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November 1, 2024 1:59 pm

कविता ; माँ तेरा नाम   

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संदीप कुमार जैन

 माँ तेरा नाम ,

जब कभी आता है मेरी जुबां पर , एहसास कराता है मुझे तेरे बेटे होने का ,

अहसास कराता है मेरे कारण उठाए गए कष्टों का 

ममता भरा आंचल , जिसकी छांव में कभी देखी नहीं तपन

बस एक सुखद अनुभव मिलता रहा है मुझे हर पल।

तेरे हाथों का वह दर्द निवारक स्पर्श ,

याद आता है मुझे जब कभी 

मेरे अंतर्मन को हिला कर रख देता है ,

याद दिलाता रहता है तेरे उपकार के प्रति अपना जीवन निछावर करने की , 

अपने कर्तव्य को निभाने की 

 मगर तेरे एहसानों  का कोई मूल्य नहीं 

तेरे हृदय प्रेम एवं संतान के प्रति स्नेह की कीमत कौन चुका पाया है आज तक ?

बस एहसास होता है जब कभी जुबां पर आता है  ,  माँ तेरा नाम  ।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."