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कविता

कविता महक बिखेरती…..??

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⏺️ प्रमोद दीक्षित मलय

कविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र।
जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।।

कविता महक बिखेरती, कविता है जलजात।
बिन कविता के जग लगे, श्वास रहित ज्यों गात।।

गीत सोरठा मनहरण, दोहा रोला छंद।
चौपाई हरिगीतिका, श्रोता करें पसंद।।

हिम सा शीतल शांत है, कभी धधकती आग।।
विजयशालिनी अस्त्र है, कविता मन का राग।।

कविता जो जन रच रहे, रहते सदा प्रसन्न।
दुख पीड़ा संताप से, कभी न होते खिन्न।

कलुष कुभावों से बचा, करती है कल्याण।
कविता मानस में भरे, प्रमुदित प्रेरक प्राण।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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जिद है दुनिया जीतने की
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