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लखनऊ

80 लाख रुपए लेकर थमा दिया फर्जी ज्वाइनिंग लैटर और आइ कार्ड, अचानक ऐसे खुल गया पोल

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में एक फर्जी कंपनी द्वारा बेरोजगार युवाओं से ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। फर्जी ज्वाइनिंग लेटर और आईडी कार्ड देकर युवाओं से नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 80 लाख रुपये की ठगी की गई। इस धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड लैंड क्राफ्ट कंपनी का मालिक हुकुम सिंह बताया जा रहा है।

फर्जीवाड़े की कहानी

सूत्रों के अनुसार, हुकुम सिंह ने दूर-दराज जिलों से आए भोले-भाले युवाओं को यूनिसेफ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के नाम पर झूठे वादे किए। फर्जी ज्वाइनिंग लेटर और आईडी कार्ड थमाकर उनसे लाखों रुपये अपने फोन पे और बैंक खातों में ट्रांसफर कराए।

पीलीभीत और अन्य जिलों के करीब 8-10 युवाओं से 20 लाख रुपये की ठगी की पुष्टि हुई है।नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले राजधानी लखनऊ के लोगों के नाम व जान से मारने व गाली-गलौज व धमकी देने वाले लोगों के नाम इस प्रकार है।

(1) लैंड क्राफ्ट कंपनी का मालिक हुकुम सिंह गोमतीनगर निवासी से 20 लाख रुपए नौकरी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग से संबंधित यूनिसेफ से फर्जी ज्वानिंग लैटर देकर रुपए 8 बच्चों से ठगी किए।

(2) गोरखपुर निवासी बताने वाले फर्जी शिवशंकर मिश्रा गुजरात का निवासी है। व उसके 2 साथी पीलीभीत के निवासी हैं और रिश्ते में दोनों भाई मोहम्मद मोहसिन व मोहम्मद सुहेब।

चौधा साथी लखनऊ का बताया गया जिसका नाम मदन गोपाल अवस्थी बताया गया है। इन सभी से षड्यंत्रकारी व धोखे बाजों ने नौकरी दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपए की ठगी की गई। सभी पैसा बैंक अकाउंट में दिया गया। पीड़ित परिवार जनपद जालौन के निवासी हैं। सभी फर्जी ज्वानिंग लैटर आई कार्ड व एवीडेंस मौजूद है। यह मामला 2022 का प्रकाश में सामने आया है।

इसी तरह का मामला केजीएमयू के प्रोफेसर संजय खत्री द्वारा नौकरी के नाम पर गेस्ट हाउस में 750000 रुपए की ठगी किए गए। जबकि चौंक कोतवाली पुलिस प्रशासन द्वारा एफआईआर 12/3/2015 में दर्ज करने के बाबजूद भी कोई सुनिश्चित कारवाई नहीं की गई। और पीड़ित को डरा-धमकाकर जबरन शांत करा दिया गया। ऐसी कानून व्यवस्था योगी आदित्यनाथ की सरकार में चल रही हैं। पीड़ित परिवारों को योगी सरकार में बैठे उच्चाधिकारियों से जनता जनार्दन को न्याय की उम्मीद नहीं।

कंपनी का कार्यालय आरके ट्रेडर्स के पास बताया जा रहा है, लेकिन हुकुम सिंह ने 2014 से 2024 के बीच अपनी कंपनी के स्थान बार-बार बदले हैं। पीड़ितों के पास ठगी के सभी सबूत, जैसे फर्जी ज्वाइनिंग लेटर, आईडी कार्ड और बैंक खाते की जानकारी मौजूद हैं।

प्रभावशाली नेटवर्क और प्रशासन की निष्क्रियता

बताया जा रहा है कि हुकुम सिंह के पास स्थानीय अधिकारियों और नेताओं तक मजबूत पहुंच है। वह विधानसभा, दारूलशफा और इंदिरा भवन जैसे क्षेत्रों में रसूख रखने वाले लोगों के सहारे अपने फर्जीवाड़े को अंजाम देता है। इस मामले में पुलिस प्रशासन पर भी कार्रवाई न करने के आरोप लगे हैं।

2015 में भी संजय खत्री, KGMU लखनऊ के खिलाफ धोखाधड़ी (धारा 420) और धमकी (धारा 504/506) के तहत मामला दर्ज किया गया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अन्य ठगी के मामले

यह मामला अकेला नहीं है। केजीएमयू के प्रोफेसर संजय खत्री पर भी नौकरी के नाम पर 75,000 रुपये की ठगी का आरोप है। हालांकि, चौंक कोतवाली में दर्ज एफआईआर के बावजूद पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया।

पीड़ितों की मांग और भविष्य की कार्रवाई

पीड़ित परिवारों ने अपनी शिकायत डीजीपी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाने की तैयारी की है। उनका कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे राजधानी में प्रदर्शन करेंगे।

क्या योगी सरकार देगी न्याय?

योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा किया है, लेकिन ऐसे मामलों में निष्क्रियता उनके प्रशासन की विफलता को उजागर करती है। क्या योगी सरकार इन पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्षम होगी, यह देखने वाली बात होगी।

यह मामला प्रदेश में बेरोजगार युवाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को फिर से बल देता है।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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