ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
बदायूं। इस्लामनगर के अल्हैपुर समसपुर की मढ़ैया निवासी किसान महेश राणा की हत्या और लूटपाट से पुलिस ने सोमवार को पूरी तरह से पर्दा उठा दिया। उसकी पत्नी ममता को हत्या के मामले में जेल भेज दिया। उसकी निशानदेही पर लोहे की राड और सिलबट्टा बरामद कर लिया।
पति की हत्या के मामले जेल जाने के दौरान ममता के चेहरे पर कोई पछतावा नहीं था। पुलिस के अनुसार, ममता ने पति महेश की हत्या सिर्फ इस बात पर कर दी कि वह हर रोज आकर हुक्म चलाता था और खर्च के लिए रुपये भी नहीं देता था। वह इतनी निर्दयी हो चुकी थी कि जेल जाते समय उसने अपने बच्चों तक का चेहरा नहीं देखा।
यह है मामला
एसएसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि 24 मई की रात को इस्लामनगर थाना क्षेत्र के अल्लैहपुर समसपुर की मढ़ैया गांव निवासी महेश राणा की हत्या कर दी गई थी। उसकी पत्नी ममता ने रात करीब ढाई बजे शोर मचाकर परिजनों को जगाया और कहा कि लूटपाट करने आए बदमाशों ने पति के सिर पर प्रहार किया है। इलाज के लिए ले जाते समय महेश की मृत्यु हो गई थी।
ममता के बयान के अनुसार, उसने पति को पीटते देख दहशत में आकर बदमाशों को अपने पहने, घर में रखे जेवर और 40 हजार रुपये दे दिए थे, जिससे उसकी खुद समेत बच्चों की जान बच सके। पुलिस ने हत्या व लूटपाट की प्राथमिकी पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी।
पुलिस ने महिला को ही निशाने पर रखा, जिससे 48 घंटे के भीतर पुलिस ने जो सामान लूटा हुआ दिखाया गया वह महिला की निशानदेही पर ही बरामद कर लिया। पूछताछ में महेश की पत्नी ममता टूट गई और उसने पूरा आरोप अपने सिर ले लिया।
हालांकि, पुलिस को इस बात की आशंका रही कि इसमें कोई और शामिल हो सकता है, लेकिन सुराग न मिलने पर सिर्फ महिला को जेल भेजा गया। हत्या का कारण ममता ने सिर्फ यही बताया कि पति महेश उसे खर्च को रुपये नहीं देता था। एक एक पैसे को लाचार रखता था, आए दिन पीटता और शक करता था। उस दिन भी यही हुआ।
इस पर उसने लोहे की राड मार दी, जब वह गिर गया तो सिलबट्टे से प्रहार किया। बाद में गला भी दबाया। यह सब बताते समय घटना को लेकर उसमें कोई पश्चाताप या गलती जैसी भावना नहीं थी।
अनाथ जैसे हो गए मासूम बेटे और बेटी
ममता पर नौ साल का बेटा साजन और चार की बेटी रिचा है। दोनों के सामने ही पुलिस ने मां ममता को जेल भेज दिया। पिता की चिता को मुखाग्नि दे चुके साजन और बेटी रिचा को समझ ही न आ रहा था कि होनी उनके साथ क्या खेल खेल रही है। उनके सिर से तो पिता का साया भी उठ गया और मां की ममता भी छिन गई।
हो सकता है कि मां की सोच उनके प्रति ममत्व भरी रही हो, लेकिन उसका कृत्य उसे उसके बच्चों से दूर ले गया। पहले तो बच्चे काफी देर तक रोते रहे, लेकिन बाद में चाचा और अन्य परिजनों के समझाने पर वह शांत हो गए, लेकिन उनके मन में इस बात को लेकर सवाल जरूर चल रहा होगा कि अब उनका अपना कौन है?
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."