google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
आयोजन

महाकुंभ का आलोक ; विदेशी महिलाओं का सनातन से जुड़ाव: नागा दीक्षा का चमत्कार

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
210 पाठकों ने अब तक पढा

जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

महाकुंभ नगर में चल रहे महाकुंभ मेले का माहौल भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। इसे सनातन धर्म का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है, जिसमें 13 प्रमुख अखाड़ों की उपस्थिति इसे विशिष्ट बनाती है। मौनी अमावस्या के पावन अवसर के पहले अखाड़ों में नागा संन्यासियों को दीक्षा देने का क्रम जारी है। हजारों नवदीक्षित साधु-संत इस प्रक्रिया में सम्मिलित हो रहे हैं।

 

इस बार का महाकुंभ एक विशेष संदेश दे रहा है—नारी शक्ति का उत्थान और उनकी बढ़ती भागीदारी। जहां अखाड़ों की परंपरा पुरुष प्रधान मानी जाती थी, वहीं अब बड़ी संख्या में महिलाएं नागा साध्वी बनकर अखाड़ों से जुड़ रही हैं।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़

महाकुंभ के पहले रविवार को 51 लाख 82 हजार श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई। इसमें करीब 10 लाख कल्पवासी भी शामिल थे, जो नियमित स्नान कर रहे हैं। अब तक कुल 8 करोड़ 24 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया है।

महिलाओं की नागा दीक्षा: एक ऐतिहासिक पहल

प्रयागराज महाकुंभ में महिलाओं का नागा दीक्षा संस्कार एक नया अध्याय लिख रहा है। जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी ने बताया कि इस बार अखाड़े के अंतर्गत 100 से अधिक महिलाओं को नागा दीक्षा दी गई। दीक्षा प्राप्त करने वाली इन महिलाओं ने 12 वर्षों तक सेवा, समर्पण और त्याग की परीक्षा दी, जिसके बाद उन्हें अवधूतानी का दर्जा मिला।

दीक्षा प्रक्रिया के तहत महिलाओं का मुंडन संस्कार हुआ और उन्हें सूत का बिना सिला कपड़ा पहनाया गया। गंगा स्नान के बाद उनके हाथों में कमंडल, गंगाजल और दंड सौंपा गया। अंतिम दीक्षा अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी द्वारा दी जाएगी।

विदेशी महिलाओं की भागीदारी

महाकुंभ में नागा दीक्षा लेने वालों में विदेशी महिलाओं ने भी हिस्सा लिया। इस बार इटली, फ्रांस और नेपाल की महिलाओं ने जूना अखाड़े से दीक्षा प्राप्त की।

बांकिया मरियम (इटली): नागा दीक्षा के बाद उनका नाम शिवानी भारती रखा गया।

बेकवेन मैरी (फ्रांस): उन्होंने दीक्षा लेकर कामख्या गिरी नाम प्राप्त किया।

मोक्षिता राय (नेपाल): अब वे अखाड़े की सदस्य बनकर मोक्षिता गिरी कहलाएंगी।

नारी सशक्तिकरण का संदेश

महाकुंभ में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और नागा साध्वी बनने की प्रक्रिया ने सनातन परंपरा में नारी शक्ति के महत्व को फिर से स्थापित किया है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिकता का प्रतीक है, बल्कि समर्पण, त्याग और सशक्तिकरण का संदेश भी देता है।

महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति, परंपरा और नारी सशक्तिकरण के संगम के रूप में स्मरणीय रहेगा।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close