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कविता

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में “कन्या भ्रूण का मर्म”

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– बल्लभ लखेश्री

मैं अबला नहीं हूं मां ,
सबला बन के दिखलाऊंगी।
मैं किसी से कम नहीं हूं मां,
हर अवसर पर दिखलाऊंगी ।
नारी ही नारी की ताकत हूं ,
नारी ही नारी की तकदीर हूं।
आने दो मुझे आंचल में मां,
मैं नए युग की तस्वीर हूं ।
मैं कदम कदम पर तेरी ,
परछाया बनूंगी मां ।
तुम ही तो नारी हो मां,
मैं तेरा साया बनूंगी ।
बेटी बोझ नहीं है बस ,
खुद पर विश्वास करो मां।
महकूंगी जमानों तलक ,
बस थोड़ा प्रयास करो मां ।
एक बार चुप्पी तोड़ दो मां ,
मैं जमाना को झुकाऊंगी।
मुझे जन्म और जीवन दों ,
मैं नव सृष्टि रचाऊंगी ।
आने दे मैं गर्भ का गौरव हूं,
दुनिया को बतलाऊंगी मां ।
मैं अबला नहीं हूं मां ,
सबला बन के दिखलाऊंगी ।

बल्लभ लखेश्री
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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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जिद है दुनिया जीतने की
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