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जरा याद करो कुर्बानी

पहलगाम के कातिलों पर फुंकार बनी ‘बीहड़ की शेरनी’! ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया का जलवा

पढ़ाई में अव्वल, जज़्बे में बेमिसाल: जानिए सोफिया की कहानी

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आपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने आतंकियों को दिया करारा जवाब। ब्रीफिंग में सामने आईं कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। जानिए, बुंदेलखंड की इस बहादुर बेटी की कहानी।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

भारतीय सेना द्वारा मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच चलाए गए “आपरेशन सिंदूर” की ब्रीफिंग में सेना की दो जांबाज़ महिला अधिकारी—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—ने अहम जानकारियां साझा कीं। इस अवसर पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी भी मौजूद थे।

क्यों चला ऑपरेशन सिंदूर?

ब्रीफिंग के दौरान कर्नल कुरैशी ने बताया कि यह ऑपरेशन पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया। उन्होंने कहा, “हमारा टारगेट केवल और केवल आतंकी ठिकाने थे। ऑपरेशन के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी आम नागरिक या इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान न पहुंचे।”

कर्नल सोफिया कुरैशी: बुंदेलखंड की वीर बेटी

कर्नल सोफिया का जन्म 12 दिसंबर 1975 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव में हुआ था। बचपन से ही मेधावी रहीं सोफिया की प्रारंभिक शिक्षा नौगांव में ही हुई। उनके चाचा वली मोहम्मद आज भी वहीं रहते हैं। चचेरे भाई मोहम्मद रिजवान, जो कि एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं, बताते हैं कि सोफिया पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही हैं।

परिवार से मिली देशभक्ति की प्रेरणा

सोफिया को देश सेवा की प्रेरणा विरासत में मिली। उनके ताऊ इस्माइल कुरैशी बीएसएफ में सेवा दे चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद वे झांसी के भट्ठागांव में बसे थे। परिवार की चचेरी बहन शबाना कुरैशी कहती हैं, “सोफिया पूरे परिवार के लिए रोल मॉडल हैं। उन्होंने अपने दम पर देश का नाम रोशन किया है।”

शिक्षा से सेना तक का सफर

सोफिया ने 1997 में वडोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई शुरू की, लेकिन राष्ट्र सेवा की भावना ने उन्हें सेना की ओर मोड़ा। वर्ष 1999 में उन्होंने भारतीय सेना की सिग्नल कोर जॉइन की, जहां उन्होंने तकनीकी और संचार क्षमताओं में विशेषज्ञता हासिल की।

पहले भी निभा चुकी हैं अहम भूमिकाएं

सेना में रहते हुए सोफिया कई अहम पदों पर तैनात रहीं। वे झांसी में मेजर के रूप में भी सेवा दे चुकी हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता, तेज निर्णय लेने की क्षमता और देशभक्ति उन्हें भारतीय सेना के सबसे भरोसेमंद अफसरों में शामिल करती है।

आपरेशन सिंदूर की सफलता एक बार फिर यह साबित करती है कि भारतीय सेना में महिलाएं न केवल कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, बल्कि नेतृत्व भी कर रही हैं। कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल बुंदेलखंड की, बल्कि पूरे देश की प्रेरणा हैं।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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