प्रमोद दीक्षित मलय
जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार।
औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।।
तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत।
पोषण-सुख देते सदा, जीवन मधुरिम जीत।।
पेड़ों को मत काटिए, देते सुखकर छांव।
पेड़ बिना जीवन कहां, बंजर धरती गांव।।
पौधों से जो जन करें, संतति सा व्यवहार।
सुख, शांति संतुष्टि मिले, जीवन सदाबहार।।
विटप धरा के फेफड़े, प्राणवायु शुभ गीत।
वंशी सा बजता रहे, तन मोहक संगीत।।
जीवन उपवन सा खिले, उर महके दिन-रात।
चहुंदिशि खुशियां मधु मिले, नूतन सुखद प्रभात।।
••
90 पाठकों ने अब तक पढा
इसे भी पढें निशुल्क चिकित्सा परामर्श शिविर एवं समाजसेवी व डॉक्टरों का सम्मान समारोह संपन्न
Powered by Inline Related Posts
[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]