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20 December 2024 7:26 pm

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राजधानी लखनऊ में दबंगों का कहर: पुश्तैनी भूमि पर अवैध कब्जे का आरोप, पुलिस संरक्षण में जारी निर्माण कार्य

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना पारा क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दबंग वकीलों द्वारा एक पीड़ित परिवार की पुश्तैनी जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया गया है। इस प्रकरण में पुलिस प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पीड़ित परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लग रही है।

पीड़ित परिवार के आरोप

पीड़ित मनोज कुमार रावत, निवासी सदरौन, ने बताया कि उनकी पुश्तैनी भूमि कलियां खेड़ा मैन रोड पर स्थित है। मनोज का आरोप है कि अनिल यादव नामक एक वकील ने कुछ अन्य अधिवक्ताओं के साथ मिलकर उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। आरोप है कि इस अवैध कब्जे को पुलिस संरक्षण में अंजाम दिया जा रहा है।

पीड़ित परिवार जब इस नवनिर्मित भूखंड के निर्माण को रोकने पहुंचे, तो दबंग वकीलों ने उनके साथ मारपीट की और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। अनिल यादव ने कथित तौर पर उन्हें धमकाते हुए कहा कि अगर वे दोबारा यहां दिखाई दिए तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

पुलिस प्रशासन की उदासीनता

मनोज कुमार रावत ने इस घटना की शिकायत पहले चौकी प्रभारी सदरौन से की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब वे थाना पारा पहुंचे और लिखित तहरीर दी, तो पुलिस ने उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें डराकर भगा दिया। पीड़ित का आरोप है कि पुलिस अनिल यादव के निर्माण कार्य को रोकने के बजाय उसका समर्थन कर रही है।

मनोज कुमार का यह भी कहना है कि उनकी पुश्तैनी जमीन को लेकर कभी किसी तरह की बिक्री या रजिस्ट्री नहीं की गई। ऐसे में अनिल यादव के पास इस जमीन की रजिस्ट्री कहां से आई, यह सवाल उठता है। पीड़ित परिवार लगातार प्रशासन से यह मांग कर रहा है कि इस रजिस्ट्री की जांच कराई जाए, लेकिन उनकी आवाज को अनसुना किया जा रहा है।

भूमाफिया और रसूखदारों का गठजोड़

इस मामले से स्पष्ट है कि कैसे दबंग वकील, भूमाफिया, और रसूखदार लोग प्रशासन के साथ मिलकर आम जनता की जमीन हड़प रहे हैं। पीड़ित परिवार के अनुसार, अनिल यादव ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और अब वहां निर्माण कार्य करवा रहा है। पुलिस की निष्क्रियता और दबंगों को दिए जा रहे संरक्षण ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है।

रामराज्य के दावों पर सवाल

योगी सरकार में “रामराज्य” के दावों के बावजूद, लखनऊ जैसे बड़े शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। न्याय पाने की आस में पीड़ित परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है, लेकिन प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही। उच्चाधिकारियों की उदासीनता ने यह साबित कर दिया है कि कानून का राज केवल रसूखदारों और पैसे वालों के लिए है।

न्याय की उम्मीद

इस पूरे प्रकरण में न्याय की गुहार लगाने वाला परिवार आज भी प्रशासन की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। पीड़ित परिवार की मांग है कि निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।

लेकिन सवाल यह है कि न्याय दिलाने वाला कोई है भी या नहीं? ऐसे में जब तक ईमानदार जांच नहीं होती, तब तक इस अन्याय से पीड़ित परिवार की स्थिति और बदतर होती रहेगी।

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