अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक अनोखा मामला सामने आया, जहां 27 वर्षों से लापता व्यक्ति जब अचानक अपने घर लौटा, तो पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। परिजनों ने जिसे वर्षों पहले मृत मान लिया था, वह न सिर्फ जीवित निकला, बल्कि पूरे देश में विभिन्न तीर्थस्थलों की यात्रा करने के बाद संन्यासी जीवन व्यतीत कर रहा था।
संन्यास लेकर चले गए थे वृंदावन
मामला मिर्जापुर जिले के चुनार तहसील के जमालपुर का है। यहां के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता साल 1998 में घर छोड़कर संन्यासी बनने के उद्देश्य से बिना किसी को बताए वृंदावन चले गए थे। उनके अचानक गायब होने से परिवार में हड़कंप मच गया था। परिजनों ने उन्हें ढूंढने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। वक्त बीतता गया, और परिवारवालों ने उन्हें मृत मान लिया।
महाकुंभ में आई घर और मां की याद
27 साल तक संन्यासी जीवन बिताने के बाद अमरनाथ गुप्ता 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करने पहुंचे। वहां गंगा स्नान के बाद अचानक उन्हें अपने घर और माता-पिता की याद सताने लगी। इस भावनात्मक उथल-पुथल के बीच उन्होंने घर लौटने का निर्णय लिया और 15 फरवरी 2025 को सुबह-सुबह अपने गांव पहुंच गए।
परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं
अमरनाथ गुप्ता जब 27 साल बाद अपने घर पहुंचे, तो पूरा परिवार अवाक रह गया। उनकी पत्नी चंद्रावती उन्हें देखकर स्तब्ध रह गईं। पहले तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि यह वही अमरनाथ हैं, जो दशकों पहले घर छोड़कर चले गए थे। फिर धीरे-धीरे पूरे परिवार को यकीन हुआ और खुशी का माहौल बन गया।
अमरनाथ ने बताई अपनी संन्यासी यात्रा की कहानी
घर लौटने के बाद अमरनाथ गुप्ता ने अपनी पूरी जीवन यात्रा को साझा किया। उन्होंने बताया, “मैं 1998 में घर छोड़कर वृंदावन चला गया था। वहां से चारों धाम की यात्रा की और देश के विभिन्न तीर्थस्थलों पर भ्रमण किया। भजन-कीर्तन में ही जीवन व्यतीत किया। राम मंदिर निर्माण के दौरान कारसेवा में भी भाग लिया, जिसके चलते जेल भी गया था। अब जब राम मंदिर बन चुका है, तो हृदय में शांति महसूस होती है।”
उन्होंने आगे बताया कि “महाकुंभ में स्नान करने के बाद अचानक घर और माता-पिता की याद आई। मुझे लगा कि जीवन में एक बार अपने घर लौटकर परिजनों से मिलना चाहिए। इसलिए मैंने घर लौटने का फैसला किया। हालांकि, मैं अब भी संन्यासी जीवन ही जीना चाहता हूं।”
आर्थिक तंगी के चलते छोड़ा था घर
अमरनाथ गुप्ता ने बताया कि उन्होंने घर छोड़ने का फैसला अचानक नहीं किया था, बल्कि इसके पीछे कई कारण थे। उन्होंने बताया, “मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, और शारीरिक रूप से भी मैं कमजोर महसूस कर रहा था। जीवन में कई तरह की परेशानियां थीं। मन में बार-बार भजन-कीर्तन का विचार आता था, इसलिए मैं सब कुछ छोड़कर वृंदावन चला गया। बाद में राजस्थान और कुरुक्षेत्र में भी भजन-पूजन करते हुए जीवन व्यतीत किया।”
पत्नी चंद्रावती की संघर्ष भरी कहानी
अमरनाथ के घर छोड़ने के बाद उनकी पत्नी चंद्रावती को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया, “जब अमरनाथ घर छोड़कर चले गए, तब बच्चे बहुत छोटे थे। घर में कोई कमाने वाला नहीं था। बहुत मुश्किल समय था। मुझे अपनी बेटियों की शादी के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। किसी से मदद मांगनी पड़ी, कभी भीख भी मांगनी पड़ी। लेकिन मैं हमेशा भोले बाबा से प्रार्थना करती थी कि मेरे पति एक दिन लौट आएं।”
परिवार की प्रतिक्रिया और आगे की योजना
अमरनाथ गुप्ता के वापस लौटने के बाद पूरा परिवार खुशी से झूम उठा, लेकिन उनकी वापसी स्थायी नहीं होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह अब भी संन्यासी जीवन ही बिताना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “परिवार से मिलकर अच्छा लगा, लेकिन अब मैं फिर से अपने संन्यासी जीवन की ओर लौट जाऊंगा।”
परिजनों ने उनकी भावनाओं का सम्मान किया, हालांकि उनकी पत्नी और बच्चों की इच्छा थी कि वह यहीं रुकें और परिवार के साथ रहें।
27 साल बाद घर लौटे अमरनाथ गुप्ता की यह कहानी न सिर्फ भावनात्मक है, बल्कि यह दिखाती है कि संन्यास की ओर आकर्षित होने वाले लोग भी अपने परिवार और घर को पूरी तरह भुला नहीं सकते। वर्षों बाद भी उनके भीतर परिवार के प्रति प्रेम और जुड़ाव बना रहता है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की