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खास खबर

खास खबर ; वैबसाइटों की बाढ़ और डेवलपरों की मारा मारी ; कुछ खास बातें भी….

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अनिल अनूप की खास रिपोर्ट

आज खास कर भारत देश के किसी भी क्षेत्र में आप चले जाएं, देश के किसी भी आंचलिक भाषाओं के सुदूरवर्ती इलाकों में पंहुच जाएं आपको एक न एक स्थानीय समाचार पोर्टल और यूट्यूब चैनल आपको सहजता से आनलाइन दिख जाएगा। हर दूसरे या तीसरे मोटरसाइकिल पर “प्रेस” लिखा है भी दिख जाएगा और पत्रकारों की तो पूछिए मत, वो हर चौक चौराहों पर, हर छोटे बड़े नेताओं के आगे पीछे और हर सरकारी कार्यालयों में चार पांच मिल ही जाएंगे। 

हम यहां पत्रकारों या उनके व्यक्तित्व की शिकायत नहीं करने जा रहे हैं बल्कि एक बात कहना चाहता हूं कि, बड़ा बनकर तरक्की नहीं की जा सकती, खुद को समझ लेना ही ज्ञानवान बना देता है ! ज्ञान तो विनय और विनम्रता से हासिल की जाती है। क्षमता जैसे जैसे बनेगी प्रसिद्धि अपने आप उसी क्रम में मिलेगी।

आइए हम वैबसाइट की चर्चा कर रहे हैं तो उससे जुड़े एक अहम हिस्सा “वैबसाइट डेवलपमेंट” की खास बातों पर विचार करना चाहूंगा। 

ये तो अधिकांश लोगों को पता भी होगा कि वैबसाइट या न्यूज पोर्टल के लिए तकनीकी व्यवस्था के लिए वैबसाइट डेवलपर से ही संपर्क किया जाता है। वैबसाइट या न्यूज पोर्टल बना लेना न जाने आज कितना सुलभ हो गया है कि हर कोई गांव घर में भी एक वैबसाइट बनाकर अपुष्ट, भाषा की मामूली सी कमियां भी अक्सर न्यूज़ पोर्टल या समाचार वैबसाइटों में दिख जाती हैं। उसी तरह वैबसाइट डेवलपरों की भी कम बड़ी संख्या नहीं है ! गली गली कुकुरमुत्ते की तरह उग आए इस वैबडेवलपरों पर भी कालांतर में जाकर फर्क पड़ता है।  

एक सुप्रशिक्षित और डिग्रीधारक वैबडेवलपरो के व्यवसाय को चूंकि नेट से संबंधित एक मान्य ज्ञान होता है और उन्हें अपने कैरियर को इस क्षेत्र में आगे बढ़ते रहने का जुनून होता है इसलिए आमतौर पर वैबसाइट बनाने वाले जुनूनी लोगों को इनका रेट “मंहगा” लगता है और कामचलाउ डेवलपर का रेट बहुत “कम” महसूस होता है तो निश्चित रूप से एक पूरी तरह व्यवस्थित और प्रबंधित डेवलपर की बजाए इन कामचलाउ डेवलपर के पास लोग जाकर रातों रात वैब पोर्टल बनवाकर सुबह सुबह अपने आपको “संपादक” या “प्रधान संपादक” की स्वघोषणा भी कर देते हैं। उनका सरोकार न साहित्य से होता है न भाषा से,  समाचारों के लेखन की गुणवत्ता की तो पूछिए मत….

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यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ में तो 1900/ रुपए में वैबसाइट बना दिए जाते हैं। जबकि अगर पत्रकारिता के सभी मापदंडों को जानकर, लेखन की शैली पर अच्छी पकड़ का पैमाना बनने का उद्देश्य हो, प्रस्तुति की अच्छी समझ के साथ अगर नितांत व्यक्तिगत वैबसाइट भी बनाया जाए तो 11000-100000 तक में जाकर बेहतरीन वैबसाइट या न्यूज पोर्टल बनाए जाने की आवश्यकता होती है।

मेरे एक अच्छे मित्रवत और वैब साइट के साथ वैब तकनीकी का बेहतरीन ज्ञान रखने वाले प्रदीप गुप्ता जी की यहां चर्चा करना चाहूंगा। फ्रेग्रान इंफोटेक नाम की एक कंपनी का अच्छा संचालन भी अपने स्वामित्व में कर रहे हैं। यूट्यूब की दुनिया में भी काफी शोहरत प्राप्त है इनको क्योंकि वैबसाइट से संबंधित बारिकियों से जानकारी देते हुए इनके वीडियोज नियमित आते ही रहते हैं और खूब लोकप्रिय भी होते हैं। इनसे वार्ता के दौरान एक अच्छी बात हुई थी, इन्होंने कहा था कि, “वैबसाइट बनवा लेना या न्यूज पोर्टल किसी भी भाषा में शुरू कर लेना मायने नहीं रखता बल्कि उसे एक सही दशा में सही दिशा देना ताकि उसमें कही गई तमाम बातें इंटरनेट की दुनिया में अमर हो जाए”। 

1990 के दशक के उत्तरार्ध में, वेब पोर्टल एक वेब आईटी मूलमंत्र था। 1990 के दशक के उत्तरार्ध में वेब ब्राउज़रों के प्रसार के बाद , कई कंपनियों ने एक इंटरनेट बाज़ार का हिस्सा प्राप्त करने का प्रयास करने के लिए एक पोर्टल बनाने या हासिल करने का प्रयास किया। वेब पोर्टल ने विशेष ध्यान आकर्षित किया क्योंकि यह, कई उपयोगकर्ताओं के लिए, उनके वेब ब्राउज़िंग का प्रारंभिक बिंदु था यदि इसे उनके होम पेज के रूप में सेट किया गया था। इंटरनेट कंपनियों के विलय या अधिग्रहण के कारण पोर्टल की सामग्री और ब्रांडिंग बदल सकती है। नेटस्केप बन गया अमेरिका ऑनलाइन का हिस्सा , वॉल्ट डिज़नी कंपनी ने लॉन्च किया Go.com. पोर्टल रूपकों का व्यापक रूप से सार्वजनिक पुस्तकालय साइटों द्वारा उधारकर्ताओं के लिए उपयोगकर्ताओं के रूप में लॉगिन का उपयोग करने और छात्रों और संकाय के लिए विश्वविद्यालय इंट्रानेट द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। शासन, जोखिम प्रबंधन और अनुपालन जैसे क्षेत्रों में निगमों और सरकारी एजेंसियों के लिए प्रबंधन और कार्यकारी इंट्रानेट “डैशबोर्ड” की पेशकश करने वाले आईएसवी (स्वतंत्र सॉफ्टवेयर विक्रेताओं) के लिए लंबवत बाजार बने हुए हैं।

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सूचना, समाचार और अपडेट ऐसी सामग्री के उदाहरण हैं जिन्हें ऐसे पोर्टल के माध्यम से वितरित किया जा सकता है। व्यक्तिगत पोर्टल किसी भी विशिष्ट विषय से संबंधित हो सकते हैं जैसे कि सोशल नेटवर्क पर दोस्तों को जानकारी प्रदान करना या बाहरी सामग्री के लिंक प्रदान करना जो आपकी सेवाओं की पहुंच से परे दूसरों की मदद कर सकता है। पोर्टल केवल लिंक प्रदान करने तक सीमित नहीं हैं। व्यापार इंट्रानेट उपयोगकर्ता के बाहर, अक्सर सरल पोर्टलों को समृद्ध मैशप डिज़ाइनों से बदल दिया जाता है। उद्यमों के भीतर, शुरुआती पोर्टलों को अक्सर अधिक शक्तिशाली “डैशबोर्ड” डिज़ाइनों द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता था। कुछ ने नए प्रोटोकॉल पर भी भरोसा किया है जैसे कि आरएसएस एकत्रीकरण के कुछ संस्करण और इसमें कुछ हद तक वेब हार्वेस्टिंग शामिल हो भी सकता है और नहीं भी।

1990 के दशक में डॉट-कॉम बूम के अंत में, कई सरकारें पहले से ही अपने नागरिकों के लिए सरकारी वेब पोर्टल साइट बनाने के लिए प्रतिबद्ध थीं। इनमें सरकारों के लिए प्राथमिक पोर्टल के साथ-साथ विशिष्ट शाखाओं (जैसे, एक विशेष सरकारी मंत्रालय, विभाग या एजेंसी), या विशिष्ट उप-दर्शकों (जैसे, वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता, माध्यमिक के बाद के छात्र, आदि) के लिए विकसित किए गए पोर्टल शामिल हैं।

होस्टेड वेब पोर्टल्स ने लोकप्रियता हासिल की और कई कंपनियों ने उन्हें एक होस्टेड सेवा के रूप में पेश करना शुरू कर दिया। होस्टेड पोर्टल बाजार ने मौलिक रूप से पोर्टलों की संरचना को बदल दिया। कई मायनों में उन्होंने विरासत अनुप्रयोगों को एकीकृत करने या वितरित डेटाबेस से सहसंबद्ध डेटा प्रस्तुत करने के उच्च लक्ष्यों के बजाय सूचना प्रकाशित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य किया। हाइपरऑफ़िस डॉट कॉम जैसी शुरुआती होस्ट की गई पोर्टल कंपनियांया अब निष्क्रिय InternetPortal.com कॉर्पोरेट डेटा के वितरण के अलावा सहयोग और शेड्यूलिंग पर केंद्रित है। जैसे-जैसे होस्ट किए गए वेब पोर्टल लोकप्रियता में बढ़े हैं, उनके फीचर सेट में होस्ट किए गए डेटाबेस, दस्तावेज़ प्रबंधन, ईमेल, चर्चा मंच और बहुत कुछ शामिल हो गए हैं। होस्ट किए गए पोर्टल अपने उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करने के लिए अपने मॉड्यूल से उत्पन्न सामग्री को स्वचालित रूप से वैयक्तिकृत करते हैं। इस संबंध में वे पहले के कॉर्पोरेट वेब पोर्टलों के मूल लक्ष्यों के प्रति सच्चे रहे हैं।

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क्लाउड पोर्टल नामक इंटरनेट पोर्टलों के उभरते हुए नए वर्ग एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) की शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं, जो SOA ( सेवा-उन्मुख वास्तुकला , वेब सेवाओं और कस्टम डेटा एक्सचेंज) का लाभ उठाकर मशीन से मशीन इंटरैक्शन को समायोजित करने के लिए अधिक तरल उपयोगकर्ता बनाते हैं। किसी दिए गए “सत्र” के दौरान एकाधिक डोमेन में फैले उपयोगकर्ताओं को जोड़ने का अनुभव। Nubifer Cloud Portal जैसे क्लाउड पोर्टल दिखाते हैं कि क्लाउड पोर्टल बनाने के लिए एंटरप्राइज़ मैशअप और वेब सेवा एकीकरण दृष्टिकोण का उपयोग करके क्या संभव है।

वेब पत्रकारिता एक ऐसा माध्यम जो अपने अंदर प्रिंट, टीवी और रेडियो को समेटे है. मीडिया का लोकतंत्रीकरण करने में वेब पत्रकारिता बड़ी भूमिका निभा रहा है। संचार माध्यम के रूप में इस प्लेटफार्म ने हर आदमी का आवाज बुलंद कर हजारों-करोड़ो लोगो तक पहुंचाया है। पहले जहां इंटरनेट कम्प्यूटर तक सीमित था, वहीं नई तकनीकों से लैस मोबाइलों, स्मार्ट फोन और टैब में भी इंटरनेट का चलन बढ़ता जा रहा। किसी भी जगह कहीं भी इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह वेब पत्रकारिता का ही कमाल है कि आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर किसी भी भाषा में, किसी भी दिन और किसी भी देश का अखबार या खबरें पढ़ सकते हैं। यह ख़बरों का तीब्र माध्यम के रूप में भी स्वीकारा गया है।

वेब पत्रकारिता को पेशा बनाने बालो के लिए ध्यान रखने योग्य बातें

हिंदी इनस्क्रिप्ट की बोर्ड की जानकारी हो |

यूनिकोड फाँट तकनीकि पर काम करें |

वेब पत्रकारिता के समाचार सूचनापरक होना चाहिए, वाक्य छोटे होने चाहिए|

सर्च इंजन का की-वर्ड समाचार में कम से कम दो-तीन बार जरूर लायें |

कुछ की-वर्ड समाचार के हेड-लाईन में भी जरूर लायें|

समय का ख्याल रखें- आज, कल और परसो से बचें |

संस्था का नाम भी समाचार में जरूर लायें|

Active-Voice में ख़बरों को लिखें|

तीसरे या चौथे पेराग्राफ के बाद समाचार का बैक-ग्राउंड दें |

तस्वीरें और ग्राफिक से पेज को सजायें |

संदर्भ और स्रोत का भरपूर उपयोग करें |

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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