खास खबर

22 मार्च 2020 : जब भारत ठहर गया, लेकिन हौसला बुलंद रहा!

WhatsApp Image 2025-04-21 at 21.38.46_2d56b35c
WhatsApp Image 2025-04-21 at 21.38.45_3800383c
IMG-20250425-WA0005
IMG-20250425-WA0006
previous arrow
next arrow
136 पाठकों ने अब तक पढा

जब भारत एक दिन के लिए थम गया, लेकिन उम्मीदें जिंदा रहीं!

जनता कर्फ्यू: जब भारत 14 घंटे के लिए थम गया, लेकिन हौसले बुलंद रहे! जानिए कैसे 22 मार्च 2020 को देश ने कोरोना के खिलाफ एक ऐतिहासिक कदम उठाया।

22 मार्च इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में दर्ज है। खासकर, साल 2020 में इसी दिन भारत ने कोरोना महामारी से लड़ने की पहली कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च 2020 को देश को संबोधित करते हुए 22 मार्च को ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए तैयार करना था।

कैसे हुई जनता कर्फ्यू की शुरुआत?

दरअसल, 19 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक घरों में रहें और ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करें। यह एक पूर्वाभ्यास था, जिससे यह समझने में मदद मिल सके कि यदि भविष्य में लॉकडाउन की जरूरत पड़े तो लोग इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।

जनता कर्फ्यू को देशभर से मिला जबरदस्त समर्थन

22 मार्च 2020 को पूरे देश ने इस पहल का भरपूर समर्थन किया। सड़कों पर सन्नाटा था, बाजार और दुकानें बंद थीं, सार्वजनिक परिवहन ठप था। लोग अपनी मर्जी से घरों में रहे और कोरोना के खिलाफ इस जंग में एकजुटता दिखाई।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने एक और अपील की थी। उन्होंने कहा था कि शाम 5 बजे हर कोई अपनी बालकनी, खिड़की या दरवाजे पर खड़ा होकर ताली, थाली या घंटी बजाए। इसका उद्देश्य उन स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों और अन्य आवश्यक सेवाओं में जुटे लोगों को धन्यवाद देना था, जो महामारी के दौरान भी अपनी ड्यूटी कर रहे थे। इस क्षण ने पूरे देश को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।

जनता कर्फ्यू के बाद देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान

जनता कर्फ्यू को देखते हुए सरकार ने जल्द ही एक और बड़ा फैसला लिया। 24 मार्च 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए 25 मार्च से 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की। यह फैसला कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए लिया गया था। इस लॉकडाउन के दौरान केवल आवश्यक सेवाओं को जारी रखने की अनुमति दी गई थी, जबकि बाकी सभी गतिविधियां ठप हो गईं।

जनता कर्फ्यू: महामारी के खिलाफ लड़ाई की पहली सीख

इस ऐतिहासिक दिन ने देश को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया— एकजुटता और अनुशासन से किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है। जनता कर्फ्यू न केवल कोरोना के खिलाफ एक शुरुआती कदम था, बल्कि यह लोगों को आने वाले लॉकडाउन के लिए मानसिक रूप से तैयार करने का भी जरिया था।

यह आपकी अनुरोधित तस्वीर है—एक सूनी सड़क, वीरान गलियां, बंद दुकानें, और घरों की खिड़कियों से झांकते लोग, जो एक गहरी खामोशी और रहस्यमयी माहौल को दर्शा रही है।

इसके बाद, भले ही लॉकडाउन लंबा चला और कई चुनौतियां सामने आईं, लेकिन इसने दिखाया कि कैसे पूरा देश एक साथ खड़ा होकर महामारी का सामना कर सकता है। कोरोना के दौरान डॉक्टरों, नर्सों और अन्य आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों ने अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सेवा की, और जनता ने भी उनके प्रयासों को सराहा।

22 मार्च 2020 का ‘जनता कर्फ्यू’ सिर्फ एक दिन के लिए लगाया गया प्रतिबंध नहीं था, बल्कि यह एक सीख थी कि कठिन परिस्थितियों में भी हम एकजुट होकर आगे बढ़ सकते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि अनुशासन और एकता से बड़ी से बड़ी समस्या को भी हराया जा सकता है।

➡️जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close