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23 February 2025 4:50 pm

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फतेहपुर नरसंहार: साल भर बाद भी जख्म ताजे, गांव सुरक्षा के पहरों के बीच उठ रही है मौत से उपजी सिसकियां

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संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

देवरिया के फतेहपुर नरसंहार को एक साल हो गया है, लेकिन इस घटना के घाव अभी भी ताजे हैं। गांव के तीन प्रमुख स्थानों पर अभी भी पुलिस का कड़ा पहरा है। यह हृदय विदारक घटना 2 अक्टूबर 2023 को हुई थी, जब भूमि विवाद के चलते फतेहपुर के लेड़हा टोला में एक ही परिवार के छह लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी।

इस विवाद में एक पक्ष के मृतक सत्यप्रकाश दूबे की बेटी शोभिता द्विवेदी की शिकायत पर पुलिस ने 27 नामजद और 50 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। सत्यप्रकाश दूबे और पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव के बीच भूमि को लेकर लंबा विवाद चल रहा था। यह मामला रुद्रपुर तहसील के साथ ही देवरिया के दीवानी न्यायालय में भी विचाराधीन था।

घटना के दिन, 2 अक्टूबर 2023 की सुबह लगभग 6 बजे हल्की बारिश हो रही थी। इसी समय प्रेमचंद यादव अपनी मोटरसाइकिल से अकेले लेड़हा टोला पहुंचे। वहां सत्यप्रकाश दूबे के घर के बाहर उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद आक्रोशित भीड़ ने सत्यप्रकाश दूबे के घर पर हमला कर दिया, जिसमें सत्यप्रकाश, उनकी पत्नी किरण देवी, बेटियां सलोनी और नंदिनी, और बेटा गांधी की हत्या कर दी गई। 

सत्यप्रकाश का छोटा बेटा अनमोल गंभीर रूप से घायल हो गया था, जिसका इलाज गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पुलिस सुरक्षा के बीच कराया गया। उस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज जाकर अनमोल की स्थिति का जायजा लिया था।

इस दर्दनाक घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला कर रख दिया था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन डीजीपी प्रशांत कुमार ने घटना स्थल का दौरा किया और स्थिति का आकलन किया। 

वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी गांव का दौरा कर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। घटना के बाद फतेहपुर गांव में पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की थी, और एक साल बाद भी यह स्थिति बरकरार है। प्रेमचंद यादव के घर और सत्यप्रकाश दूबे के घर के आसपास अब भी पुलिस चौकसी जारी है।

फतेहपुर नरसंहार के आरोपी अब तक जेल में हैं और किसी को भी जमानत नहीं मिली है। 27 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि 4 लोगों ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। 

जांच के दौरान 9 और लोगों के नाम सामने आए, जिससे नामजद आरोपियों की संख्या 36 हो गई। इनमें से 21 लोग जेल भेजे गए, जिनमें प्रेमचंद यादव के पिता, भाई और चाचा भी शामिल थे। जेल में रहते हुए लेड़हा टोला के रहने वाले एक आरोपी, अमरनाथ तिवारी, की पांच महीने पहले मृत्यु हो गई।

नरसंहार के बाद सत्यप्रकाश दूबे के बेटे देवेश दूबे गांव में रहने का साहस नहीं जुटा पाए। वह केवल पुलिस सुरक्षा के साथ अपनी जमीन की देखभाल के लिए कभी-कभार गांव आते हैं। 

नरसंहार में सत्यप्रकाश की पत्नी, दो बेटियां, और एक बेटे की मौत हो गई थी, जबकि बड़ा बेटा देवेश दूबे बलिया में पूजा कराने के कारण बच गया था। छोटे बेटे अनमोल का महीनों इलाज चला और उसकी जान बचाई जा सकी।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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