google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
जरा याद करो कुर्बानी

एक दिन में ठोक दिए 76 केस, ISI ने बम से उड़वा दिया: चिता की राख से निकली थी 40 कीलें…कौन था वो 👇

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कानपुर के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में काला बच्चा सोनकर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया, वह आज भी लोगों की स्मृतियों में जीवित है। उनकी पहचान एक कट्टर रामभक्त, हिंदू समाज के रक्षक, और निडर योद्धा के रूप में थी। उनके बलिदान और संघर्ष की कहानी न केवल कानपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव छोड़ गई।

खटिक समाज से आने वाले काला बच्चा सोनकर

काला बच्चा सोनकर का असली नाम मुन्ना सोनकर था। वह उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिल्हौर क्षेत्र से आते थे और खटिक समाज का नेतृत्व करते थे। खटिक समाज, दलित समुदाय का एक महत्वपूर्ण वर्ग है और काला बच्चा सोनकर इस समाज के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे। लेकिन उनकी लोकप्रियता केवल उनके समाज तक सीमित नहीं थी, बल्कि पूरे हिंदू समाज में उनकी गहरी पकड़ थी।

वह भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) से जुड़े हुए थे और हिंदू समाज की रक्षा के लिए हमेशा अग्रसर रहते थे। शुरुआती दिनों में उन्होंने सूअर पालन का काम किया, लेकिन जल्द ही वह स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गए और हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए लड़ाई लड़ने लगे।

राम मंदिर आंदोलन में निभाई अहम भूमिका

आप को यह भी पसंद आ सकता है  दोस्ती कर विश्वास में लिया और किया बार-बार बलात्कार फिर शादी की बात आई तो कर बैठा ये हरकत

काला बच्चा सोनकर पहले से ही कानपुर में हिंदू समाज के एक प्रभावशाली नेता थे, लेकिन राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनकी पहचान एक हिंदू योद्धा के रूप में बनी।

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। कानपुर भी इससे अछूता नहीं रहा। बाबूपुरवा, जूही और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में दंगाइयों ने हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया। हिंदू समाज की रक्षा के लिए काला बच्चा सोनकर ने मुस्लिम उग्रवादियों का खुलकर प्रतिरोध किया।

उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना हिंदू समाज को बचाने का काम किया और उनकी यह बहादुरी कानपुर के हर हिंदू के लिए एक मिसाल बन गई। इस दौरान उन पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए, लेकिन उनकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई।

राजनीति में प्रवेश और भाजपा से जुड़ाव

हिंदू समाज में मजबूत पकड़ और दलित समुदाय में लोकप्रियता के कारण भाजपा ने 1993 में उन्हें बिल्हौर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि, वह इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार से हार गए, लेकिन उनकी पहचान और प्रभाव राजनीति में लगातार बढ़ता चला गया।

हार के बावजूद, वह कानपुर क्षेत्र में भाजपा के हिंदुत्व समर्थक चेहरे के रूप में उभर कर आए। उनकी छवि कट्टर हिंदू नेता की बनी, जो हिंदू समाज की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता था।

1994 में काला बच्चा सोनकर की निर्मम हत्या

आप को यह भी पसंद आ सकता है  "आइना" ने दी बच्चों के साथ हो रहे शोषण के बारे भिन्न भिन्न प्रकार की जानकारियां

भाजपा से चुनाव हारने के कुछ ही महीनों बाद, 9 फरवरी 1994 को काला बच्चा सोनकर की हत्या कर दी गई।

हत्या के दिन, वह अपने स्कूटर से कहीं जा रहे थे, तभी उन पर शक्तिशाली बम से हमला किया गया। बम इतना शक्तिशाली था कि उनके शरीर का कोई भी हिस्सा साबुत नहीं बचा। उनकी अस्थियों से तकरीबन 40 लोहे की कीलें निकलीं।

इस हत्या के पीछे पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI का हाथ था। जांच में यह भी सामने आया कि उनकी हत्या के लिए मुंबई से 10 लाख रुपये भेजे गए थे, जिनमें से 4 लाख रुपये इस हमले में खर्च किए गए।

मुलायम सिंह सरकार की ज्यादतियां

काला बच्चा सोनकर की हत्या के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उनके परिवार के साथ क्रूरता की सभी हदें पार कर दीं।

सरकार ने उनके शव को उनके परिवार को नहीं सौंपा।

जब भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी और अन्य लोग शव लेने गए, तो पहले अनुमति दी गई, लेकिन बाद में सरकार ने शव देने से इनकार कर दिया।

सुबह 4 बजे पुलिस ने चोरी-छिपे उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

जब काला बच्चा सोनकर के परिवार ने विरोध किया, तो उनकी विधवा और बुजुर्ग मां को पुलिस ने बेरहमी से पीटा।

प्रदर्शन करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें भी बुरी तरह पीटा गया।

परिवार को घर से बाहर निकलने तक की अनुमति नहीं दी गई और उनके ऊपर निगरानी रखी गई।

आप को यह भी पसंद आ सकता है  प्यार, रेप और सरेआम जिंदा जला डाला; छोटी बहन केस लड़ रही है, आरोपी जमानत पर बाहर डकारें ले रहे

राहुल बच्चा सोनकर: पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए

काला बच्चा सोनकर के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। उनके बेटे राहुल बच्चा सोनकर ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला किया।

भाजपा ने 2022 में उन्हें बिल्हौर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया।

चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपने पिता के बलिदान और हिंदू समाज के लिए किए गए कार्यों को याद दिलाया।

राहुल बच्चा सोनकर ने 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की और विधायक बने।

वह हिंदू समाज के योद्धा थे, जिन्होंने दंगों के दौरान निडर होकर हिंदुओं की रक्षा की।

उनकी हत्या आईएसआई की साजिश का नतीजा थी, जिसे स्थानीय इस्लामी कट्टरपंथियों ने अंजाम दिया।

तत्कालीन मुलायम सरकार ने न केवल उनके परिवार को सताया बल्कि उनके अंतिम संस्कार तक का अधिकार छीन लिया।

आज उनके बेटे राहुल बच्चा सोनकर उसी सीट से विधायक हैं और अपने पिता के बलिदान की गाथा को जीवित रखे हुए हैं।

काला बच्चा सोनकर की कहानी हिंदू समाज के लिए प्रेरणा है और यह दिखाती है कि साहस और संघर्ष से बड़ी से बड़ी साजिश को भी परास्त किया जा सकता है। उनका नाम आज भी कानपुर के हिंदुओं की सुरक्षा की गारंटी के रूप में लिया जाता है और उनका बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा।

258 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close