संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गोरखपुर से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने मां की ममता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर कहा जाता है कि एक मां अपने बच्चे का कभी बुरा नहीं सोच सकती, लेकिन इस मामले ने इस धारणा को झकझोर कर रख दिया है। झंगहा थाना क्षेत्र के ग्राम दुबौली में एक महिला ने अपने दो महीने के मासूम को त्याग दिया, और तब से लेकर आज तक उसने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा कि बच्चा किस हाल में है।
डिलीवरी के बाद मां ने छोड़ा नवजात
दुबौली गांव निवासी विनय यादव की पत्नी पूनम यादव ने दिसंबर महीने में सीएचसी चौरीचौरा में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था। नॉर्मल डिलीवरी के बाद सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन फरवरी में जब नवजात की तबीयत अचानक बिगड़ गई, तो परिवार उसे इलाज के लिए पहले सीएचसी चौरीचौरा और फिर डॉक्टरों की सलाह पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर ले गया।
इलाज के दौरान बच्चे की मां अस्पताल में ही उसे छोड़कर अपने मायके चली गई। ससुरालवालों के अनुसार, जब से महिला मायके गई है, उसने एक बार भी अपने बेटे की सुध नहीं ली। नवजात की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी अब उसके दादा-दादी पर आ गई है।
बिना मां के प्यार के, मासूम कुपोषण का शिकार
मां के दूध के बिना नवजात शिशु कमजोर होता चला गया और धीरे-धीरे कुपोषण का शिकार हो गया। उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई, जिससे वह कई तरह की बीमारियों से घिर गया। दादा-दादी किसी तरह उसकी देखभाल कर रहे हैं, लेकिन मां का स्नेह और दूध न मिलने से बच्चा फिर से बीमार हो गया।
बच्चे के पिता विनय यादव परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सूरत में मजदूरी कर रहे हैं। इस कारण बच्चे की देखभाल का पूरा जिम्मा बुजुर्ग दादा-दादी पर आ गया है, जो अपनी क्षमता के अनुसार उसकी परवरिश करने की कोशिश कर रहे हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी: मां के बिना नवजात का जीवन संकट में
बच्चे का इलाज सीएचसी चौरीचौरा में चल रहा है, जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान होता है। मां का दूध ही उसे पोषण देता है और बीमारियों से बचाने में मदद करता है। लेकिन जब मां ही उसके पास नहीं है, तो बच्चे का सही पोषण और देखभाल कैसे हो पाएगी?
डॉक्टरों का कहना है कि मां के दूध की कमी से नवजात की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है, जिससे वह जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा है। अगर जल्द ही बच्चे को उचित पोषण और देखभाल नहीं मिली, तो उसकी स्थिति और खराब हो सकती है।
दादा-दादी ने बहू से की अपील, लेकिन कोई जवाब नहीं
बच्चे के दादा-दादी ने कई बार बहू पूनम यादव से अपील की कि वह लौटकर अपने बच्चे की देखभाल करे, लेकिन महिला ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। घरवालों का कहना है कि उन्हें समाज और रिश्तेदारों की बातों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सबसे बड़ी चिंता मासूम की सेहत को लेकर है।
मां-बाप जिंदा, लेकिन बच्चा भगवान भरोसे
यह मामला समाज के लिए एक बड़ा सवाल है कि आखिर कौन-सी वजह मां को अपने नवजात शिशु से इतना दूर कर सकती है? जहां एक ओर दुनिया की तमाम महिलाएं अपने बच्चों के लिए दिन-रात संघर्ष करती हैं, वहीं यहां एक मां ने अपने दो महीने के मासूम का त्याग कर दिया।
अब सवाल उठता है कि क्या बच्चे की मां कभी वापस आएगी? क्या वह अपने नवजात को अपनाएगी? या फिर यह मासूम जिंदगीभर बिना मां के स्नेह के जीने को मजबूर रहेगा? फिलहाल, यह मासूम अपने दादा-दादी के सहारे जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की