृति

ये कनपुरिया “हरामी” कौन है… . आप नही जानते हैं तो आज ये जान लीजिए कि, सबको हंसाने वाला यह “अद्भुत हरामी” अब दुनिया में नहीं है…

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

बात यदि कनपुरिया भाषा में की जाए तो कानपुर का हरामीपना शब्द बहुत ही चर्चित है। जबकि हरामी शब्द का इस्तेमाल उसके लिए किया जाता है जिसका कोई बाप न हो। ऐसा ही एक कनपुरिया कलाकर जिसने अपनी धाक उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में जमा रखी थी वो हरामी आज अपने चाहने वालों को रूलाकर हमेशा के लिए चला गया। हरामी शब्द उसे इतना पसंद था कि उन्होंने अपने नाम के साथ उस जोड़ रखा था।

हम बात कर रहे हैं नौटंकी की दुनिया में मशहूर कलाकार रम्पत हरामी उर्फ रम्पत सिंह भदौरिया की जोकि यूपी में कानपुर के बगाही के रहने वाले थे। जिनको गुरुवार देर शाम हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार सुबह घर पर टहलते समय वह गिर गए थे। शाम को तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद परिजन उन्हें हैलट लेकर पहुंचे। चौथे दिन सोमवार को इलाज दौरान उनकी मत्यु हो गई। परिजनों के अनुसार, 62 वर्षीय रम्पत किडनी रोग से पीड़ित थे। वह डायलिसिस पर थे। मेडिसिन विभाग के डॉ. प्रियदः की देखरेख में इलाज चल रहा था।

35 साल पहले प्रतापगढ़ में एक नौटंकी कार्यक्रम के दौरान रम्पत सिंह भदौरिया की मुलाकात रानी से हुई। जौ बड़ी ही नखरे वाली थीं। दोनों ने कई बार साथ में स्टेज शो किए हैं। मजाक कब प्यार में बदल गया और रानी जीवनसाथी बन गई। यह शादी 1982 में कानपुर में ही हुई। 

हालांकि रंपत सिंह भदौरिया उर्फ करण उर्फ रम्पत हरामी कब एक कार्यक्रम दौरान बन गए उन्हे भी नही पता लगा। हालांकि उनकी पारवारिक पृष्ठभूमि पुलिस विभाग से रही है। पिता थानाध्यक्ष पद से रिटायर हुए थे। जबकि ऱम्पत खुद पिछले लगभग 35 वर्ष से कला के क्षेत्र से जुड़े हुए थे इनका अब तक कार्यक्रम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, लगभग भारत के अधिकांश हिन्दी भाषी राज्यों/ हिस्सों में आयोजित किया गया। हालांकि विदेश में एक भी कार्यक्रम नहीं कर पाये है।

नेटफ्लिक्स पर मूवी रिलीज होने के बाद पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला (Amar Singh Chamkila) को हर कोई जानने लगा है। लेकिन क्या आप रम्पत सिंह भदौरिया को जानते हैं? अगर नहीं, तो कभी रम्पत हरामी (Rampat Harami) का नाम तो सुना ही होगा। पेशे से नौटंकी कलाकार रम्पत ने डबल मीनिंग का तड़का लगाकर अलग ही पहचान बनाई। पांच दशक तक मंच पर नौटंकी करने वाले रम्पत के यूट्यूब पर भी लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं। रम्पत अब दुनिया में नहीं रहे। एक साल से डायलिसिस पर चल रहे रम्पत का कानपुर के हॉस्पिटल में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया। उनके नाम के पीछे हरामी लगने का भी किस्सा दिलचस्प है। 

कानपुर के कल्याणपुर में 1960 में जन्मे रम्पत सिंह भदौरिया ने नौटंकी में डबल मीनिंग संवाद और मंच पर अदाकारी से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई। पुलिस विभाग में सेवारत पिता के इकलौते बेटे रम्पत का मन शुरू से ही ऐक्टिंग और नौटंकी में रमता था। नौटंकी विधा में कई नामी कलाकारों के बीच पैर जमाकर अपनी पहचान बनाने वाले रम्पत ने बदलते वक्त के साथ कदमताल करते हुए मुकाम हासिल किया।

नौटंकी-प्रेम पर घर से निकाले गए

नौटंकी प्रेम के बीच पुलिसवाले पिता ने घर से निकाल दिया। फिर किशोरावस्था में ही वह नौटंकी कलाकार कृष्णा बाई के संपर्क में आए। उस समय दो मतलब वाली कॉमिडी की दुनिया में दादा कोंडके का नाम हर किसी की ज़ुबान पर था। रम्पत को दादा कोंडके का वो अंदाज़ भा गया। उनके कई कैसेट सुनने और देखने के बाद रम्पत ने तय किया कि वह भी डबल मीनिंग वाली कॉमिडी को ही अपनी कला में शामिल करेंगे।

नौटंकी सिंगर से ही कर ली लव मैरिज

साल 1983-84 से रम्पत सिंह भदौरिया ने मंच से डबल मीनिंग बातों वाली नौटंकी शुरू कर दी। उनकी लोकप्रियता शुरू हो गई और इसी बीच रम्पत ने नौटंकी सिंगर रानीबाला से लव-मैरिज कर ली। रानी बाला को भी मंच पर रम्पत के साथ डबल मीनिंग कॉमिडी करने में कोई झिझक नहीं हुई। दोनों दर्शकों के सामने डबल मीनिंग बातें कर कलाकारी चलाने लगे।

‘हरामी’ को अपने लिए खास मानते थे

रम्पत के नाम में हरामी जुड़ने का भी अपना किस्सा है। बताया जाता है कि प्रयागराज में करीब 30 साल पहले नौटंकी कलाकारों की एक प्रतियोगिता हुई। स्टेज पर आने वाले हर कलाकार की दर्शक खूब खिंचाई कर रहे थे। तभी अनाउंसर कुमान ने कहा- तमाम हरामियों के बाद अब रम्पत हरामी आ रहे हैं। रम्पत को शुरू में तो यह अच्छा नहीं लगा लेकिन वक्त के साथ वह इसे अपनी कामयाबी का हिस्सा मानने लगे। उनका कहना था कि सिर पर ताज तो हरामी की वजह से ही मिला है।

देशभर में फैलती गई रम्पत की धूम

बीती सदी का आखिर आते-आते रम्पत को खूब शोहरत हासिल हो गई। वह कानपुर और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, हरियाणा और महाराष्ट्र तक उनके शो हुए। उनके शो में बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती थी। वहीं एक बड़ा वर्ग ऐसा भी था जो छिपकर चोरी से उन्हें सुनता था। वक्त के साथ उनका परिवार भी उनके काम को लेकर सहज हो गया।

डबल मीनिंग संवाद पर रम्पत की राय

वह डबल मीनिंग संवाद को नौटंकी की कला में रुचि बढ़ाने और नए तौर-तरीके से प्रस्तुत करने की बात कहते थे। रम्पत इसे लोगों को तनाव मुक्त करने का भी साधन बताते थे। उनके जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर उनके वीडियो उन्हें चहेतों के बीच जिंदा रखे हुए है।

रपंत केवल रंपत ही थे, उनके नाम से हरामी शब्द जुड़ना बाकी था…

प्रयागराज में करीब 30 साल पहले नौटंकी कलाकारों की एक प्रतियोगिता हुई थी स्टेज पर आने वाले हर कलाकार की दर्शक खूब खिंचाई कर रहे थे। कुमार साहब अनाउंसर थे।उन्होंने कहा तमाम हरामियों के बाद अब रम्पत हरामी आ रहे हैं। खूब तालियां बजीं। रम्पत और रानीबाला इस दौरान साथ थे। रम्पत को हरामी शब्द बुरा लगा लेकिन देखते ही देखते रम्पत हरामी के नाम से पहचाने जाने लगे थे रम्पत की कामयाबी में हरामी शब्द का सौ फ़ीसदी योगदान है।’रम्पत की शोहरत बढ़ती गई। नब्बे और दो हज़ार के दशक में उनका जादू सिर चढ़कर बोलने लगा। इस दौर में समाज का एक वर्ग दोहरे अर्थों वाली कॉमिडी से परहेज़ करता था। लेकिन कुछ लोग इसे गुपचुप देखते और ख़ूब पसंद करते। रम्पत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बंगाल, बिहार, असम और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में कॉमिडी करने लगे वह स्टेज पर आने के पहले अपना कोई डायलॉग नहीं लिखते न ही पहले किसी से कोई ख़ास बातचीत होती है। बस स्टेज पर आते ही डायलॉग बोलने शुरू कर देते थे उनकी पत्नी रानीबाला या कोई अन्य महिला कलाकार जवाब देती।

रंपत को कॉमिडी करते हुए चार दशक हो गए थे इस दौरान नौटंकी में क्या फर्क आया है..?

रम्पत की ‘पहले कॉमेडी बिल्कुल फूहड़ और अश्लील होती थी। लेकिन, बदलते वक़्त में डायलॉग बदले हैं। अब दो अर्थों वाली कॉमिडी इशारों में होती है। रम्पत अपने दर्शकों को देखकर अपने डायलॉग्स की टोन सेट करते हैं। मसलन शो गांव में है तो संवाद डबल मीनिंग वाले होंगे लेकिन शहर या किसी सरकारी कार्यक्रम में होने वाले नौटंकी प्रोग्राम में डायलॉग कुछ हद तक शालीन होते रहे हैं। रम्पत को ये तक नहीं याद था कि उन्होंने करीब 40 साल में कितने प्रोग्राम कर दिए। वह हर साल औसतन 50-60 शो करते थे। उनका नाम सुनते ही हिंदी बेल्ट में गांव-गांव भारी भीड़ उमड़ती थी। उत्तर प्रदेश के रायबरेली में उनका शो था। वहां हज़ारों की भीड़ पहुंचती है रम्पत के डबल मीनिंग वाले संवादों को सुनकर कहीं जनता बेकाबू न हो जाए इसके लिए आयोजकों ने पुलिस फोर्स का इंतज़ाम किया था। रम्पत हरामी नाम के यूट्यूब चैनल पर कई विडियो को लाखों-करोड़ों लोगों ने देखा है। उनका पसंदीदा शो है। कुत्तों का इलेक्शन।

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हटो व्योम के मेघ पंथ से स्वर्ग लूटने हम आते हैं

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