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26 December 2024 8:21 pm

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भारत के “रतन”, “टाटा” कह गए ; 86 साल की उम्र में मुंबई के अस्पताल में निधन

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टिक्कू आपचे की रिपोर्ट

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे गंभीर हालत में उपचाराधीन थे और पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में गहन चिकित्सा कक्ष में थे। 86 वर्षीय रतन टाटा सोमवार को अपनी उम्र और संबंधित चिकित्सा स्थितियों के कारण नियमित चिकित्सा जांच से गुजर रहे थे।

इस सप्ताह की शुरुआत में उनके अस्पताल में भर्ती होने की कई रिपोर्टें सामने आईं, लेकिन रतन टाटा ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वह अपनी उम्र और संबंधित स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण नियमित चिकित्सा जांच करवा रहे हैं।हालांकि, चिंताएं बढ़ गईं क्योंकि रिपोर्टों से पता चला कि उनकी हालत बिगड़ गई है। रतन टाटा ने सोमवार को अपने स्वास्थ्य के बारे में अफवाहों को दूर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और कहा, “चिंता की कोई बात नहीं है। मैं अच्छे मूड में हूं।” टाटा ने बताया कि उनकी चिकित्सा जांच नियमित थी और उन्होंने लोगों और मीडिया से गलत सूचना फैलाने से बचने को कहा।

रतन टाटा भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन थे। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, भारत में हुआ था। रतन टाटा का परिवार टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में और उच्च शिक्षा अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से की, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर और निर्माण प्रबंधन की पढ़ाई की।

करियर की शुरुआत

रतन टाटा ने 1961 में टाटा समूह में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने पहले टाटा स्टील में एक कामकाजी कर्मचारी के रूप में कार्य किया और धीरे-धीरे विभिन्न पदों पर आगे बढ़ते गए। 1991 में, वे टाटा समूह के चेयरमैन बने, और उनके नेतृत्व में समूह ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शुरू कीं।

नेतृत्व में प्रमुख उपलब्धियाँ 

रतन टाटा के समय में, टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर विस्तार किया। उन्होंने समूह की कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाईं।

उत्पाद विविधीकरण 

उन्होंने टाटा समूह को विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार करने के लिए प्रेरित किया, जैसे कि टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), टाटा पावर और टाटा कैफे।

नवाचार और अनुसंधान 

रतन टाटा ने नवाचार को बढ़ावा दिया, जैसे कि 2008 में लॉन्च की गई टाटा नैनो कार, जिसे विश्व की सबसे सस्ती कार माना गया।

सामाजिक उत्तरदायित्व 

टाटा समूह ने समाज में योगदान के लिए कई पहलों को शुरू किया। रतन टाटा ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्व भी निभाया जाए।

पुरस्कार और सम्मान

रतन टाटा को उनके व्यवसायिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुरस्कार हैं:

पद्म भूषण (2008), पद्म विभूषण (2000), एनआरआई वर्ल्ड अचीवर्स अवार्ड (2009), 

व्यक्तिगत जीवन

रतन टाटा का व्यक्तिगत जीवन काफी साधारण है। उन्होंने शादी नहीं की है और उनकी कोई संतान नहीं है। वे अक्सर अपने शौक जैसे कि विमान उड़ाना और जानवरों की देखभाल करने का उल्लेख करते हैं। वे एक परोपकारी व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते हैं, जो समाज के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

रतन टाटा का प्रभाव भारतीय उद्योग और समाज पर गहरा है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल व्यवसाय में बल्कि समाज में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें एक प्रतिष्ठित और प्रेरणादायक व्यक्ति बना दिया है। आज भी, वे उद्योग और समाज के विकास में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।

रतन टाटा भारतीय उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति हैं, जिन्होंने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का पद संभाला था। टाटा संस में अपने नेतृत्व के दौरान, उन्होंने टेटली, कोरस और जगुआर लैंड रोवर जैसी कंपनियों का अधिग्रहण करके टाटा समूह को मुख्य रूप से घरेलू कंपनी से वैश्विक पावरहाउस में बदल दिया।

उनके नेतृत्व में, टाटा वास्तव में 100 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के वैश्विक व्यापार साम्राज्य में विकसित हुआ। दिसंबर 2012 में टाटा अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए और उनके स्थान पर साइरस मिस्त्री ने पदभार संभाला, जिनका 2022 में एक कार दुर्घटना में निधन हो गया।

News Desk
Author: News Desk

Kamlesh Kumar Chaudhary

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