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शोक समाचार

कजरी को नई पहचान दिलाने वाली पद्मश्री अजीता श्रीवास्तव का 70 वर्ष की आयु में निधन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट

प्रसिद्ध कजरी लोकगीत गायिका अजीता श्रीवास्तव का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। मिर्जापुर की इस लोकगायिका ने कजरी संगीत को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई। 

पिछले कुछ महीनों से वे बीमार चल रही थीं और उनके लिवर में संक्रमण की समस्या थी। उनके भतीजे जय श्रीवास्तव ने उनके निधन की पुष्टि की। उनके निधन से मिर्जापुर और कजरी संगीत प्रेमियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है।

कजरी लोकगीतों को नई पहचान

अजीता श्रीवास्तव ने कजरी लोकगीतों को एक नई पहचान दी। वाराणसी में जन्मी अजीता ने प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर की शिक्षा प्राप्त की और गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी.एड. और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री हासिल की। विवाह के पश्चात वे मिर्जापुर में स्थायी रूप से बस गईं और यहीं से उन्होंने कजरी लोकगीतों को नई पहचान दिलाई।

40 वर्षों का शिक्षण और संगीत सेवा

अजीता श्रीवास्तव ने 1980 में ऑल इंडिया रेडियो, वाराणसी से अपने गायन करियर की शुरुआत की। वे आकाशवाणी, दूरदर्शन, संगीत नाटक अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और कई अन्य संस्थानों से जुड़ी रहीं। 2017 में वे आर्य कन्या इंटर कॉलेज से 40 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुईं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने कजरी लोकगीतों के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा समय समर्पित कर दिया।

पुरस्कार और सम्मान

अजीता श्रीवास्तव को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2017 में उन्हें उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2022 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 

कजरी लोकगीतों की परंपरा

कजरी लोकगीतों की परंपरा उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में सदियों पुरानी है। सावन के महीने में गाए जाने वाले कजरी गीतों में विरह का मार्मिक वर्णन होता है, वहीं कुछ गीतों में श्रृंगार रस और प्रकृति का सुन्दर चित्रण होता है। अजीता श्रीवास्तव ने वाराणसी से कजरी गाने की शुरुआत की और अपने गुरु पं. महादेव मिश्र के मार्गदर्शन में इस संगीत शैली को आगे बढ़ाया। 

कजरी का मान बढ़ाने के लिए मिला पद्मश्री

कजरी गायन की परंपरा को जीवित रखने और इसे देश-विदेश में पहचान दिलाने के उनके योगदान के कारण उन्हें 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। अजीता श्रीवास्तव के अनुसार, इस सम्मान ने कजरी संगीत का मान बढ़ाया है और इसे वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई है।

अजीता श्रीवास्तव के निधन से कजरी संगीत को अपूरणीय क्षति हुई है। उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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