आर्य संतोष कुमार वर्मा की रिपोर्ट
भोपाल जिले के सरवर गांव में यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) की 20 एकड़ जमीन इन दिनों जिला प्रशासन में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह जमीन 1999 में विटारी डिस्टलरीज ने खरीदी थी, जिसे बाद में विजय माल्या की मैकडॉवेल स्पिरिट लिमिटेड ने अधिग्रहित किया। हालांकि, इस जमीन को सरकारी रिकॉर्ड में यूनाइटेड स्पिरिट्स के नाम पर दर्ज कराने में 23 वर्षों की देरी और प्रक्रिया की खामियों के चलते यह मामला अब उलझन और विवाद का केंद्र बन गया है।
क्या है विवाद?
1999 में विटारी डिस्टलरीज ने सरवर गांव में 20 एकड़ जमीन खरीदी, जिसमें से 4 एकड़ पर प्लांट स्थापित किया गया और शेष 16 एकड़ जमीन खाली रही। इस खाली जमीन पर स्थानीय किसानों ने खेती करना शुरू कर दिया।
2001 में विटारी डिस्टलरीज का विजय माल्या की कंपनी मैकडॉवेल स्पिरिट लिमिटेड में विलय हुआ, जो बाद में यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) के नाम से जानी गई। हालांकि, इस विलय के बावजूद इस जमीन को सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में यूनाइटेड स्पिरिट्स के नाम पर दर्ज नहीं कराया गया।
नामांतरण की प्रक्रिया और विवाद
2019 में, यूनाइटेड स्पिरिट्स ने जमीन का नामांतरण कराने के लिए आवेदन दिया। जिला उपपंजीयक ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए रजिस्ट्री शुल्क और पेनल्टी समेत कुल 3.50 करोड़ रुपये का निर्धारण किया। यह राशि 2023 में संशोधित कर 1.59 करोड़ कर दी गई, जिससे शासन को 1.91 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप भी लगा।
किसानों का दावा है कि वे 1999 से ही इस जमीन पर खेती कर रहे हैं और विटारी डिस्टलरीज ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी कृषि भूमि पर कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। किसानों ने नामांतरण प्रक्रिया पर आपत्ति जताई और प्रशासन से इसे रोकने की मांग की।
तहसीलदार के आदेश और विवाद की स्थिति
नामांतरण प्रक्रिया में रुकावटें लगातार बनी रहीं।
नवंबर 2021: उचित स्टांप शुल्क जमा न होने पर तहसीलदार ने नामांतरण का प्रकरण अमान्य घोषित किया।
20 जून 2023: कंपनी द्वारा 1.59 करोड़ रुपये जमा करने के बाद तहसीलदार ने जमीन को यूएसएल के नाम पर दर्ज किया।
12 जुलाई 2023: किसानों के कब्जे के विवाद के बाद तहसीलदार ने नामांतरण को फिर से निरस्त कर दिया।
21 अक्टूबर 2024: तहसीलदार ने पुनः नामांतरण प्रक्रिया पूरी कर यूएसएल का नाम दर्ज कर दिया।
किसानों की आपत्ति और प्रशासन का रुख
किसान इस बात पर अड़े हैं कि वे वर्षों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं और इस पर उनका हक है। उनका कहना है कि कंपनी द्वारा जमीन पर कब्जे की किसी भी कोशिश का वे विरोध करेंगे। दूसरी ओर, जिला प्रशासन का कहना है कि मामले की पूरी जांच कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रमसिंह ने कहा,
“मामले में सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। जो भी नियमानुसार उचित होगा, वही कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला प्रशासन, किसानों और कंपनी के बीच एक जटिल कानूनी और सामाजिक विवाद का रूप ले चुका है। जहां एक ओर किसान अपनी जीविका और कब्जे के अधिकार की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी अपने वाणिज्यिक हितों को सुरक्षित करना चाहती है। मामला फिलहाल एडीएम कोर्ट में है, और इसका अंतिम निर्णय प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया के तहत होगा।