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19 January 2025 12:05 am

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दो बूंद दूध की लूट: मिड डे मील में बच्चों के अधिकारों पर भ्रष्टाचार का कड़वा सच

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में सरकारी स्कूलों में मिड डे मील (एमडीएम) के तहत बच्चों को पौष्टिक भोजन देने की योजना में लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जमालपुर विकासखंड के ग्राम सभा हिनौता स्थित कंपोजिट विद्यालय में मिड डे मील में दूध वितरण में गंभीर अनियमितता पाई गई। स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका सरिता देवी पर आरोप है कि उन्होंने 150 बच्चों के लिए केवल 2 लीटर दूध का इंतजाम किया और इसी में पूरा दूध वितरण निपटा दिया।

घटना का खुलासा ग्रामीणों ने किया

घटना 4 दिसंबर की है, जब स्कूल में बच्चों को दूध दिए जाने की व्यवस्था थी। प्रभारी प्रिंसिपल सरिता देवी एक बर्तन में दूध लेकर बच्चों को बांटने की तैयारी में थीं। इसी दौरान कुछ अभिभावकों और गांववालों ने स्कूल का दौरा किया और दूध की मात्रा को लेकर सवाल खड़े किए। जब उनसे पूछा गया कि बच्चों को कितने लीटर दूध दिया जा रहा है, तो सरिता देवी ने 3 लीटर दूध होने का दावा किया।

लेकिन जब ग्रामीणों ने दूध की सही मात्रा की जांच की, तो केवल 2 लीटर दूध ही पाया गया। इस दूध को 150 बच्चों में बांटा जा रहा था, जो कि योजना के मानकों के विपरीत है। मिड डे मील के तहत कक्षा 1 से 5 के बच्चों को 150 ग्राम दूध और कक्षा 6 से 8 के बच्चों को 200 ग्राम दूध देने का प्रावधान है।

वीडियो वायरल होते ही प्रशासन ने लिया एक्शन

घटना का वीडियो ग्रामीणों ने बना लिया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) देवमणि पांडेय ने मौके पर पहुंचकर जांच की और रिपोर्ट बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) अनिल कुमार को सौंपी।

बीएसए अनिल कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापिका सरिता देवी को तत्काल निलंबित कर दिया। उन्होंने बताया कि मामले की विस्तृत जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है। जांच में दोष सिद्ध होने पर सरिता देवी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मिड डे मील में भ्रष्टाचार पर सवाल

यह घटना मिड डे मील योजना की पारदर्शिता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह पहली बार नहीं है जब मिड डे मील में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई हैं। ऐसे मामलों से बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर नकारात्मक असर पड़ता है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, जांच के नतीजे आने के बाद दोषी पाए जाने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी।

इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र और शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है। बच्चों के पोषण से जुड़े इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में किसी भी तरह की लापरवाही न सिर्फ सरकारी योजनाओं को विफल करती है, बल्कि समाज के सबसे नाजुक वर्ग – बच्चों – को भी नुकसान पहुंचाती है।

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