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November 2, 2024 9:01 am

आखिर बहन जी को ये क्या हो गया है कि एक के बाद एक कई नेताओं की करती जा रही हैं छुट्टी…

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आत्माराम त्रिपाठी की खास रिपोर्ट 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ने इस साल एक के बाद एक कई नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा दिया है। बसपा प्रमुख मायावती की ओर से लिए गए फैसलों की अब चर्चा होने लगी है। जून 2023 से अब तक पार्टी से तीन प्रमुख नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। बसपा ने प्रशांत गौतम, इमरान मसूद और धर्मवीर चौधरी जैसे नेताओं को अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में पार्टी से बाहर कर चुकी है। बसपा सूत्रों का कहना है कि मायावती के इन फैसलों से कैडर में असंतोष की स्थिति पैदा हो रही है।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दल में कई बुराइयां हैं, जिनमें से एक है निराधार तरीकों से नेताओं को निष्कासित करना। 2016 के बाद से पार्टी ने कई नेताओं को अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी कार्यों के लिए निष्कासित कर दिया है। गाजियाबाद के जाट नेता धर्मवीर चौधरी को पार्टी की ओर से मीडिया और टीवी बहस में भाग लेने के लिए निष्कासित कर दिया गया था। वे 27 सालों से पार्टी से जुड़े हुए थे। सहारनपुर के प्रभावशाली मुस्लिम नेता इमरान मसूद को राहुल गांधी की प्रशंसा के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

इमरान को खुद माया ने धूमधाम से जॉइन कराया था

इमरान मसूद को तो खुद मायावती ने अक्टूबर 2022 में बड़े धूमधाम से पार्टी में शामिल किया था। उन्हें केवल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की तारीफ करने के बाद निष्कासित कर दिया गया। दूसरी ओर, मेरठ के वरिष्ठ नेता प्रशांत गौतम को पार्टी प्रमुख मायावती को खुला पत्र लिखने के आरोप में निकाला गया। मई में यूपी के नगर निकाय चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पत्र लिखा था, जिसमें कहा था कि मायावती को सीएम योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरह पार्टी नेताओं के लिए प्रचार करना चाहिए था।

निष्कासन की सूची लंबी

बसपा से निकाले गए नेताओं की सूची काफी लंबी है। इसमें स्वामी प्रसाद मौर्य, आरके चौधरी, इंद्रजीत सरोज, बृजलाल खाबरी, ठाकुर जयवीर सिंह, एसपी सिंह बघेल, ब्रजेश पाठक, धर्म सिंह सैनी, राम अचल राजभर, लालजी वर्मा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय और नकुल दुबे शामिल हैं। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि आज पार्टी के पास कई जाति समूहों से कोई भी प्रमुख नेता नहीं बचा है, क्योंकि लापरवाही से निष्कासन किया गया है।

पार्टी नेता के अनुसार, बसपा सुप्रीमो मायावती के पास सलाहकारों का एक समूह है, जिन पर वह पार्टी संगठन चलाने के लिए भरोसा करती हैं। वह ऐसी नेता नहीं हैं, जो जमीन से जुड़ी रहती हैं। उन्होंने कहा कि यह उन्हें कई मौकों पर पार्टी पर प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया से दूर रखता है।

दानिश अली का गरमाया मामला

ताजा विवाद पार्टी के अमरोहा सांसद दानिश अली से जुड़ा है। संसद में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की ओर से उनके खिलाफ की गई विवादित टिप्पणी पर पार्टी की प्रतिक्रिया के तरीके पर नेताओं का एक वर्ग पहले से ही सवाल उठा रहा है। विवाद के बाद मायावती ने एक्स पर हल्की टिप्पणी की थी। बसपा के किसी भी वरिष्ठ नेता ने राहुल गांधी की तरह दानिश अली से मुलाकात नहीं की।

लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन से दूर रहने का फैसला करने वाली मायावती ने पहले ही अपनी पार्टी के लोगों को बेहतर विकल्प तलाशने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि इससे आने वाले दिनों में कुछ और निष्कासन हो सकते हैं। की

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."