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12 February 2025 2:02 am

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निराश्रित वृद्धजनों के लिए समाज कल्याण विभाग की अनूठी पहल ; वृद्धाश्रम से 29 वरिष्ठजन पहुंचे महाकुंभ, किया संगम स्नान

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

देवरिया। उत्तर प्रदेश सरकार समाज के हर वर्ग की बेहतरी के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी क्रम में समाज कल्याण विभाग द्वारा निराश्रित वरिष्ठजनों के सम्मान, सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।

समाज कल्याण मंत्री श्री असीम अरुण के निर्देश पर मंगलवार को देवरिया जनपद के वृद्धाश्रम में रहने वाले 29 निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों को महाकुंभ में पवित्र संगम स्नान का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

इन वरिष्ठजनों को समाज कल्याण विभाग के अधिकारी विशेष बस द्वारा कुंभ क्षेत्र में स्थापित अस्थायी आश्रम तक लेकर आए। इस पहल का उद्देश्य उन बुजुर्गों को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करना था, जो परिवार और समाज से अलग-थलग हो गए हैं।

कुंभ क्षेत्र में 100 बेड का अस्थायी आश्रम

समाज कल्याण विभाग ने पहली बार कुंभ क्षेत्र में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक विशेष कैंप स्थापित किया है। इस अस्थायी आश्रम में 100 बेड की क्षमता है, जहां वृद्धजनों के ठहरने, भोजन और आवागमन की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सकों की टीम भी तैनात की गई है, जो नियमित जांच और प्राथमिक उपचार उपलब्ध करा रही है।

योग और भजन-कीर्तन से भरी दिनचर्या

आश्रम में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों का दिन योग और ध्यान के साथ प्रारंभ होता है। इससे न केवल उनका शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। इसके बाद दिनभर विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिससे वृद्धजन एक-दूसरे से संवाद कर सकें और सामाजिक जीवन का आनंद उठा सकें। सायंकाल भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें सभी बुजुर्ग पूरे उत्साह से भाग लेते हैं।

समाज कल्याण मंत्री के प्रयासों से मिली सुविधाएं

समाज कल्याण मंत्री श्री असीम अरुण के निर्देश पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह विशेष व्यवस्था की गई है। यह पहल उन बुजुर्गों को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान कर रही है, जो अपने परिवार से वंचित हो गए हैं। आश्रम में रहने वाले वरिष्ठजनों ने सरकार की इस पहल की सराहना की और इसे एक सुखद अनुभव बताया।

समाज कल्याण विभाग की यह पहल न केवल वरिष्ठजनों के लिए एक राहतकारी कदम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों के सम्मान की परंपरा को भी सशक्त बनाती है। इस प्रयास के माध्यम से समाज में सामूहिक सहयोग और संवेदनशीलता की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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