google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
साहित्य

‘हर दौर में अनारकली’… पढिए आज के दौर की “अनारकली”… 

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
98 पाठकों ने अब तक पढा

निर्मल असो

राजेंद्र राजन की किताब ‘हर दौर में अनारकली’ एक साहित्यिक यात्रा की तरह है, जिसमें लेखक ने विभिन्न व्यक्तित्वों, घटनाओं और विषयों की छानबीन की है। यह किताब उन कहानियों, संस्मरणों और यात्रा वृतांतों का संग्रह है जो लेखक की खुद की खोज और साहित्यिक दृष्टिकोण का हिस्सा हैं।

राजन ने इस पुस्तक में हिमाचली समाज, शिमला, लाहौर और बॉलीवुड के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए कश्मीर के आंसू से लेकर राष्ट्रगान के रचयिता तक की यात्रा की है। उन्होंने शांता कुमार के मेघदूत से लेकर कालिदास के काव्य तक की चर्चा की है और यशवंत सिंह परमार की सोच और योगदान पर प्रकाश डाला है। इसके अलावा, वे कई महत्वपूर्ण साहित्यिक हस्तियों की खोज में भी शामिल रहे हैं, जैसे कि यशपाल और मौलाना हसरत मोहनी, जिनके योगदान और विचारों को उन्होंने कमलेश्वर के उपन्यास ‘कितने पाकिस्तान’ के संदर्भ में उजागर किया है।

‘हर दौर में अनारकली’ में राजेंद्र राजन ने साहित्यिक हस्तियों के बीच रिश्तों, उलझनों और विचारों के विविध रंगों को चित्रित किया है। उन्होंने चेखव, प्रेमचंद, मुक्तिबोध, निराला और निर्मल वर्मा के साहित्यिक योगदान की चर्चा की है और इन लेखकों के विचारों में आक्रोश और आग को भी उजागर किया है। राजन ने यह भी बताया है कि संपादक का रुतबा लेखकों के लिए एक प्रकार का डर और घबराहट पैदा कर सकता है, जिससे वे समाज को बदलने या राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए संजीदा होते हैं।

राजेंद्र राजन की किताब में वे महाराज कृष्ण काव, केशव, तुलसी रमण और बद्री सिंह भाटिया जैसे साहित्यकारों के जीवन और संघर्ष की भी चर्चा करते हैं। वे अपनी आत्मकथा और व्यक्तिगत अनुभवों को भी साझा करते हैं, जिसमें उनके जीवन की कठिनाइयों और उनकी साहित्यिक भूख का वर्णन है। 

उनकी यह पुस्तक साहित्य की विभिन्न प्रवृत्तियों और ऐतिहासिक घटनाओं के प्रति एक गहन और विविध दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। राजन ने इसे एक तरह से ‘गागर में सागर’ के रूप में प्रस्तुत किया है, जहां पाठक विभिन्न व्यक्तित्वों और विचारों को एक ही संदर्भ में देख सकते हैं।

यह किताब उन सभी के लिए एक अमूल्य स्रोत है जो साहित्य और इतिहास के गहरे पहलुओं में रुचि रखते हैं और राजेंद्र राजन की दृष्टि से उन्हें एक नई समझ प्राप्त कर सकते हैं।

पुस्तक विशेष : हर दौर में अनारकली
संयोजन-संकलन : राजेंद्र राजन
प्रकाशक : विजया बुक्स, दिल्ली
मूल्य : 350 रुपए

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close