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19 January 2025 2:02 pm

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मतदान चौथा चरण शुरू ; 4 मंत्रियों के साथ कई दिग्गजों की साख दांव पर

41 पाठकों ने अब तक पढा

जीशान मेंहदी की रिपोर्ट

लखनऊ। यूपी विधानसभा के चौथे चरण में बुधवार को 9 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग है। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक 2.13 करोड़ मतदाता 624 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 91 महिला प्रत्याशी हैं। इस फेज में कांग्रेस के सामने अपना गढ़ रायबरेली बचाने की चुनौती है। वहीं, सवाल यह भी है कि क्या लखीमपुर कांड के बाद भाजपा वहां पिछला प्रदर्शन दोहरा पाएगी? अटल का लखनऊ किसका होगा? इसका फैसला भी इस चरण में होगा। बता दें कि यूपी में अब तक तीन चरणों में 172 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है।

इस चरण में योगी सरकार के 4 मंत्री समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। लखनऊ कैंट से कानून मंत्री बृजेश पाठक और मंत्री आशुतोष टंडन लखनऊ पूर्व से चुनावी समर में हैं। फतेहपुर जिले की हुसैनगंज विधानसभा सीट से रणवेंद्र प्रताप उर्फ धुन्नी सिंह और सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) के कोटे से मंत्री जयकुमार जैकी बिंदकी से किस्मत आजमा रहे हैं। गांधी परिवार के गढ़ रायबरेली सदर से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में एंट्री करने वाली अदिति सिंह मैदान में हैं।

वहीं, पुलिस अधिकारी की नौकरी छोड़कर सियासत में कदम रखने वाले राजेश्वर सिंह लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से भाजपा उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला सपा के पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्र से है। लखनऊ मध्य से सपा के दिग्गज नेता रविदास मेहरोत्रा किस्मत आजमा रहे हैं।

हरदोई से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ र2017 में भाजपा ने इन 59 में से 51 सीटें जीती थीं

चौथे फेज में जिन 59 सीटों पर चुनाव हैं उनमें 2017 में भाजपा गठबंधन ने 51 सीटें जीती थीं। सपा को 4, जबकि बसपा और कांग्रेस को 2-2 सीटें मिली थीं। हालांकि 2012 में सपा ने इनमें से 39 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। बसपा ने 13, कांग्रेस ने 4, भाजपा ने 3 और पीस पार्टी ने एक सीट हासिल की थी।हे विधानसभा उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल की साख भी दांव पर है।

रायबरेली, लखीमपुर और लखनऊ पर नजर

रायबरेली, लखीमपुर और लखनऊ पर सबकी नजर है। रायबरेली में 2017 में कांग्रेस ने सदर और हरचंदपुर दो सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन दोनों कांग्रेस विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह पाला बदलकर भाजपा के टिकट से मैदान में हैं। लखीमपुर में सिर्फ केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की प्रतिष्ठा ही दांव पर नहीं है, बल्कि जबरदस्त विरोध प्रदर्शन के बाद भी टेनी को मंत्रिमंडल से बाहर न करने के भाजपा के फैसले की भी परीक्षा होगी। पिछली बार लखीमपुर की सभी 8 सीटों पर भाजपा जीती थी।

लखनऊ में भाजपा ने कुछ पुराने और नए चेहरों पर दांव लगाया है। पिछली बार यहां की 9 में से 8 सीटों पर भाजपा जीती थी। 2012 में भाजपा ने 7 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। इस बार लखनऊ की सिर्फ सरोजिनी नगर सीट है, जिसमें सपा सुप्रीमो अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव ने सपा प्रत्याशी अभिषेक मिश्र के लिए चुनाव प्रचार किया है।

चौथे चरण की टॉप 5 सीटें, जिन पर सबकी नजर

1- सरोजिनी नगर में सिंह VS मिश्र

सरोजिनी नगर लखनऊ की सबसे हॉट सीट है। भाजपा ने यहां से मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काटकर राजेश्वर सिंह को उतारा है। सपा ने यहां से सपा सरकार में मंत्री रह चुके अभिषेक मिश्र को टिकट दिया है। बसपा ने मोहम्मद जलीस खान और कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को टिकट दिया है। 2017 में यहां भाजपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि 2012 में सपा और 2007 में बसपा ने जीत दर्ज की थी।

2- लखनऊ कैंट में मंत्री VS गांधी

लखनऊ कैंट से योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक हैं। पाठक ने पिछली बार लखनऊ मध्य से चुनाव जीता था। इस बार उनकी सीट बदली है। पाठक के खिलाफ सपा ने सुरेंद्र सिंह गांधी, कांग्रेस ने दिलप्रीत सिंह, बसपा ने अनिल पांडेय को टिकट दिया है। 2017 में यह सीट भाजपा के लिए डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने जीती थी। यह सीट 2012 में कांग्रेस जबकि 2007 में बीजेपी ने जीती थी।

3- रायबरेली सदर में अदिति VS कांग्रेस

कांग्रेस के गढ़ रायबरेली पर मुकाबला दिलचस्प है। यहां पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर अदिति ने जीत दर्ज की थी। इस बार वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही है। सपा ने राम प्रताप यादव, बसपा ने मोहम्मद अशरफ और कांग्रेस ने मनीष चौहान को टिकट दिया है। यहां बीजेपी की कभी जीत नहीं हुई है। 2012 में पीस पार्टी के टिकट पर अदिति के पिता अखिलेश ने जीत दर्ज की थी। यहां अदिति के परिवार का काफी प्रभाव है। ऐसे में इस सीट पर रिजल्ट के साथ ही यह भी तय होगा कि कांग्रेस का गढ़ अब कितना सुरक्षित है?

4- उन्नाव सदर से दिग्गज VS रेप पीड़िता की मां

उन्नाव सदर की सीट पर कांग्रेस ने रेप पीड़िता की मां आशा सिंह को टिकट दिया है। पीड़िता से रेप मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। भाजपा ने मौजूदा विधायक पंकज गुप्ता को मैदान में उतारा है। सपा ने डॉ. अभिनव कुमार और बसपा ने देवेंद्र सिंह को टिकट दिया है। 2012 और 2007 में यहां सपा के दीपक कुमार ने जीत दर्ज की थी। दीपक, मौजूदा प्रत्याशी अभिनव कुमार के पिता हैं।

5- हरदोई में अग्रवाल VS वर्मा

इस सीट पर 2017 में सपा के टिकट पर जीत हासिल करने वाले नितिन अग्रवाल इस बार भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। नितिन को योगी सरकार ने विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया था। नितिन के पिता राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल हैं। नितिन के खिलाफ सपा ने अनिल वर्मा और बसपा ने आशीष सिंह सोमवंशी को मैदान में उतारा है। इस सीट पर अग्रवाल परिवार का दबदबा रहा है।

मुद्दे जिनके इर्द-गिर्द चुनाव

1- लखीमपुर खीरी हिंसा: इस चुनाव में लखीमुपर हिंसा का मुद्दा है। सपा और कांग्रेस ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है। लखीमपुर के साथ ही तराई बेल्ट पीलीभीत में भी बड़ी संख्या में किसान वोटर्स हैं।

2- सांड: यूपी चुनाव का चौथा फेज आते ही सांड का मुद्दा गर्मा गया है। अखिलेश ने अपनी कई सभाओं में खेतों में आवारा पशुओं की समस्या को लेकर योगी सरकार को घेरा है। सिर्फ यही नहीं, सपा ने अपने घोषणा पत्र में भी सांड से मौत होने पर 5 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है।

ये हैं 59 सीटें: मलीहाबाद, बक्शी का तालाब, सरोजिनी नगर, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य, लखनऊ केंटोनमेंट, मोहनलाल गंज, बछरांवा, सवायजपुर, शाहाबाद, हरदोई, गोपामऊ, सांडी, बिलग्राम-मल्लांवा, बालामऊ, संडीला, बांगरमऊ, सफीपुर, मोहान, उन्नाव, भगवंतनगर, पुरवा शामिल हैं।

इनके अलावा हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी, ऊंचाहार, तिंदवारी, बबेरू, नरैनी, बांदा, जहानाबाद, बिंदकी, फतेहपुर, अयाहशाह, हुसैनगंज व खागा, पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर, बीसलपुर, पलिया, निघासन, गोला गोकरणनाथ, श्रीनगर, धौरहरा, लखीमपुर, कस्ता, मोहम्मदी, महोली, सीतापुर, हरगांव, लहरपुर, बिसवां, सेवता, महमूदाबाद, सिधौली, मिश्रिख।

चौथे चरण में 167 दागी, 37 फीसदी करोड़पति

चौथे चरण में 167 प्रत्याशियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें से 129 यानी 21% प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। भाजपा और सपा ने सबसे ज्यादा दागी प्रत्याशी उतारे हैं। इसके बाद कांग्रेस और बीएसपी हैं। वहीं, 231 यानी 37% प्रत्याशी करोड़पति हैं। इस चरण में महज 15% महिला प्रत्याशी हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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