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लखनऊ

बड़ी तीखी बहस हुई रागिनी और उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच विधानसभा में, 👇वीडियो देखिए

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अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश विधानसभा में सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक डॉ. रागिनी और उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच एक तीखी बहस हुई। 

डॉ. रागिनी ने जौनपुर के मेडिकल कॉलेज की बदहाली और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे को उठाया। उन्होंने बताया कि जौनपुर मेडिकल कॉलेज की स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने वहां की तस्वीरें दिखाते हुए आरोप लगाया कि कॉलेज में पानी गंदा है और बिल्डिंग्स खंडहर बन चुकी हैं। 

इसके अलावा, उन्होंने बताया कि कॉलेज के छात्र बिजली और पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं। उन्होंने इस स्थिति को शर्मनाक बताया और गरीब मरीजों के लिए सरकारी योजनाओं के बारे में सवाल उठाया। 

डॉ. रागिनी ने ये भी सुझाव दिया कि गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे गरीब मरीजों को समय पर सही चिकित्सा मिले, इसके लिए प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों को पीपीपी (प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप) मोड में लाया जाए।

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उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने जवाब में कहा कि जौनपुर मेडिकल कॉलेज का निर्माण समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार के दौरान शुरू हुआ था और इसमें काफी भ्रष्टाचार हुआ था। 

उन्होंने कहा कि ठेका टाटा कंपनी को दिया गया था, लेकिन कंपनी के अधिकारियों पर दबाव बनाकर ठेका किसी और को दिलवाया गया। 

उस ठेकेदार ने काम की गुणवत्ता खराब की और पैसे लूटकर भाग गया। इस मामले की जांच चल रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। 

पाठक के जवाब के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और सपा के विधायक विरोध जताने लगे। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी।

डॉ. रागिनी ने इस पर पूरक प्रश्न उठाया कि पहले डायरेक्टर जनरल ऑफ मेडिकल एजुकेशन की नियुक्ति डॉक्टर के रूप में होती थी, लेकिन अब सरकार इसे आईएएस अधिकारियों को दे रही है। 

उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इस पद को डॉक्टर के लिए आरक्षित करने पर विचार करेगी, क्योंकि एक डॉक्टर ही स्वास्थ्य व्यवस्था की समस्याओं को सही तरीके से समझ सकता है। 

ब्रजेश पाठक ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि यह मुद्दा मेडिकल एजुकेशन विभाग से संबंधित है और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में कैबिनेट से निर्णय ले लिया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस जवाब से डॉ. रागिनी संतुष्ट नहीं हुईं और उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना जारी रखी।

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