अपराध

एक ‘खौफनाक रात’ ने खत्म कर दिया पूरा परिवार, अब वही रात शबनम के लिए बन गई काल

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बावनखेड़ी नरसंहार की दोषी शबनम जेल में घुट-घुटकर जी रही है। 7 परिजनों की हत्या के बाद अब पछतावे के आंसू बहा रही है। गांववाले कर रहे हैं जल्द फांसी की मांग। जानिए पूरी कहानी!

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में हुए दिल दहला देने वाले नरसंहार की मुख्य आरोपी शबनम अब अपनी आखिरी सांसें गिन रही है। राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद उसकी फांसी तय हो चुकी है, लेकिन मौत से पहले वह जेल में घुट-घुटकर जी रही है।

जेल में छिप-छिपकर रोती है शबनम

करीब 16 साल पहले अपने प्रेमी के साथ मिलकर पूरे परिवार की हत्या करने वाली शबनम को अब अपने किए पर पछतावा है। बुलंदशहर निवासी उस्मान सैफी, जो उसके बेटे की परवरिश कर रहे हैं, ने बताया कि जब उन्होंने छह महीने पहले जेल में शबनम से मुलाकात की थी, तब उसने अपनी पीड़ा व्यक्त की थी। शबनम जेल में छिप-छिपकर रोती है और अपने बेटे की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहती है।

बावनखेड़ी गांव की मांग: तुरंत दी जाए फांसी

बावनखेड़ी गांव के लोग शबनम के अपराध को कभी माफ नहीं कर सके। वे अब भी उसकी फांसी की मांग कर रहे हैं। गांव के बुजुर्ग मोहम्मद रमजानी का कहना है, “शबनम को अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई? अगर उसे जल्द ही फांसी पर लटका दिया गया होता, तो शायद ऐसी घटनाएं दोबारा न होतीं।”

कैसे हुआ था यह जघन्य अपराध?

14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया और 11 महीने के मासूम भतीजे अर्श की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि शबनम उस वक्त गर्भवती थी और उसका प्रेमी सलीम इस रिश्ते को समाज में स्वीकार्यता दिलाने के लिए परिवार के रास्ते से हटाना चाहता था।

गांव में शबनम नाम से नफरत

इस जघन्य अपराध के बाद से बावनखेड़ी गांव में किसी बच्ची का नाम शबनम नहीं रखा गया है। इस नाम के साथ जुड़ी क्रूरता और निर्दयता को गांव वाले आज भी नहीं भूल सके हैं।

सलीम से भी परिजनों ने तोड़ लिया नाता

शबनम के प्रेमी और इस नरसंहार में उसके साथी सलीम से उसके परिवार वालों ने पहले ही नाता तोड़ लिया था। अब सलीम भी उनसे कोई संबंध नहीं रखता और केवल अपने वकील से ही बातचीत करता है।

फांसी में देरी पर उठ रहे सवाल

शबनम को अब तक फांसी न दिए जाने से ग्रामीणों में नाराजगी है। शबनम के चाचा सत्तार अली का कहना है,

“एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या करने वाली को आज तक फांसी क्यों नहीं दी गई? ऐसी औरतों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए।”

घर के आंगन में सात कब्रें गवाह

शबनम के पिता मास्टर शौकत अली के घर के आंगन में आज भी सात कब्रें मौजूद हैं, जो उस दर्दनाक रात की गवाही देती हैं। यह घर अब उसके चाचा सत्तार अली के परिवार के पास है, लेकिन गांव के लोग इस घर को आज भी नरसंहार का प्रतीक मानते हैं।

क्या आगे होगा?

शबनम और सलीम की फांसी तय हो चुकी है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया की वजह से इसमें देरी हो रही है। गांव वालों की मांग है कि इस नरसंहार की अपराधी को जल्द से जल्द फांसी दी जाए ताकि भविष्य में कोई और ऐसा कदम उठाने की हिम्मत न कर सके।

➡️अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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