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November 22, 2024 9:43 am

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“मैं अविवाहित हूँ….लेकिन कुंआरा नहीं..’’ बेनाम प्यार के नामी नायक, न विचलित ना ही व्यथित, वो थे ‘अटल’ रहे सदैव ‘अटल’ 

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आत्माराम त्रिपाठी की खास रिपोर्ट

आज-25 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है। पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। आज हम सुनाएंगे वाकपटुता में माहिर अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा।

शादी को लेकर अटल बिहारी वाजपेयी से सबसे ज्यादा सवाल पूछा जाता था। इसे लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब काफी चर्चित है। दरअसल, शादी को लेकर किए एक सवाल पर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “मैं अविवाहित हूं… लेकिन कुंवारा नहीं।”

एक बार एक पार्टी में एक महिला पत्रकार ने अटल से सवाल किया कि, “वाजपेयी जी आप अब तक कुंवारे क्यों हैं?” इस पर उन्होंने जवाब दिया, “आदर्श पत्नी की खोज में।” महिला पत्रकार ने फिर पूछा, “क्या वह मिली नहीं?” वाजपेयी ने जवाब दिया, “मिली तो थी लेकिन उसे भी आदर्श पति की तलाश थी।”

अधिकतर लोग ये जानते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी शादी नहीं की। पर बहुत कम लोग जानते हैं कि मिसेज कौल प्रधानमंत्री आवास में उनके साथ रहती थीं, लेकिन पत्नी के दर्जे से नहीं। कहा जाता है कि इस प्यार की कहानी को कभी कोई नाम नहीं मिल सका। 

1978 में वाजपेयी विदेश मंत्री थे। वह चीन और पाकिस्तान से लौटकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। इसी दौरान पत्रकार उदयन शर्मा ने पूछा, “वाजपेयी जी, पाकिस्तान, कश्मीर और चीन की बात छोड़िए और ये बताइए कि मिसेज़ कौल का क्या मामला है?” कौल पर दिया दिलचस्प जवाब : कौल को लेकर पूछे सवाल को सुनकर हर कोई खामोश हो गया। सबकी नजरें अब अटल बिहारी वाजपेयी पर जाकर टिक गईं थी। कुछ देर चुप रहने के बाद अटल बिहारी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “कश्मीर जैसा मसला है।”

एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जनसंघ की आलोचना की। इस पर अटल ने कहा, “मैं जानता हूं कि पंडित जी रोज़ शीर्षासन करते हैं। वह शीर्षासन करें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी न देखें। इस बात पर नेहरू भी ठहाका मारकर हंस पड़े थे।”

यह बात है अस्सी के दशक की। तब इंदिरा गांधी देश की पीएम थीं। अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटना को लेकर पदयात्रा कर रहे थे। वाजपेयी के मित्र अप्पा घटाटे ने उनसे पूछा, “पदयात्रा कब तक चलेगी?” अट ने उत्तर दिया, “जब तक पद नहीं मिलता, यात्रा चलती रहेगी।”

वर्ष 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने बिहार पहुंचे. उन्होंने मंच से कहा, “मैं अटल हूं और बिहारी भी हूं।” यह सुनकर लोगों ने खूब तालियां बजाईं। (ये क़िस्से अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी किताब ‘हार नहीं मानूंगा: एक अटल जीवन गाथा’ से लिए गए हैं।)

अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Jayanti) का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अत: काव्य लिखने की कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। 

वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जनसंघ के नाम से जाना जाता था।

वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।

वाजपेयी जी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई। 

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परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों से बिना डरे वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया। इसकी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को भनक तक नहीं लग पाई। अटल जी नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल ही पहले विदेशमंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। 

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी (Prime Minister of India) में कई खूबियां थी। वे अपनी पार्टी का नेता हो या विरोधी पार्टी का, सबको साथ लेकर चलने की खूबी उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती थी। यही कारण था कि उन्हें अजातशत्रु भी कहा जाता था।

उन्हें भारत के प्रति निस्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया। आजीवन अविवाहित रहे अटलजी को अटलजी को 2015 में सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी।

किडनी संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee Death) जी का निधन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 16 अगस्त 2018 को हो गया था।

वे एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। 

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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