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23 February 2025 10:15 pm

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‘मेरी हैसियत कहां जो उनसे शिकवा करुं…इधर छलका आज़म खान का दर्द उधर दौड़े चले गए अखिलेश, वीडियो ?

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जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

दिल्ली गंगाराम अस्पताल में एक दिन पहले ही आजम खान का दर्द छलका था। बोल उठे थे- मेरी हैसियत कहां जो किसी से कोई शिकवा करूं, कोई शिकायत करूं। सवाल था कि क्या आप अखिलेश यादव से नाराज या निराश हैं। आजम खान के दर्द छलकने के अगली ही दिन बुधवार को अखिलेश यादव उनसे मिलने दिल्ली के अस्पताल पहुंच गए। मुलाकात को आजम के साथ रिश्तों में आई कथित कड़वाहट को दूर करने की अखिलेश की कवायद मानी जा रही है। इससे पहले, आजम खान की जेल से रिहाई सुनिश्चित कराने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को सपा के समर्थन से राज्यसभा भेजे जाने की कसरत भी उनकी नाराजगी को दूर करने की ही कोशिश मानी गई। आखिर आजम और अखिलेश के रिश्तों में कड़वाहट की अटकलों को हवा क्यों मिल रही? आइए जानते हैं दोनों के रिश्तों के उतार-चढ़ाव की कहानी।

जब छलका आजम खान का दर्द

वक्त-वक्त का फेर है। कभी समाजवादी पार्टी में आजम खान की तूती बोलती थी। वक्त बदला। आजम खान पर कानून का शिकंजा कसता चला गया। फरवरी 2020 में वह गिरफ्तार हो गए। तबसे आजम खान और उनके परिवार के सितारे गर्दिश में चलने लगे। पत्नी और बेटा भी गिरफ्तार हुए। 27 महीने जेल में रहने के बाद आजम खान सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत के बाद 20 मई को बाहर आए। स्वागत के लिए जेल गेट के बाहर शिवपाल यादव तो खड़े थे लेकिन अखिलेश नदारद थे। दोनों के रिश्तों में खटास की पहले से चली आ रहीं अटकलें और जोर पकड़ लीं। बीमार आजम खान का मंगलवार को अस्पताल में दर्द भी छलका। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अब भी खुद को समाजवादी पार्टी का नेता मानते हैं तो वह बोल उठे- मैं नेता नहीं हूं। वर्कर था, वर्कर रहूंगा। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे आजम खान आज खुद को नेता भी मानने से इनकार कर रहे। दरअसल, ये दर्दबयानी ही नहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ उनके रिश्तों में आई तल्खी का भी नमूना था। जेल से बाहर आने के बाद आजम भले ही अखिलेश के खिलाफ कभी खुलकर न बोले हों लेकिन इशारों में कई बार वह अपनी नाराजगी का इजहार कर चुके हैं।

2020 में आजम खान जब गिरफ्तार हुए तब न उन्हें अंदाजा रहा होगा और न ही उनके समर्थकों को कि जब वह बाहर आएंगे तब अखिलेश के साथ उनके रिश्तों में दूरी आ चुकी होगी। वह 27 महीनों तक जेल में रहे। एक केस में जमानत मिलती तबतक कोई दूसरा केस दर्ज हो जाता। रिहाई न हो पाने से आजम खान के समर्थकों में मायूसी बढ़ती जा रही थी। अखिलेश यादव ने जेल में बंद आजम से कभी मुलाकात करने नहीं पहुंचे जबकि शिवपाल यादव समेत कई नेता जेल में उनसे मुलाकात भी की। इस बीच यूपी के विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो गया मगर आजम समर्थक अपने नेता की रिहाई का इंतजार ही करते रहे। उनके अंदर ये भाव गहराता चला गया कि मुश्किल की इस घड़ी में पार्टी ने उनके नेता को अकेले छोड़ दिया। हालांकि, चुनाव से पहले आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को जमानत मिल गई। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूपी चुनाव के दौरान आजम खान ने अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले अपने करीब 12 समर्थकों के लिए टिकट की मांग की थी। लेकिन अखिलेश ने उनकी मांग ठुकरा दी। हां, आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को सपा का टिकट जरूर मिला। करीबियों के लिए टिकट की मांग ठुकराए जाने के बाद आजम खान और अखिलेश के बीच रिश्तों में दूरी की चर्चाएं तेज हो गईं। चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आजम खान के परिवार से किसी को नहीं रखा।

और समर्थकों में बढ़ती गई मायूसी

यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद आजम समर्थकों के सब्र का बांध टूट गया। एक-एक कर उनके कई समर्थकों ने अखिलेश यादव को कोसते हुए इस्तीफा दे दिया। आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने आजम खान को उनके हाल पर छोड़ दिया है। उनकी रिहाई के लिए कोई कोशिश नहीं की जा रही। आखिरकार 27 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद 20 मई को आजम खान सलाखों की दुनिया से बाहर आए। आजम समर्थकों को उम्मीद थी कि उनके नेता की रिहाई के वक्त अखिलेश यादव पलक-पावड़े बिछाकर स्वागत करते नजर आएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां, अखिलेश से नाराज चल रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया शिवपाल यादव जेल के बाहर आजम खान का स्वागत करने जरूर पहुंचे। अखिलेश से नाराजगी की अटकलों के बीच आजम खान से कांग्रेस के नेता मिले, बसपा के नेता मिले, तमाम नेता मिले…नहीं मिले तो अखिलेश। आजम खान को तमाम पार्टियों से न्योता भी मिलने लगा कि हमारे साथ आइए। आजम ने भी अखिलेश से मिलने की बेचैनी नहीं दिखाई। यहां तक कि अखिलेश ने सपा विधायकों की बैठक बुलाई लेकिन आजम खान उसमें शामिल नहीं हुए।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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