सुशील मिश्रा के साथ सुशील कुमार की रिपोर्ट
बांदा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत के संबंध में मेडिकल और मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट उनके बेटे उमर अंसारी को सौंपने का निर्देश दिया है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान दिया।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें
मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक न तो मेडिकल रिपोर्ट और न ही मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को दो सप्ताह के भीतर उमर को सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
मुख्तार अंसारी की मौत पर उठे सवाल
मुख्तार अंसारी की मौत 28 मार्च 2023 को बांदा जेल में हुई थी। उनकी मौत के बाद उनके भाई और सांसद अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया था कि जेल में उन्हें धीमा जहर दिया गया था। हालांकि, जेल प्रशासन ने इन आरोपों का खंडन किया।
पहले भी उठी थी सुरक्षा की मांग
दिसंबर 2023 में उमर अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए अपने पिता की जान को खतरा बताया था और उन्हें यूपी से बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की मांग की थी। उस समय राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि यदि जरूरत पड़ी तो जेल के अंदर उनकी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश और पोस्टमॉर्टम
मुख्तार अंसारी की पत्नी ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनके पति की सुरक्षा बढ़ाने की अपील की थी, जिसके बाद कोर्ट ने सुरक्षा के इंतजाम मजबूत करने का आदेश दिया था। उनकी मौत के बाद पोस्टमॉर्टम और मजिस्ट्रेट जांच कराई गई थी, लेकिन इनकी रिपोर्ट उमर को अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।
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एडिशनल सॉलिसिटर जनरल का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट में कहा कि उमर अंसारी को दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराई जाए।
मुख्तार अंसारी का राजनीतिक और आपराधिक सफर
मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली और विवादित चेहरा रहे हैं। उन्होंने मऊ विधानसभा सीट से लगातार पांच बार चुनाव जीता। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन उनके समर्थकों के बीच उनकी मजबूत पकड़ बनी रही।
न्यायिक प्रक्रिया पर नजर
मुख्तार अंसारी की मौत से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कोर्ट के निर्देश के बाद अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार रिपोर्ट कब तक उपलब्ध कराती है और इनसे क्या नए तथ्य सामने आते हैं।