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मिर्जापुर

विदेशों में रसोई की शान बनने वाले यूपी के इस टमाटर को क्यों किसान खेतों में फैंकने को हुए मजबूर ?

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले का टमाटर कभी विदेशों में जाया करता था। वर्तमान समय में स्थिति यह है कि किसानों के टमाटर का कोई खरीददार नही है। यहां पर किसान खेतों में ही टमाटर तोड़कर फेंक दे रहे है। एक तरफ जहां जिले के किसान पहले मौसम की मार झेल गए, अब दूसरी ओर टमाटर की बिक्री नही होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई है।

​20 हजार हेक्टेयर में हुई है टमाटर की खेती

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में इस वर्ष वर्ष 20 हेक्टेयर में टमाटर की खेती हुई है, जहां लगभग 6 लाख मीट्रिक टन टमाटर का उत्पादन हुआ है। टमाटर का उत्पादन अधिक हो जाने के बाद दाम कम हो गया जिले में टमाटर का भाव 30 से 40 रुपये प्रति कैरेट हो गया है। पिछले साल जनवरी में यह भाव 300 रुपये प्रति कैरेट था, लेकिन इस बार टमाटर का उत्पादन अधिक हो जाने और मांग घटने से किसानों की टमाटर की बिक्री नही हो रही है। हाल यह हो गया है किसान खेत में टमाटर को तोड़कर पशुओं को खिला दे रहे है। बाजार में 5 से 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से फुटकर बिक्री हो रही है।

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एक रुपये किलो बिकने में भी मुसीबत​

राजगढ़ क्षेत्र के खोराडीह, चन्दनपुर, कर्मा, चित विश्राम, कुड़ी, इंदिरानगर सहित अन्य इलाकों में एक रुपये में टमाटर बिक रहा है। किसान को टमाटर का सही भाव नही मिलने से नाराज होकर पशुओं को खिलाना शुरू कर दिया है। इंदिरा नगर के रहने वाले किसान सुरेंद्र ने बताया कि इस वर्ष लगभग 20 बीघा में टमाटर की खेती की, लेकिन फायदा होने की बजाय नुकसान ही हो गया। इस बार न लागत निकल पाई और ना ही मुनाफा हो सका। जिले में बारिश न होने से किसानों ने धान की बजाय टमाटर की खेती की, लेकिन अब टमाटर का न सही दाम मिल रहा है और न ही नही पर पूछ है।

क्यों आई ऐसी समस्या?

जिला उद्यान अधिकारी मेवाराम ने बताया कि इस बार किसानों ने 20 हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती की है, जो गत वर्ष की अपेक्षा अधिक है।

इस बार खेती अधिक होने के साथ पैदावार भी ज्यादा हुआ है। जिसकी वजह से किसानों के सामने ऐसी समस्या आ रही है। टमाटर की मांग कम है और पैदावार अधिक हो गया है।

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