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November 23, 2024 12:04 am

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कैंसर कीमोंप्रीवेंशन एवं कीमोथेरेपी विषयक व्याख्यान का आयोजन

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इरफान अली लारी की रिपोर्ट 

देवरिया। मदन मोहन मालवीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटपार रानी देवरिया में कैंसर कीमोंप्रीवेंशन एवं कीमोथेरेपी विषयक व्याख्यान का आयोजन हुआ।

संगोष्ठी में मुख्य वक्ता तथा मुख्य अतिथि के रूप में जेएनयू के जीवन विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह रहे। संगोष्ठी का आरंभ महाविद्यालय के प्राचार्य एवं संस्थान के प्रबंधक व वरिष्ठ भाजपा नेता राघवेंद्र वीर विक्रम सिंह इस इस दुर्लभ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को लेकर विद्वतजनों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार प्रकट किया।

वरिष्ठ आचार्य डॉ कमलेश नारायण मिश्र द्वारा विशिष्ट अतिथि हरिशंकर गोविंदराव के माल्यार्पण एवं स्वागत से हुआ। डॉ मनोज कुमार ने सारांश रूप में कैंसर के विभिन्न पक्षों को बताया।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सतीश चंद्र गोंड ने डॉ राणा प्रताप सिंह को अंग वस्त्र तथा संगोष्ठी के संयोजक प्रोफेसर सुधीर कुमार शुक्ल ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने कैंसर के विभिन्न कारक तत्व बचाव एवं निदान पर व्यापक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैंसर का पता चलता है जब रोग चतुर्थ या पंचम अवस्था में होती है। उन्होंने बताया कि कोशिकाओं के आंतरिक नियंत्रण व्यवस्था में बदलाव तथा डी एन ए रिपेयर जीन, टयूमर जीन में बदलाव व म्यूटेशन के कारण कैंसर होता है। उन्होंने बताया कि 90% कैंसर के कारण का पता नहीं चलता है फिर भी 90% कैंसर के रोगियों को बचाया जा सकता है। कैंसर करने वाले रसायनों खासकर पेस्टिसाइड्स तथा रेडिएशन के प्रभाव को छात्रों को समझा समझाने के लिए उन्होंने चेर्नोबिल, हिरोशिमा तथा नागासाकी में रेडिएशन से होने वाले दुष्परिणामों की चर्चा की। उन्होंने अपने व्याख्यान में बठिंडा, पंजाब से गंगानगर, राजस्थान चलने वाली कैंसर एक्सप्रेस ट्रेन तथा स्थानीय पकडी बाबू गांव में कैंसर के प्रसंग की चर्चा की। उन्होंने यह भी बताया कि कैंसर निदान के परंपरागत तरीके कीमोथेरेपी का दुष्परिणाम रोगी में सेकेंडरी कैंसर उत्पन्न करता है, जिसको बायस्टेंडर प्रभाव कहा जाता है। इस प्रभाव से बचने के लिए आजकल कीमोंप्रीवेंशन पद्धति अपनाया गया है, जिसमें साक -सब्जियों तथा फलों से प्राप्त होने वाले फाइटोकेमिकल्स यथा फ्लेवोनॉयड्स का प्रयोग लाभकारी पाया जा रहा है। कैंसर के निदान के लिए उन्होंने प्रोटोन थेरेपी तथा स्टेमसेल थेरेपी की भविष्य में सफलता की कामना की। उन्होंने अनेक स्लाइडों के माध्यम से कैंसर में होने वाली जटिल प्रक्रियाओं को सहज ढंग से समझाया। व्याख्यान के अंत में उन्होंने जेएनयू कैंपस के बारे में विस्तार से छात्रों को बताया और वहां की नामांकन प्रक्रिया को समझाया। अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में विज्ञान संकाय के छात्र एवं छात्राएं, प्रोफेसर डीपी मिश्र, प्रोफेसर राम अवतार वर्मा, डॉ राकेश कुमार, डॉ दिनेश शर्मा, डॉक्टर अमीरलाल सिंह, डॉक्टर मनीष कुमार त्रिपाठी, डॉ रवि सिंह, डॉक्टर अधोक्षजानंद ओझा तथा डॉक्टर श्रीनिवास मिश्र आदि के साथ प्रवीण कुमार शाही एवं कार्यालय अधीक्षक शिव प्रसाद अपने सहयोगियों के साथ उपस्थित रहे।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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